story in hindi,hindi kahani,kahaniya,hindi kahaniya,रात का अंधेरा काला साया, खामोशी से भरा , हल्की हल्की गिरती बारिश की बूँदें । एक पतली सी सड़क और उसे सड़क के दोनो तरफ़ घना जंगल, बारिश की वजह से सड़क गीली हो चुकी थी, तभी उस सुनसान सड़क पे एक इंसान नज़र आया जो धीरे धीरे आगे बढ़ रहा था। काले अंधेरे के साये में वो धीरे-धीरे सड़क पे आगे बढ़ रहा था, उसने ब्लॅक कलर का लंबा सा कोट पहना हुआ था, गर्दन में मोटा सा मफ्लर, हाथों में ब्लॅक कलर के ग्लव्स पहन, और आधे चेहरे पे कपड़ा बाँध रखा था और बारिश से बचने के लिए उसने छतरी ली हुई थी ।
रात का अंधेरा काला साया, खामोशी से भरा , हल्की
हल्की गिरती बारिश की बूँदें । एक पतली सी सड़क और उसे सड़क के दोनो तरफ़ घना जंगल, बारिश
की वजह से सड़क गीली हो चुकी थी, तभी उस सुनसान सड़क पे एक
इंसान नज़र आया जो धीरे धीरे आगे बढ़ रहा था।
काले अंधेरे के साये में
वो धीरे-धीरे सड़क पे आगे बढ़ रहा था, उसने ब्लॅक कलर का लंबा
सा कोट पहना हुआ था, गर्दन में मोटा सा मफ्लर, हाथों में ब्लॅक कलर के
ग्लव्स पहन, और आधे चेहरे पे कपड़ा
बाँध रखा था और बारिश से बचने के लिए उसने छतरी ली हुई थी ।
सड़क गीली होने की
वजह से एक अजीब सी आवाज़ उसके चलने की वजह से आ रही थी , अजीब
सी आवाज़ … पकच..पकचह… पकचह……पकचह , उस जगह पे इतनी शांति थी कि वो आवाज
बड़ी आसानी से सुनी जा सकती थी, अचानक वो आदमी चलते चलते रुक गया और उसने अपनी
गर्दन पीछे की तरफ घुमाई, उसकी आँखों
को देख के ऐसा लग रहा था मानो वो कुछ ढूँढ रहा हो, धीरे धीरे उसने अपने हाथ
से चेहरे पे पहना मास्क हटाया , लेकिन पीछे देखने का कोई फ़ायदा नही मिल रहा था
क्यूँ की पीछे सिर्फ़ अंधेरा था और कुछ नही,
नजरें सीधी कर वह फिर से चलने लगा।
बारिश अब काफी धीमी हो चुकी थी, और
ठंडी हवा धीरे-धीरे चलने लगी थी, वो
आदमी चलते चलते कभी अपने लेफ्ट देखता तो कभी राइट, उसके चेहरे पे हल्की सी
घबराहट दिखाई दे रही थी । माहौल ही
कुछ ऐसा था, काला
अंधेरा, सुनसान
जगह, जहाँ
सिर्फ़ एक इंसान के अलावा कोई ना हो ऐसे में अगर इंसान डरा हुआ हो तो ये पल काफी होता
है किसी की भी दिल की धड़कने तेज करने के लिए, यही उसके साथ भी हो रहा था, आगे
तो वो धीरे धीरे बढ़ रहा था पर उसके दिल की धड़कने उसके चलने से कई ज़ायदा गुना तेज
चल रही थी ।
“11 बज
गये, मुझे
जल्दी पहुच के सारी बात अच्छे से बतानी पड़ेगी” उसने टाइम देखते हुए
अपने आप से कहा और बोलते हुए आगे बढ़ने लगा कि तभी उसे ऐसा
आभास हुआ मानो उसके पीछे कोई हो और उसके साथ साथ उसके पीछे चल रहा हो, उसकी धड़कने और तेज हो गयी, चेहरे पे घबराहट की
लकीरें और बढ़ गयी, उसके माथे की शिकन बढ़ गयी, उसकी
साँसें तेज चल रही थी, पर फिर भी वो चले जा रहा था, लेकिन
कुछ देर वो आगे चलने के बाद वो अचानक रूक
गया, क्यूँकी
उसके दिमाग़ और उसके मन से अभी तक वो डर नही गया था, उसे अभी तक लग रहा था कि कोई उसका
पीछा कर रहा है, रुकते
ही उसने झटके से पीछे देखा और एक बार फिर काले अंधेरे में देखने की कोशिश
करने लगा , लेकिन
जब उसे लगा कि पीछे
कोई नही है वो वापिस घूम के चलने लगा ।
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धीरे धीरे हवाएँ तेजी से बहने लगीं और पेड़ों की आवाज़ ने उस जगह की
खामोशी को ख़त्म कर दिया । वो आदमी कुछ बड़बड़ाते हुई आगे तरफ रहा था, उसके
चेहरे पे घबराहट अभी तक बनी हुई थी।
” कौन है! ” अचानक
वो चलते चलते रुक गया और एक दम से चिल्ला पड़ा , “कौन है ”!
इधर उधर देखते हुए वो फिर से एक बार चिल्लाया । लेकिन कुछ नही था, हवा के चलने की वजह से वहा पेड़ों के पत्ते हिल
रहे थे और उसके अलावा कुछ नही।
उस आदमी ने अपने चेहरे को अपने हाथों से सहलाया, ” क्या
हो गया मुझे , ये
सब सिर्फ़ उन सब चीज़ों की वजह से हो रहा है जो 2 दिन से में सुन रहा हूँ
, देख
रहा हूँ , ये
सब उसी का असर है ”
अपने आप से कहते हुए एक बार फिर वो चलने लगा और
कुछ सोचने लगा …।
दूसरी तरफ़……...
