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दर्शन का उद्देश्य जीवन
कि व्याख्या करना नहीं उसे बदलना है। - सर्वपल्ली राधाकृष्णन
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जब ज़िन्दगी को अपने
दिल के गीत सुनाने का मौक़ा नहीं मिलता तब वह अपने मन के विचार सुनाने के लिए
दार्शनिक पैदा कर देती है। - खलील जिब्रान
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दार्शनिक होने का अर्थ
केवल सूक्ष्म विचारक होना या केवल किसी दर्शन प्रणाली को चला देना नहीं है बल्कि
यह है कि हम ज्ञान के ऐसे प्रेमी बन जायें कि उसके इशारों पर चलते हुए विश्वास,
सादगी, स्वतंत्रता और उदारता का जीवन व्यतीत
करने लगें। - थोरो
दुर्बलता
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स्वयं को भेंड बना लोगे
तो भेड़िये आकर तुम्हे खा जायेंगे। - जर्मन कहावत
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मन कि दुर्बलता से
भयंकर और कोई पाप नहीं। - विवेकानंद
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दुर्बल को ना सताइए,
जाको मोती हाय, मुई खल कि सांस सों, सार भसम हो जाय। - कबीर
दुर्भावना
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दुर्भावना को मैं
मनुष्य का कलंक समझता हूँ। - महात्मा गाँधी
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दुर्भावना अपने विष का
आधा भगा स्वयं पीती है। - सैनेका
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आदमी की दुर्भावना उसके
दुश्मन के बजाय उसे ही अधिक दुःख देती है। - चार्ल बक्सटन
दुर्वचन
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दुर्वचन पशुओं तक को
अप्रिय होते हैं। - बुद्ध
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दुर्वचन कहने वाला
तिरस्कृत नहीं करता बल्कि दुर्वचन के प्रति ह्रदय में उठी हुई भावना तिरस्कार करती
है, इसीलिए जब कोई तुम्हे उत्तेजित करता है तो यह
तुम्हारे अन्दर की भावना ही है जो तुम्हे उत्तेजित करती है। - एपिक्टेतस
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दुर्वचन का सामना हमें
सहनशीलता से करना चाहिए। - महात्मा गाँधी
देश
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दुरात्मा के लिए
देश-भक्ति अंतिम शरण है। - जॉन्सन
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यदि देश-भक्ति का मतलब
व्यापक मानव मात्र का हित चिंतन नहीं है तो उसका कोई अर्थ ही नहीं है। - महात्मा
गाँधी
देह
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देह आत्मा के रहने की
जगह होने के कारण तीर्थ जैसी पवित्र है। - महात्मा गाँधी
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देह एक रथ है,
इन्द्रिय उसमे घोड़े, बुद्धि सारथी और मन लगाम
है, केवल देह पोषण करना आत्मघात है। - ज्ञानेश्वरी
धीरज
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कबीरा धीरज के धरे,
हाथी मन भर खाय, टूक एक के कारने, स्वान घरे घर जाय। - कबीर
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शोक में,
आर्थिक संकट में या प्रानान्त्कारी भय उत्पन्न होने पर जो अपनी
बुद्धि से दुःख निवारण के उपाय का विचार करते हुए दीराज धारण करता है उसे कष्ट
नहीं उठाना पड़ता। - वाल्मीकि
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जितनी जल्दी करोगे उतनी
देर लगेगी। - चर्चिल
धोका
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अगर कोई व्यक्ति मुझे
दोखा देता है तो धित्कार है उसपर और अगर कोई दूसरी बार मुझे धोका देता है तो लानत
है मुझपर। - कहावत
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धूर्त को धोका देना
धूर्तता नहीं है। - कहावत
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हेत प्रति से जो मिले,
ताको मिलिए धाय, अंतर राखे जो मिले, तासौं मिलै बलाय। - कबीर
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सब धोकों में प्रथम और
ख़राब अपने आप को धोखा देना है। - बेली
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स्पष्टभाषी दोखेबाज़
नहीं होता। - चाणक्य
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मुंह में राम बगल में
छुरी। - कहावत
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मुझे जितनी जहन्नुम से
फाटकों से घृणा है उतनी ही उस व्यक्ति से घृणा है जो दिल में एक बात छुपाकर दूसरी
