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दीया अंतिम आस का
दीया अंतिम आस का, प्याला अंतिम प्यास का
वक्त
नहीं अब, हास-परिहास-उपहास
का
कदम
बढाकर मंजिल छू लूँ, हाथ उठाकर आसमाँ
पहर
अंतिम रात का, इंतज़ार प्रभात का
बस
एक बार उठ जाऊँ, उठकर संभल जाऊँ
दोनों
हाथ उठाकर, फिर एक बार तिरंगा लहराऊँ
दुआ
अंतिम रब से, कण अंतिम अहसास का
कतरा
अंतिम लहू का, क्षण अंतिम श्वास का
बस
एक बूँद लहू की भरदे मेरी शिराओं में
लहरा
दूँ तिरंगा मैं इन हवाओं में........
फहरा
दूँ विजय पताका चारों दिशाओ में
महकती
रहे मिट्टी वतन की, गूंजती रहे गूंज जीत की
सदियों
तक सारी फिजाओं में………..
सपना
अंतिम आँखों में, ज़स्बा अंतिम साँसों में
शब्द
अंतिम होठों पर, कर्ज अंतिम रगों पर
बूँद
आखरी पानी की, इंतज़ार बरसात का
पहर
अंतिम रात का, इंतज़ार प्रभात का…
अँधेरा
गहरा, शोर मंद,
साँसें
चंद, हौंसला बुलंद,
रगों
में तूफान, ज़ज्बों में उफान,
आँखों
में ऊँचाई, सपनों में उड़ान
दो
कदम पर मंजिल, हर मोड़ पर कातिल
दो
साँसें उधार दे, कर लूँ मैं सब कुछ हासिल
ज़ज्बा
अंतिम सरफरोशी का,
लम्हा
अंतिम गर्मजोशी का
सपना
अंतिम आँखों में, ज़र्रा अंतिम साँसों में
तपिश
आखरी अगन की, इंतज़ार बरसात का
पहर
अंतिम रात का, इंतज़ार प्रभात का…
फिर
एक बार जनम लेकर इस धरा पर आऊँ
सरफरोशी
में फिर एक बार फ़ना हो जाऊँ
गिरने
लगूँ तो थाम लेना, टूटने लगूँ तो बाँध लेना
मिट्टी
वतन की भाल पर लगाऊँ
मैं
एक बार फिर तिरंगा लहराऊँ
दुआ
अंतिम रब से, कण अंतिम अहसास का
कतरा
अंतिम लहू का, क्षण अंतिम श्वास का
पहर अंतिम रात का, इंतज़ार प्रभात का… !
~ दिनेश गुप्ता 'दिन'
किताब के बारे में:
यह अद्भुत कविता "कैसे चंद लफ्ज़ों में सारा प्यार लिखूँ" पुस्तक से ली गयी है! यह एक कविता-संग्रह है, जिसमें प्यार-मुहब्बत विषय पर कविताएँ, शायरी, गीत और ग़ज़लें सम्मिलित है |
लेखक के बारे में :
मध्यप्रदेश के मन्दसौर जिले में जन्मे दिनेश गुप्ता 'दिन' पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और दो किताबों "मेरी आँखों में मुहब्बत के मंज़र हैं" और "जो कुछ भी था दरमियाँ" के लेखक हैं| दिनेश गुप्ता की कविताएँ, लेख, पुस्तक-समीक्षा, और साक्षात्कार देश-विदेश की कई प्रमुख पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं| इसके अलावा इनकी कविताएँ तीन सयुंक्त कविता-संग्रहों १.) बिखरी ओस की बूँदें २.) कदम ढूँढती राहें ३.) शब्दों की चहलकदमी में प्रकाशित हुई है| शुरुवाती दिनों में कविता इनका शौक हुआ करती थी, इन दिनों जुनून है और वो लेखन को ही अपना पेशा बनाने को लेकर खासे उत्साहित हैं| इंजीनियर और कवि थोड़ा मुश्किल मिश्रण लगता है, जब दिनेश से पूछा जाता है तब वो कहते हैं: "इंजीनियरिंग मेरा पेशा है परन्तु कविता मेरा जुनून है, शब्द मेरी रगों में खून बनकर दौड़ते हैं और कविता मेरी नसों में बहती है"| कविता ! अपनी चेतना और अनुभूति की अभिव्यक्ति भर हैं कविता| इनकी कुछ रचनाएँ आप यहाँ देख सकते हैं:
About Book:
“Kaise Chand Lafzon Men Saara Pyar Likhun” is a collection of
beautiful Romantic Poetic Quotes which include all aspects of Poetry like
Kavita, Shayri, Geet & Gazals. If you ever fall in love this can be perfect
valentine gift for your beloved one.
About Author:
Dinesh Gupta ‘Din’ is Software
Engineer by Profession and Poet by Passion. His Poetry, Articles, Book Reviews
and Interviews has been featured in several Online/Offline, Hindi/Hinglish
magazines and leading national newspapers including Dainik Jagran, Dainik
Dakshin Mumbai, After Break, Delhi Aur Delhi, Purnviram, Delhi Replika,
Mathrubhumi, Janpath Samachar, Janmbhumi, Forever News, APN News. His poetry
got published in 3 joint Poetry collections:
1 1 ) Kadam
Dhundti Raahen
2) Shabdon Ki Chahalkadmi
3) Bikhri Aus Ki bunden.
2) Shabdon Ki Chahalkadmi
3) Bikhri Aus Ki bunden.
He is also performing Poet and
participated in several Poetry events. Dinesh started writing by interest
early, but now a days Poetry is passion for him. When People ask Combination of
Engineer and Hindi Poet is rare, how it’s happen with you, he just says:
“Engineering is my profession by Poetry is my passion. Poetry floods in by Body
in form of blood. You can read few of his creations here:
dinesh.gupta28@gmail.com
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