मुंशी प्रेमचंद के अनमोल विचार व् कथन | Munshi Premchand Quotes & Thoughts In Hindi,Premchand quotations in hindi,Premchand quotes english to hindi,Hindi Quotations By Premchand in Hindi,प्रेमचंद के अनमोल विचार व् कथन
Most Inspirational Munshi Premchand Quotes & Thoughts In Hindi
"कुल की प्रतिष्ठा भी विनम्रता और सदव्यवहार से होती है, हेकड़ी और रुआब दिखाने से नहीं।" ~ मुंशी प्रेमचंद
"मन एक भीरु शत्रु है जो सदैव पीठ के पीछे से
वार करता है।" ~ मुंशी प्रेमचंद
"चापलूसी का ज़हरीला प्याला आपको तब तक नुकसान
नहीं पहुँचा सकता जब तक कि आपके कान उसे अमृत समझ कर पी न जाएँ।" ~ मुंशी प्रेमचंद
"जिस साहित्य से हमारी सुरुचि न जागे, आध्यात्मिक और मानसिक तृप्ति न
मिले, हममें गति और शक्ति न पैदा हो, हमारा
सौंदर्य प्रेम न जागृत हो, जो हममें संकल्प और कठिनाइयों पर
विजय प्राप्त करने की सच्ची दृढ़ता न उत्पन्न करे, वह हमारे लिए
बेकार है वह साहित्य कहलाने का अधिकारी नहीं है।" ~ मुंशी प्रेमचंद
"आकाश में उड़ने वाले पंछी को भी अपने घर की याद
आती है।" ~ मुंशी प्रेमचंद
"जिस प्रकार नेत्रहीन के लिए दर्पण बेकार है उसी
प्रकार बुद्धिहीन के लिए विद्या बेकार है।" ~ मुंशी प्रेमचंद
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"न्याय और नीति लक्ष्मी के खिलौने हैं, वह जैसे चाहती है नचाती है।" ~
मुंशी प्रेमचंद
"युवावस्था आवेशमय होती है, वह क्रोध से आग हो जाती है तो
करुणा से पानी भी।" ~ मुंशी प्रेमचंद
"अपनी भूल अपने ही हाथों से सुधर जाए तो यह उससे
कहीं अच्छा है कि कोई दूसरा उसे सुधारे।" ~ मुंशी प्रेमचंद
"देश का उद्धार विलासियों द्वारा नहीं हो सकता।
उसके लिए सच्चा त्यागी होना आवश्यक है।" ~ मुंशी प्रेमचंद
"मासिक वेतन पूरनमासी का चाँद है जो एक दिन
दिखाई देता है और घटते घटते लुप्त हो जाता है।" ~ मुंशी प्रेमचंद
"क्रोध में मनुष्य अपने मन की बात नहीं कहता, वह केवल दूसरों का दिल दुखाना
चाहता है।" ~ मुंशी प्रेमचंद
"अनुराग, यौवन, रूप या धन से उत्पन्न
नहीं होता। अनुराग, अनुराग से उत्पन्न होता है।" ~ मुंशी प्रेमचंद
"दुखियारों को हमदर्दी के आँसू भी कम प्यारे
नहीं होते।" ~ मुंशी प्रेमचंद
"विजयी व्यक्ति स्वभाव से, बहिर्मुखी होता है। पराजय
व्यक्ति को अन्तर्मुखी बनाती है।" ~ मुंशी प्रेमचंद
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"अतीत चाहे जैसा हो, उसकी स्मृतियाँ प्रायः सुखद
होती हैं।" ~ मुंशी प्रेमचंद
"दुखियारों को हमदर्दी के आंसू भी कम प्यारे
नहीं होते।" ~ मुंशी प्रेमचंद
"मै एक मज़दूर हूँ। जिस दिन कुछ लिख न लूँ, उस दिन मुझे रोटी खाने का कोई
हक नहीं।" ~ मुंशी प्रेमचंद
"निराशा सम्भव को असम्भव बना देती है।" ~ मुंशी प्रेमचंद
"बल की शिकायतें सब सुनते हैं, निर्बल की फरियाद कोई नहीं
सुनता।" ~ मुंशी प्रेमचंद
"दौलत से आदमी को जो सम्मान मिलता है, वह उसका नहीं, उसकी दौलत का सम्मान है।" ~ मुंशी प्रेमचंद