कहता है। - होमर
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ज़्यादा मधुर बानी
धोकेबाज़ी की निशानी। - कहावत
नक़ल
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किसी को अपना
व्यक्तित्व छोड़कर दुसरे का व्यक्तित्व नहीं अपनाना चाहिए। - चैनिंग
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नक़ल के लिए भी कुछ अकल
चाहिए। - फारसी कहावत
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मानव नक़ल करने वाला
प्राणी है और जो सबसे आगे रहता है वो नेत्रित्व करता है। - शिलर
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उपदेश के बजाय कहीं
ज़्यादा हम हम करके सीखते हैं। - बर्क
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जहाँ नक़ल है वहां
ख़ाली दिखावत होगी, जहाँ ख़ाली दिखावत है वहां मूर्खता होगी। - जॉन्सन
नरक
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संसार में छल,
प्रवंचना और हत्याओं को देखकर कभी कभी मान लेना पड़ता है की यह जगत
ही नरक है। - जयशंकर प्रसाद
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काम,
क्रोध, मद, लोभ सब,
नाथ नरक के पंथ। - तुलसीदास
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अति क्रोध,
कटु वाणी, दरिद्रता, स्वजनों
से बैर, नीचों का संग और अकुलीन की सेवा, ये नरक में रहाहे वालों के लक्षण हैं। - चाणक्य नीति
नाम
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नाम में क्या रखा है
जिसे हम गुलाब खाहते हैं वह किसी और नाम से भी सुगंध ही देगा। - शेक्सपियर
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अपना नाम सदा क़ायम
रखने के लिए मनुष्य बड़े से बड़ा जोखिम उठाने, धन
खर्च करने, हर तरह के कष्ट सहने यहाँ तक की मरने के लिए भी
तैयार हो जाता है। - सुकरात
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अपने नाम को कमल की तरह
निष्कलंक बनाओ। - लांग फैलो
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आदि नाम परस अहै,
मन है मैला लोह, परसत ही कंचन भया, छूता बंधन मोह। - कबीर
निंदा
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यदि तुम्हारी कोई निंदा
करे तो भीतर ही भीतर प्रशन्न हो क्योंकि तुम्हारी निंदा करके वह तुम्हारे पाप अपने
ऊपर ले रहा है। - ब्रह्मानंद सरस्वती
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ऐ ईमान वालों,
दुसरे पर शक मत करो | दूसरों पर शक करना कभी
कभी गुनाह हो जाता है। - क़ुरान
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निंदक नियरे रखिये,
आँगन कुटी छाबाये, बिन पानी बिन साबुना,
निर्मल करे सुहाए। - कबीर
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हर किसी की निंदा सुन
लो लेकिन अपना निर्णय गुप्त रखो। - शेक्सपियर
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जो तेरे सामने और की
निंदा है वो और के सामने तेरी निंदा करेगा। - कहावत
निद्रा
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निद्रावस्था
जागृतावस्था की स्तिथि का आईना है। - महात्मा गाँधी
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निद्रा रोगी की माता,
भोगी की प्रियतमा और आलसी की बेटी है। - अज्ञात
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निद्रा एक ऐसा अथाह
सागर है जिसमे हम सब अपने दुखों को डुबो देते है। - प्रेमचंद
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सोता साथ जगाइए,
करै नाम का जाप, यह तीनों सोते भले, साकत सिंह और सांप। - कबीर
निराशा
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निराशा दुर्बलता का
चिह्न है। - रामतीर्थ
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निराशा में प्रतीक्षा
अंधे की लाठी है। - प्रेमचंद
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निराशा स्वर्ग का सीलन
है जैसे प्रशन्नता स्वर्ग की शांति। - डाने
नियम
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नियम यदि एक क्षण के
लिए टूट जाये तो सारा सूर्यमंडल अस्त-व्यस्त हो जाए। - महात्मा गाँधी
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जो अपने लिए नियम नहीं
बनाता उसे दूसरों के नियमों पर चलना पड़ता है। - हरिभाऊ उपाध्याय
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प्रकृति का यह साधारण