घर के हॉल में कई लोग ज़मीन पे बैठे थे और आपस में
बातें कर रहे थे, उनकी आवाज़ से हॉल में अजीब सा शोर गूँज रहा था कि तभी..
”अरे साहब आ
गये ” एक आदमी
हाथ जोड़ के खड़े होते हुए बोला, उसके साथ सभी खड़े हो गये ।
उन सब के सामने एक शख्श खड़ा था जो करीब 30-35 साल का नॉर्मल सा इंसान लग रहा था, गर्म कपड़े पहन रखे थे, वो सीधा
चलता हुआ आया और कुर्सी पे आके बैठ गया।
”छोटू ज़रा
आग को थोड़ा और बढ़ा दे, ठंड कुछ ज्यादा ही बढ़ गयी है ” उसने अपने नौकर से अपनी वज़नदार आवाज़ में कहा , और फिर सामने सभी को देखने लगा ।
” जी साहब, लकड़ियाँ पीछे वाले कमरे में है, मै अभी ले कर आता हूँ ” बोल कर नौकर
निकल गया।
“आप लोग खड़े क्यूँ है,बैठ जाइए" उस शख्स ने सामने खड़े लोगों को बैठने के लिए कहा।
सभी ज़मीन पे बिछे कार्पेट पे बैठ गये।
” कहिए ,ऐसी क्या ज़रूरी बात करनी थी,जो आप सब यहाँ तक आए वो भी इस ठंड में?”
”हम वहाँ काम नही कर सकते।” सामने बैठे लोगों में से एक ने थोड़ा गुस्से में खड़े होते हूए बोला।
“काम नही कर सकते पर क्यूँ , क्या वजह है?" कुर्सी
पे बैठे आदमी ने जवाब बड़ी नर्मी से दिया।
” वजह नही पता आपको, पिछले 2 दिनो में क्या क्या हुआ है वहाँ, उसके बारे मे आपको कुछ नही पता है ,या फिर पता होते
हुए भी हमसे छुपाने का नाटक कर रहे हैं।"
"देखो मुझे कुछ नही पता है, तुम क्या कहना चाहते हो साफ़ साफ़ बताओ।” कुर्सी पर बैठे शख्स में कहा !
नर्मी से एक बार फिर से जवाब आया।
” ऐ गोलू, चुप हो जा, बड़े साहब से
बात करने की तुझे तमीज़ है की नही ” दूसरे आदमी ने उसका हाथ
पकड़ कर उससे कहा।
” माफ़ करना साहब, जवान खून है, जोश में थोड़ा ऊंचा बोल गया, ये नही ध्यान रहा कि मजदूर और मालिक में
बहुत फ़र्क होता है ।” उस आदमी ने सामने हाथ जोड़कर माफ़ी माँगी
”कोई बात नही, ये सब छोडो और ये बताओ आखिर क्या हुआ है, जो तुम सब इतने घबराए हुए लग रहे हो ?”
” बात ही कुछ ऐसी है साहब कि जिसे सुन और देख के घबराहट की लहर हम सभी के शरीर में दौड़ रही है” उस आदमी ने थोड़ी धीमी आवाज़ में कहा, उसने आगे कहना शुरू किया और कहते कहते उसके चेहरे के भाव बदलने लगे।
”जिस जगह पर हम काम कर रहे हैं साहब, वहाँ कुछ ग़लत चीज़ है, कोई
है जो हमे काम करने देना नही चाहता, कोई है जो हमे चेतावनी दे रहा है वहाँ से चले जाने की ।”
“कौन है वो?" कुर्सी पर बैठे आदमी ने भी धीमी आवाज़ में पूछा।।
”शायद कोई शैतान है साहब, क्योंकि एक शैतान ही ऐसे काम कर सकता है ”
” कैसे काम की बात कर रहे हो तुम , क्या हुआ है वहाँ? ”
” मौत
,मौत हुई है वहाँ, वो भी कोई आम मौत नही साहब , दर्दनाक
मौत।"
" मौत का नाम सुनते ही कुर्सी पर बैठे आदमी की आँखें बड़ी हो गयी ,
मानो
उसको बहुत बड़ा झटका दिया हो अभी।
“मौत , शैतान ,क्या बोल रहे हो रघु तुम , मुझे अभी तक कुछ समझ नही आया , आख़िर हुआ क्या है, मुझे साफ़ साफ़ क्यूँ नही बता रहे हो तुम लोग ” इस बार थोड़ी उँची आवाज़ में कहा।
एक पल के लिए वहाँ शांति हो
गयी ,रघु भी चुप था , कुर्सी पे बैठा आदमी और ज़मीन पे बैठे सारे आदमी रघु की तरफ़ देख रहे थे, और रघु अपनी बात
को कहने के लिए शब्द ढूँढ रहा था ।
क्रमशः
शेष एपिसोड-२ में प्रकाशित किया जायेगा !! ये कहानी आपको कैसी लगी! इसके बारे में अपनी प्रतिक्रियाएँ हमें जरूर दें !!
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सर आपकी ये कहानी अच्छी लगी इस कहानी का एपिसोड-२ जल्द ही प्रकाशित कीजिये हमें उसे पढ़ने की उत्सुकता हैं
जवाब देंहटाएंधन्यवाद्
रोचक कहानी है आपकी इसका एपिसोड 2 पढ़े बगैर नही रहा जा रहा कब प्रकाशित होगी शीघ्र बताएं।
हटाएंशानदार , मतलब लिखने के साथ ही चोरी हो गई थी 😂😂 खैर , जहा से चुराए हो वह कहानी खत्म ही नही बल्कि दूसरा पार्ट DNR2 भी पूरी हो चुकी है
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