मीन कैम्फ - हिटलर की आत्मकथा ‘मेरा संघर्ष’ डाउनलोड करें - Download Autobiography Of Adolf Hitler "Mein Kampf " PDF In Hindi
मीन कैम्फ - हिटलर की आत्मकथा ‘मेरा संघर्ष’ डाउनलोड करें - Download Autobiography Of Adolf Hitler "Mein Kampf " PDF In Hindi
हिटलर की संक्षिप्त जीवनी : आज सारी दुनिया लोकतंत्र के स्तम्भ को मजबूत बनाने
में जुटी हुयी है और तानाशाही व्यवस्थाओं को लगभग हर जगह से उखाड़ फेंका जा रहा है, लेकिन एक दौर ऐसा भी था जब सारी दुनिया इन तानाशाहों की मुट्ठी में था और लोग इनके
इशारों पर मर मिटने के लिए तैयार थे।
उन्ही चंद तानाशाहों में एक नाम एडोल्फ
हिटलर(Adolf
Hitler) का भी था जिसने अपनी करिश्माई नेतृत्व की
बदौलत न केवल विश्व को अपने इशारों पर नचाता रहा बल्कि अपने नीतियों की बदौलत खुद
को वह सबसे ऊपर भी मानता था।
बीसवीं सदी के
सर्वाधिक चर्चित और संभवतः सर्वाधिक घृणित व्यक्तियों में से एक जर्मन तानाशाह
एडोल्फ हिटलर का जन्म 20 अप्रैल, 1889 को ऑस्ट्रिया
में हुआ। पिता की मृत्यु के पश्चात् 17 वर्ष की अवस्था में वह
वियना चला गया और कला विद्यालय में एड्मिसन न मिलने पर पोस्टकार्डों पर चित्र बनाकर
अपना निर्वाह करने लगा। जब प्रथम विश्व युद्ध आरम्भ हुआ तो हिटलर भी सभी काम छोड़
कर सेना में भर्ती हो गया और फ्रांस के कई लड़ाइयों में भाग लिया।
1918 में जर्मनी की
पराजय के बाद 1919 में हिटलर ने सेना छोड़ दी व नेशनल
सोशलिस्टिक आर्बिटर पार्टी (नाजी पार्टी) का गठन किया। पार्टी का उद्देश्य
साम्यवादियों और यहूदियों से सारे अधिकार छीनना था क्योंकि हिटलर का मानना था कि
साम्यवादियों व यहूदियों के कारण ही जर्मनी की हार हुई। जर्मनी की हार को लेकर
हिटलर के अंदर जो नफरत की भावना थी, वो हज़ारों जर्मन
वासियों की भावना से मेल खाती थी और यही वजह था कि नाजी पार्टी के सदस्यों की संख्या
में बढ़ोतरी हुयी और नाजी पार्टी एक शसक्त पार्टी के रूप में उभरी।
हिटलर ने स्वास्तिक
को अपनी पार्टी का चिह्र बनाया और समाचारपत्रों के द्वारा अपनी पार्टी के
सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार जनता में किया। भूरे रंग की पोशाक पहने सैनिकों की
टुकड़ी तैयार की गई। 1923 ई. में हिटलर ने जर्मन सरकार को उखाड़ फेंकने का
प्रयत्न किया लेकिन वह कामयाब नहीं हो सका और फलस्वरूप 20 फरवरी,
1924 को उसपर “देशद्रोह” का मुकदमा चलाया गया और उसे पांच साल के कैद की सजा सुनाई गई।
हिटलर को कुल 13 महीने तक कैद में रखा गया। यहीं जेल में हिटलर ने अपनी पुस्तक “मीन कैम्फ” (मेरा संघर्ष) लिखी। हिटलर ने अपनी यह
आत्मकथा उन सोलह प्रदर्शनकारी शहीदों को श्रद्धांजलि में समर्पित की, जिन्होंने अपने देश की एकता के लिए संघर्ष करते हुए अपने ही देश के
सैनिकों की गोलियों का सामना किया।
उन दिनों जर्मनी भी विश्वव्यापी आर्थिक मंदी की
मार झेल रहा है और जेल से रिहा होने के कुछ ही समय बाद हिटलर ने जनता के असंतोष का फायदा उठाकर पुनः व्यापक लोकप्रियता
हासिल की और चुनाव लड़ने का फैसला किया। 1932 के चुनाव में हिटलर
को राष्ट्रपति के चुनाव में सफलता तो नहीं मिली लेकिन 1933 में उसे
जर्मनी का चांसलर चुना लिया गया। और चांसलर बनते ही उसने अपनी तानाशाही प्रवृत्ति दिखानी शुरू कर दी, उसने साम्यवादी