नियम है जो कभी नहीं बदलेगा ही योग्य अयोग्यों पर शासन करते रहेंगे। - दायोनीसियस
निश्चय
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अनुभव बताता है की
आवश्यकता कल में द्रिड निश्हय पूरी सहायता करता है। - शेक्सपियर
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जिसका निश्चय द्रिड और
अटल है बह दुनिया को अपनी सोच में ढाल सकता है। - गेटे
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हम अपने अच्छे से अच्छे
कर्मो पर भी लज्जित हो सकते हैं यदि लोग केवल उस निश्चय को देख सकें जिसकी प्रेरणा
से वो किये गए हैं। - रोची
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सच्ची से सच्ची और
अच्छी से अच्छी चतुराई निश्चय है। - नेपोलियन
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जो व्यक्ति निश्चय कर
सकता है उसके लिए कुछ असंभव नहीं है। - एमर्सन
नीचता
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स्वाभाव की नीचता
बर्षों में भी मालूम नहीं होती। - शेख सादी
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कुछ कही नीच न छेडिये,
भलो न वाको संग, पाथर दारे कीच में, उछारे बिगारे अंग। - वृन्द
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नीच मनुष्य के साथ
मैत्री और प्रेम कुछ भी नहीं करना चाहिए, कोयला
अगर जल रहा है तो छूने से जला देता है और अगर ठंडा है तो हाथ काले कर देता है। -
हितोपदेश
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दाग़ जो काला नील का,
सौ मन साबुन धोय, कोटि जतन पर बोधिये, कागा हंस न होय। - कबीर
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जो उपकार करनेवाले को
नीच मनाता है उससे अधिक नीच कोई दूसरा नहीं। - विनोबा
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शक्तियों का एक नियम है
जिसके कारण चीज़ें समुद्र में एक ख़ास गहराई से नीचे नहीं जा सकती लेकिन नीचता के
समुद्र में हम जितने गहरे जाये डूबना उतना ही आसान होता है। - लाबैल
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नीच को देखने और उसकी
बातें सुनाने से ही हमारी नीचता का आरम्भ होता है। - कन्फ्युसियास
पछतावा, पश्चाताप
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अब पछताए होत क्या जब
चिड़िया चुग गयी खेत। - कहावत
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करता था सो क्यों किया,
अब करि क्यों पछताए, बोवे पेड़ बबूल का,
आम कहाँ से खाए। - कबीर
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पछतावा ह्रदय की वेदना
है और निर्मल जीवन का उदय। - शेक्सपियर
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सुधार के बिना पश्चाताप
ऐसा है जैसे सुराख़ बंद किये बिना जहाज़ में से पानी निकलना। - पामर
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मुझे कोई पछतावा नहीं
क्योंकि मैंने किसी का बुरा नहीं किया। - महात्मा गाँधी
पड़ौसी
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कोई भी इतना धनी नहीं
कि पड़ौसी के बिना काम चला सके। - डेनिस कहावत
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जब तुम्हारे पड़ौसी के
घर में आग लगी तो तुम्हारी संपत्ति पर भी ख़तरा है। - होरेस
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सच्चा पड़ौसी वह नहीं
जो तुम्हारे साथ उसी गली में रहता है बल्कि वह है जो तुम्हारे विचार स्तर पर रहता
है। - रामतीर्थ
पति-पत्नी
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योग्य पति अपनी पत्नी
को सम्मान की अधिकारिणी बना देता है। - मनु
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जिसे पति बनाना है उसके
लिए पुरुष बनाना ज़रूरी है। - टैगोर
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पति को कभी-कभी अँधा और
कभी-कभी बहरा होना चाहिए। - कहावत
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कर्मेशु मंत्री;
कार्येशु दासी ; रुपेशु लक्ष्मी; क्षमाया धरित्री; भोज्येशु माता; शयनेशु रम्भा; सत्कर्म नारी कुलधर्मपत्नी। - पति के
किये कार्य में मंत्री के समान सलाह देने वाली, सेवा में
दासी के सामान काम करने वाली, माता के समान स्वादिष्ट भोजन
करने वाली, शयन के समय रम्भा के सामान सुख देने वाली,
धर्म के अनुकूल और क्षमादी गुण धारण करने में पृथ्वी के सामान स्थिर
