Another fabulous hindi heart touching and emotional hindi story by Ashwini Kumar.Read this story and share with all if you like it.
कड़ाके की सर्दी पड़ रही थी....... पैरों से चढ़ती ठण्ड हाथों के कम्पन से होती
हुई, दांतों की कड़कड़ाहट तक जा रही थी। घर से निकला
तो देखा कोहरे की सफ़ेद चादर ने सारे आसमान पर अपना अस्तित्व जमा रखा है। कदम आगे
की ओर बढ़ने से मना कर रहे थे, पर जाना भी जरुरी था, आज सप्ताह का पहला दिन सोमवार था..... अगर ऑफिस न जाता तो
प्रेम पत्र (नोटिस) मिलने के पूरे आसार थे। क्योंकि पिछले दिनों कुछ छुट्टियों के
कारण मैं सबकी नज़रों में आ गया था। ऑफिस पहुँचने ही वाला था कि अचानक मेरी नज़र एक
बच्चे पर पड़ी.... करीब सात से आठ साल के बीच का होगा, एक पतली सी कमीज,
छोटा सा निक्कर पहने नंगे
पैर पास ही से गुजर रही एक नाली से खाली बोतल और, गन्दी पन्नियां निकालकर अपनी कमर पर लटके झोले में डाल रहा था। जाहिर है ठण्ड
के कारण नाली पानी भी ठंडा ही होगा। मगर उसका बदन जैसे हीटर था, उसपर उस कड़कड़ाती ठण्ड का कोई असर नहीं हो रहा था।
बड़ा मार्मिक दृश्य था। जब मैं ठण्ड के मारे ऊन के मोटे मोटे परिधान पहने भी
अपने कम्पन को नहीं रोक पा रहा था तो ये बच्चा कैसे सहन कर रहा है? क्या इसे ठण्ड नहीं लगती? और अगर लगती है तो उसे वह कैसे उसे रोके है। ऐसे ही न जाने कितने ही सवाल मुझे
कुरेदने लगे। मैं जवाब कहाँ से लाता, कौन देता मेरे सवालों के
जवाब? ये ही सब सोच-सोचकर मैं बड़बड़ाने लगा था। इतने
वो भी मेरी आँखों की पहुँच से कहीं दूर जा चुका था। मैं जल्दी ही भाग कर गया पर वो
मुझसे बहुत दूर जा चुका था, उसे अगर भागकर पकडने की कोशिश करता तो ऑफिस के लिए
लेट हो जाता, पर मन नहीं मान रहा था मेरा। वह अपने सवालों के
जवाब मांग रहा था। मुझे बार-बार यह अनुभूति हो रही थी। मैं उस दिन साफ़ देख सकता था
अपने मन की उत्सुकता को,
ऐसा पहली बार हो रहा था
मेरे साथ।
घटा तो बहुत कुछ मेरे अपूर्ण जीवन में पर ऐसा कुछ कभी नहीं हुआ था.......!!!
मैं उस वक़्त भूल गया था अपने ऑफिस और वहाँ मेरा इंतज़ार करते लोगों को। मैं इतना
विचलित शायद इसलिए भी था क्योंकि शायद उस लड़के जैसा कुछ मेरे साथ भी घट चुका था।
अपनी मज़बूरियों और व्यथा को तो मैं जैसे-तैसे भूल गया था, पर इस लड़के को मैंने खुद के जीवन के कुछ ज्यादा ही पास पाया। मैं वहीँ खड़ा का
खड़ा रह गया था, कदम न आगे की ओर बढ़ रहे थे न ही पीछे हट रहे थे, मानो जैसे किसी अदृश्य शक्ति ने जकड लिया हो मुझे।
सोच रहा था उसी लड़के के बारे में, क्या देखता हूँ कि वो
अचानक ही फिर से मेरे सामने आ खड़ा हुआ, शायद कुछ भूल गया था, या यह भी हो सकता है की मेरे मन की आवाज़ और पुकार सच्ची थी
जो ईश्वर के कानों तक पहुँच चुकी थी और उसी ने उसे फिर से मेरे पास भेज दिया था, मेरे अनसुलझे सवालों के जवाब देने के लिए।
मैं उसकी और दौड़ा और उसके करीब जाकर हांफता हुआ और अपने कई सवाल उसपर दागते
हुए बोला........ ऐ लड़के क्या नाम है तेरा?, कहाँ रहता है तू?,
क्या तू अकेला है?, क्या तू पढ़ाई नहीं करता?, कब से कर रहा है ये काम?, तेरा परिवार कहाँ है?, यहाँ कैसे पहुंचा? कितना कमा लेता है दिनभर
में? और सबसे अहम क्या तुझे ठण्ड नहीं लग रही? और जो भी मेरे मन में आया मैंने पूछ लिया उससे। मुझे देखकर
वो भी अचम्भे में था। मेरी ओर मासूम आँखों से देखता हुआ गुस्से से बोला........