"संसार के सारे नाते स्नेह के नाते हैं, जहां स्नेह नहीं वहां कुछ
नहीं है।" ~ मुंशी प्रेमचंद
"खाने और सोने का नाम जीवन नहीं है, जीवन नाम है, आगे बढ़ते रहने की लगन का।" ~ मुंशी मुंशी प्रेमचंद
"जीवन की दुर्घटनाओं में अक्सर बड़े महत्व के
नैतिक पहलू छिपे हुए होते हैं!" ~ मुंशी प्रेमचंद
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"नमस्कार करने वाला व्यक्ति विनम्रता को ग्रहण
करता है और समाज में सभी के प्रेम का पात्र बन जाता है।" ~ मुंशी प्रेमचंद
"अच्छे कामों की सिद्धि में बड़ी देर लगती है, पर बुरे कामों की सिद्धि में
यह बात नहीं।" ~ मुंशी प्रेमचंद
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"स्वार्थ की माया अत्यन्त प्रबल है |" ~ मुंशी प्रेमचंद
"केवल बुद्धि के द्वारा ही मानव का मनुष्यत्व
प्रकट होता है |" ~ मुंशी प्रेमचंद
"कार्यकुशल व्यक्ति की सभी जगह जरुरत पड़ती है |" ~ मुंशी प्रेमचंद
"दया मनुष्य का स्वाभाविक गुण है।" ~मुंशी प्रेमचंद
"सौभाग्य उन्हीं को प्राप्त होता है, जो अपने कर्तव्य पथ पर अविचल
रहते हैं |" ~ मुंशी प्रेमचंद
"कर्तव्य कभी आग और पानी की परवाह नहीं करता | कर्तव्य~पालन
में ही चित्त की शांति है |" ~ मुंशी प्रेमचंद
"नमस्कार करने वाला व्यक्ति विनम्रता को ग्रहण
करता है और समाज में सभी के प्रेम का पात्र बन जाता है |" ~ मुंशी प्रेमचंद
"अन्याय में सहयोग देना, अन्याय करने के ही समान है |" ~ मुंशी प्रेमचंद
"जो प्रेम असहिष्णु हो, जो दूसरों के मनोभावों का तनिक
भी विचार न करे, जो मिथ्या कलंक आरोपण करने में संकोच न करे,
वह उन्माद है, प्रेम नहीं|" ~ मुंशी प्रेमचंद
"हम जिनके लिए त्याग करते हैं, उनसे किसी बदले की आशा ना रखकर
भी उनके मन पर शासन करना चाहते हैं| चाहे वह शासन उन्हीं के
हित के लिए हो| त्याग की मात्रा जितनी ज्यादा होती है,
यह शासन भावना उतनी ही प्रबल होती है|" ~ मुंशी प्रेमचंद
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"लगन को कांटों कि परवाह नहीं होती |" ~ मुंशी प्रेमचंद
"उपहार और विरोध तो सुधारक के पुरस्कार हैं |" ~ मुंशी प्रेमचंद
"जब हम अपनी भूल पर लज्जित होते हैं, तो यथार्थ बात अपने आप ही मुंह
से निकल पड़ती है |" ~ मुंशी प्रेमचंद
"अपनी भूल अपने ही हाथ सुधर जाए तो,यह उससे कहीं अच्छा है कि दूसरा
उसे सुधारे |" ~ मुंशी प्रेमचंद
"विपत्ति से बढ़कर अनुभव सिखाने वाला कोई
विद्यालय आज तक नहीं खुला|" ~ मुंशी प्रेमचंद
"आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन गरूर है|" ~ मुंशी प्रेमचंद
"चिंता रोग का मूल है।" – मुंशी प्रेमचंद
"चिंता एक काली दिवार की भांति चारों ओर से घेर
लेती है, जिसमें
से निकलने की फिर कोई गली नहीं सूझती।" – मुंशी प्रेमचंद
प्रेरक अनमोल विचारों तथा कथनों का विशाल संग्रह पढ़ें :
jivan me kuch positivity lane ke liye hamesha kuch na kuch positive padhana chahiye.
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