रहनेवाली होती है। - संस्कृत सूक्ति
पराधीनता
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पराधीन को ज़िन्दा कहें
तो मुर्दा कौन है? - हितोपदेश
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कोई ईमानदार आदमी हड्डी
की ख़ातिर अपने को कुत्ता नहीं बना सकता, और अगर
वह ऐसा करता है तो वह ईमानदार नहीं है। - डेनिस कहावत
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नौकर रखना बुरा है
लेकिन मालिक रखना और भी बुरा है। - पुर्तग़ाली कहावत
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पराधीनता समाज के समस्त
मौलिक नियमों के विरुद्ध है। - मान्तेस्क्यु
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जिन्हें हम हीन या नीच
बनाये रखते है वो भी क्रमशः हमें हेय और दीन बना देता हैं। - टैगोर
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ग़ुलामी में रखना इंसान
के शान के ख़िलाफ़ है, जिस ग़ुलाम को अपनी दशा का मान है और फिर भी
जंजीरों को तोड़ने का प्रयास नहीं करता वह पशु से हीन है, अन्तः
करण से प्रार्थना करनेवाला कभी ग़ुलामी को बर्दास्त नहीं कर सकता। - महात्मा गाँधी
आपकी कीमत Your Value
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सिक्के हमेशा आवाज़
करते हैं मगर नोट हमेशा खामोश रहते हैं। इसलिए, जब आपकी
कीमत बढ़े तो शांत रहिये। अपनी हैसियत का शोर मचाने का जिम्मा आपसे कम कीमत वालों
के लिए है।
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पैसा आपका दास है अगर
आप उसका उपयोग जानते हैं, वह आपका स्वामी है अगर आप उसका उपयोग नहीं जानते
है। - होरेस
पर्यावरण Environment
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हमारी सुरक्षा,
हमारी अर्थव्यवस्था और हमारे ग्रह के लिए बदलाव लाने का हममें साहस
और प्रतिबद्धता होनी चाहिए। - बराक ओबामा, अमेरिकी
राष्ट्रपति
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प्रकृति को बुरा-भला न
कहो। उसने अपना कर्तव्य पूरा किया, तुम
अपना करो। - मिल्टन
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हमारा पर्यावरण हमारे
रवैये और अपेक्षाओं का आइना होता है। - अर्ल नाइटेंगल
परिश्रम Hardwork
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कठोर परिश्रम से मनुष्य
सब कुछ प्राप्त कर सकता है। - चार्वाक
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न रगड़ के बिना रत्न पर
पालिश होती है, न कठिनाइयों के बिना मानव में पूर्णता आती है। -
लाओ रसे
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लक्ष्मी उद्यमी पुरुष
के पास ही रहती है। - सुभाषित
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संयम और परिश्रम मनुष्य
के दो सर्वोत्तम चिकित्सक हैं।
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आप कुछ भी कर पाने में
सक्षम हैं चाहे वह आपकी सोच हो, आपका जीवन हो या
आपके सपने हों, सब सच हो सकते हैं। आप जो चाहें वह कर सकते
हैं। आप इस अनंत ब्रह्माण्ड की तरह ही अनंत संभावनाओं से परिपूर्ण हैं। - शेड
हेल्म्स्तेटर
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आलस्यं हि मनुष्याणाम
शरीरस्थो महारिपुह (मनुष्य शरीर का सबसे बड़ा शत्रु आलस्य हि है)।
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परिश्रम करने से ही
कार्य सिद्ध होते है, केवल इच्छा करने से नहीं। - हितोपदेश
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मरते दम तक तू अपने
पसीने की कमाई की रोटी खाना। - बाइबल
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मनुष्य की सबसे अच्छी
मित्र उसकी दस उंगलियाँ हैं। - राबर्ट कोलियर
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मानव सुख जीवन में है
और जीवन परिश्रम में है। - अज्ञात
महापुरुष Great Soul
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सज्जन पुरुष बादलों के
सामान कुछ देने के लिए ही ग्रहण करते हैं। - कालिदास
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महापुरुष इस दुनिया से
जाने पर ऐसी ज्योति छोड़ जाते हैं, जो
उनके दुनिया से जाने के बाद भी कई युगों तक जगमगाती रहती है। - लांङ्गफेलो
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जैसे सूर्य आकाश में