तुम्हें क्या करना है,
जाओ साब काम का टाइम है
बीच में भंकस मत करो। उसकी मासूमियत देखकर मैं चकित भी था और मुझे उसपर तरस भी आ
रहा था। मैं करता भी क्या.......... वो मेरी बात सुनने को तैयार ही नहीं था, शायद जल्दी में था उस कचरे को बेचने भी तो जाना था उसे, शायद यही टाइम था उसका कबाड़ी की दूकान पर जाने का, जो मेरे दिमाग में चल रहा था मैंने उससे वही पूछा क्या
बेचने जाओगे ये सब?.........
बोला हां.......... इस
टाइम के बाद भीड़ बढ़ जाती है हमें मारने के लिए कुत्ते पीछे पढ़ जाते है। बस ये सुबह
का टाइम ही है, और कबाड़ी वाला भी इसी टाइम ले लेता है ये सब, चौक पर पुलिस आने के बाद मना कर देता है..........फिर मेहनत
करने का कुछ भी नहीं मिल पाता। मैंने सोचा चलो कुछ तो बताया, पर वो वाकई जल्दी में था।
मैंने कहा क्या मैं तुम्हारे साथ चल सकता हूँ, क्या साब शिकायत करनी है क्या मेरी, मैंने तुम्हारे यहाँ से
कुछ भी नहीं चुराया है,
और अब मैंने चोरी करनी
छोड़ दी है पहले करता था और वो भी गलत काम के लिए नहीं, अपने छोटे भाई का पेट भरने के लिए, क्या तुमसे छोटा भी कोई
भाई है? मैंने चोंकते हुए उससे पूछा। हां और क्या साब
आपका कोई छोटा भाई नहीं है क्या? उसकी बातें सुनकर उसके
लिए मेरा स्नेह और बढ़ गया, मैं भूल चुका था कि मुझे
ऑफिस भी जाना है....... एक घंटा लेट हो चुका था और अब जाने का भी कोई फायदा नहीं
था, मैं जानता था कि मेरी नौकरी जा चुकी है। पर फिर
भी मैं उसके पीछे जा रहा था अपना अंजाम जानकार भी........... दरअसल वो खींच रहा था
मुझे अपनी ओर और मैं बिना किसी डोर के खींच भी रहा था। मुझे जानना था उसे पूरी
तरह। मैं उसके पीछे लगा रहा, समय बीतता गया और मैं
अपने सवालों से उसे परेशान करता रहा। चाहकर भी मैं उससे दूर जाना नहीं चाह रहा
था........ जैसे मैं उसे जानता था, जैसे वो मेरा कोई बिछड़ा
हुआ जानने वाला था। मैं उसके पीछे ऐसे लगा था जैसे वो मेरी मेहबूबा हो, जो नाराज़ है मुझसे और मैं उसे मनाने की भरसक कोशिशें कर रहा
हूँ। वो मुझसे भाग रहा था और मैं उसके लिए। आखिर में जब वो ज्यादा परेशान हो गया
तो उसने कह ही दिया...................... मेरा पीछा छोड़ दो, मैं तुम्हें नहीं जानता हूँ, पर मैं पुलिस को जरुर जानता हूँ, तुम मुझे बच्चे उठाने
वाले लग रहे हो, मैं शोर मचा दूंगा, चले जाओ यहाँ से,
पर मुझपे तो जैसे कोई धुन
सवार हो चुकी थी....................उसके बारे में जानने की।
अरे रुको और थोड़ी देर बैठो मेरे साथ......................मैंने कहा।
क्यों क्यों बैठूं................................??? उसने गुस्से में जवाब दिया।
जाओ यहाँ से साब........................कहते हुए उसने अपने कचरे का सौदा कर
लिया करीब 10 रुपये में।
मैंने कहा, ये क्या काफी हैं तुम्हारे
लिए................................!!!