पार्टी को अवैध घोषित कर दिया व यहूदियों के नरसंहार का सिलसिला शुरू कर दिया। तत्कालीन राष्ट्रपति की मृत्यु के बाद हिटलर ने स्वयं को राष्ट्रपति तथा सर्वोच्च
न्यायाधीश भी घोषित कर दिया।
सत्ता हासिल
करने के बाद हिटलर ने राष्ट्र को जोड़ने के लिए भावी युद्ध को ध्यान में रखकर
जर्मनी की सैन्य शक्ति बढ़ाना प्रारंभ कर दिया। उसने सारी जर्मन जाति को सैनिक
प्रशिक्षण देने का आदेश दिया। विशाल जर्मन साम्राज्य की स्थापना का लक्ष्य लेकर
हिटलर ने तमाम तरह की संधियों की अहवेलना करके पड़ोसी देशों पर आक्रमण कर दिए, जिसके फलस्वरूप 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध भड़क उठा।
शुरुआत में तो
हिटलर को सफलता मिली लेकिन बाद में हिटलर के पांव उखड़ने लगे और जब जर्मनी की हार लगभग
निश्चित हो गई तब हिटलर भी हार महसूस करने लगा और अंततः 30 अप्रैल, 1945 को हिटलर ने खुद को गोली मारकर
आत्महत्या कर ली।
“मीन कैम्फ” हिटलर की आत्मकथा ‘मेरा संघर्ष’ में न केवल जर्मनी की पीड़ा बल्कि हिटलर की पीड़ित मानसिकता में उसकी राष्ट्रवादी मनोवृत्ती भी साफ़ झलकती है . साथ ही राजनीतिज्ञों के चरित्र,
राजनीति के स्वरूप, भाग्य-प्रकृति, शिक्षा सदनों का महत्त्व, मानवीय मूल्यों तथा
राष्ट्रवादी भावना की महानता के आधार की भी प्रेरणा मिलती है ।
सर्वविदित है कि कोई भी इंसान बुरा नहीं होता,
बुराई इंसान की सोच के आधार पर ही विकसित होती है। विश्व मानवता के
शत्रु कहे जाने वाले हिटलर में यदि अवगुण थे, तो ध्यान रहे,
यह उसकी विश्व-विजेता बनने की महत्त्वाकांक्षा थी। साथ ही उसकी
राष्ट्रवादी मनोवृत्ति को भी हमें नहीं भूलना चाहिए। इसी राष्ट्रवादी धारा के
प्रवाह में किस प्रकार उसकी आकांक्षा-महत्त्वकांक्षा में परिवर्तित हुई, यह तथ्य ‘मीन कैम्फ’
हिटलर की आत्मकथा ‘मेरा संघर्ष’ में आप अनुभव कर पाएंगे।
"मीन कैम्फ" हिटलर की आत्मकथा ‘मेरा संघर्ष’ को डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
नोट : हिंदी
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धन्यवाद
जवाब देंहटाएंYOU efforts are too good sir
जवाब देंहटाएंthank you so much
I was hunting from a long time to get the biography of hitler and neta ji....you guys....filled my long awaited aspiration....many many thanks to the whole team...
जवाब देंहटाएंआप एक महान कार्य कर रहे हैं| आपका यह प्रयास प्रसंशनीय है |धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंthank you so much
जवाब देंहटाएंGreat Work, please keep it..
जवाब देंहटाएंसाहित्य संग्रह का आपका यह कार्य अमूल्य हैं |
जवाब देंहटाएंvery good
जवाब देंहटाएंआपके प्रयासों को सलाम । आपके प्रयासों से बहुत सी उपयोगी पुस्तक को पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ । एक बार फिर से धन्यवाद देना चाहता हूँ ।
जवाब देंहटाएंnice work to awear new genretio ....
जवाब देंहटाएंthanks for beautiful books
जवाब देंहटाएंThank you sir. Nice info.
जवाब देंहटाएंहमारे ज्ञानवर्धन मे बहुत उपयोगी है
जवाब देंहटाएंThank you so much sir ..
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