छिप कर नहीं रह सकता, वैसे ही मार्ग दिखलाने वाले महापुरुष भी संसार में
छिपकर नहीं रह सकते। - वेदव्यास (महाभारत, वन पर्व))
सत्य Truth
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एक ईश्वर के अलावा
सबकुछ असत्य है। - मुण्डक उपनिषद्
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ईश्वर प्रत्येक मनुष्य
को सच और झूठ में एक को चुनने का अवसर देता है। - इमर्सन
सत्संग Satsang
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कबीरा संगत साधु की,
हरै और की व्याधि।
संगत बुरी असाधु की आठो पहर उपाधि। - कबीर
मौन (Maun)
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वाणी चांदी है तो मौन
सोना है।
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सुनना एक कला है,
इस कला के लिए कान और ध्यान दोनों चाहिए।
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व्यर्थ सुनने वालों से
बचना भी एक कला है।
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व्यर्थ की बातों से खुद
को बचाना भी एक कला है।
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बीती बातों को भूलने का
सर्वोत्तम तरीका है हमेश नई और रचनात्मक बातें सुनना व सोचना या उसमें रमण करना।
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वाणी से सुनने के अलावा
हम वक्ता से निकलने वाली अदृश्य तरंगो से भी बहुत कुछ सुनते हैं,
यह अधिक प्रभावशाली होता है, इसी को मौन की
भाषा कहते हैं। - विजय कुमार सिंह
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मौन से मतलब वाणीविहीन
बनना नहीं हैं। सही समय पर सही बात कहना, बडबोलेपन
से बचना भी मौन है। - कानन झिंगन
धर्म (Dharm) Religion
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जो दृढ राखे धर्म को,
नेहि राखे करतार।
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जहाँ धर्म नहीं,
वहां विद्या, लक्ष्मी। स्वास्थ्य आदि का भी
अभाव होता है।
धर्मरहित स्थिति में बिलकुल शुष्कता होती है,
शून्यता होती है। - महात्मा गाँधी
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पर हित सरिस धर्म नहिं
भाई। पर-पीड़ा सम नहिं अधमाई। - संत तुलसीदास
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मनुष्य की धार्मिक
वृत्ति ही उसकी सुरक्षा करती है। - आचार्य तुलसी
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धर्मो रक्षति रक्षतः
अर्थात मनुष्य धर्म की रक्षा करे तो धर्म भी उसकी रक्षा करता है। - महाभारत
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धार्मिक व्यक्ति दुःख
को सुख में बदलना जानता है। - आचार्य तुलसी
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धार्मिक वृत्ति बनाये
रखने वाला व्यक्ति कभी दुखी नहीं हो सकता और धार्मिक वृत्ति को खोने वाला कभी सुखी
नहीं हो सकता। - आचार्य तुलसी
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प्रलोभन और भय का मार्ग
बच्चों के लिए उपयोगी हो सकता है। लेकिन सच्चे धार्मिक व्यक्ति के दृष्टिकोण में
कभी लाभ हानि वाली संकीर्णता नहीं होती। - आचार्य तुलसी
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शांति से बढकर कोई ताप
नहीं, संतोष से बढकर कोई सुख नहीं, तृष्णा से बढकर कोई व्याधि नहीं और दया के सामान कोई धर्म नहीं। - चाणक्य
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हर अवसर और हर अवस्था
में जो अपना कर्त्तव्य दिखाई दे उसी को धर्म समझ कर पूरा करना चाहिए। - गीता
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धर्म एक भ्रमात्मक
सूर्य है जो मनुष्य के गिर्द धूमता रहता है जब तक मनुष्य मनुष्यता के गिर्द नहीं
घूमता। - कार्ल मार्क्स
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दो धर्मो का कभी झगड़ा
नहीं होता, सब धर्मो का अधर्म से ही झगड़ा होता है। - विनोबा
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धर्म परमेश्वर कि
कल्पना कर मनुष्य को दुर्बल बना देता है, उसमे
आत्मविश्वास उत्पन्न नहीं होने देता और उसकी स्वतंत्रता का अपरहण करता है। -
नरेन्द्र देव
प्रेरक अनमोल विचारों तथा कथनों का विशाल संग्रह पढ़ें :
सर्वश्रेष्ठ हिंदी अनमोल विचारों और कथनों का अद्भुत संग्रह!! ~ MegaCollection Of Best Hindi Quotes,Thoughts & Slogans!!
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