अरे साब तुम्हें क्या करना है, पूरे हैं या नहीं मेरे
हैं। चोरी तो नहीं किया है न............................ और मैं तुम्हें क्यों
बताओ कहता हुआ 10 रुपये लेकर चल दिया अपने घर कि ओर...................!!! वो नहीं
चाहता था कि मैं उसके पीछे उसके घर तक जाऊं इसलिए एक चौपाल पर वह रुक गया, समझदार अपनी उम्र से कुछ ज्यादा ही था......कहने लगा क्या
चाहिए साब मैं अपने पैसे तुम्हें नहीं दूंगा, ये मेरे हैं। मेरे और मेरे भाई के हम दोनों इससे ही खाना खायेंगे, पर कल का उधार भी है तो कम ही खाना मिलेगा......... मैं
तुम्हें दे दूंगा तो हमें भूखा ही रहना पडेगा कल तक के लिए.....................
मैंने अपने आंसुओं पर काबू करते हुए दबे से स्वर में कहा अरे नहीं मुझे तुम्हारे
पैसे नहीं चाहिए.............. तो क्यों बस्ता वास्ता टांग कर सुबह से मेरा पीछा
कर रहे हो? उसने कहा..................!!! मैंने फिर उसे
समझाते हुए कहा मैं तो बस तुम्हारे बारे में कुछ जानना चाहता हूँ.............. पर
मैं कुछ नहीं बताऊंगा,
उसने जवाब दिया.........
मैंने सूना है आजकल नाम,
पता पूछने के बहाने
बच्चों को उठा ले जाते हैं और मज़दूरी करवातें है उनसे। मैं नहीं जाउंगा तुम्हारे
साथ, अगर मैं चला गया तो मेरे भाई का क्या होगा, वो तो अकेला हो जाएगा न, मुझसे छोटा है। अभी भी मेरी राह देख रहा होगा। अच्छा साब मैं चलता
हूँ...............कहता हुआ चौपाल से कूदा और दौड़ते हुए बड़ी तेज़ी से भीड़ में खो
गया.........................अरे रुको कहता मैं अपना सा मुंह लिए उसकी ओर देखता रह
गया......................खोजता रहा भीड़ में उसे पर वो रुकने वाला कहाँ
था........................चला गया अपने भाई के पास...............................!!!
वो जा तो रहा था पर साथ लिए जा रहा था मेरे सारे सवालों को अनसुलझा
छोड़कर....................!!! इतना मासूम था कि मैं शायद ही उसे कभी भूल पाउँगा, अपने भाई के प्रति उसका प्रेम मुझे झकझोर गया, क्या हम भी किसी को उसकी भाँती प्यार कर सकते हैं..............................मैं
बस खुद से ये सवाल पूछ रहा था। जवाब तो दिया नहीं उसने, पर एक और सवाल जरुर दे गया मेरे अनसुलझे सवालों की सूची के लिए।
-:लेखक परिचय:-
अश्वनी कुमार, एक युवा लेखक हैं, जिन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत मासिल पत्रिका साधना पथ से की, इसी के साथ आपने दिल्ली के क्राइम ओब्सेर्वर नामक पाक्षिक समाचार पत्र में सहायक सम्पादक के तौर पर कुछ समय के लिए कार्य भी किया. लेखन के क्षेत्र में एक आयाम हासिल करने के इच्छुक हैं और अपनी लेखनी से समाज को बदलता देखने की चाह आँखों में लिए विभिन पत्र पत्रिकाओं में सक्रीय रूप से लेखन कर रहे हैं, इसी के साथ एक निजी फ़र्म से कंटेंट राइटर के रूप में कार्य भी कर रहे है. राजनीति और क्राइम से जुडी घटनाओं पर लिखना बेहद पसंद करते हैं. कवितायें और ग़ज़लों का जितना रूचि से अध्ययन करते हैं उतना ही रुचि से लिखते भी हैं, आपकी रचना कई बड़े हिंदी पोर्टलों पर प्रकाशित भी हो चुकी हैं. अपनी ग़ज़लों और कविताओं को लोगों तक पहुंचाने के लिए एक ब्लॉग भी लिख रहे हैं. जरुर देखें:- samay-antraal. blogspot.com
P.S. अगर आप भी अपनी रचनाएँ(In Hindi), कहानियाँ (Hindi Stories), प्रेरक लेख(Self -Development articles in Hindi ) या कवितायेँ लाखों लोगों तक पहुँचाना चाहते हैं तो हमसे nisheeth@hindisahityadarpan[dot ]in पर संपर्क करें !!
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VERY NICE.....
जवाब देंहटाएंDILL KO CHUNE WALI RACHNA.
THANKS
Hmm Its nice..
जवाब देंहटाएंBut it should be more clear about its topic..
Thank u very much..
Ap ki rachna mere akho namn kar deta h.mai ap se jura rahna chahta hu.kya mai ap se bat kar sakta hu pankaj
जवाब देंहटाएंhaan dost aap mujhse kabhi bhi baat kar sakte hain.
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