एक समय की बात है, एक राजा था। उसकी चार पत्नियां थीं, जो एक से बढ़कर एक सुन्दर एवं स्त्रैण गुणों से युक्त थीं। राजा उन चारों से अनुराग रखता था परंतु उसे चौथी पत्नी सर्वाधिक प्रिय थी फिर तीसरी, दूसरी और पहली। पहली पत्नी उनमें सर्वाधिक वयस्क थी।
एक दिन राजा वन में आखेट के लिए गया। वहाँ उसे एक अज्ञात कीट ने काट लिया और वह एक दुर्लभ बीमारी से ग्रसित हो गया। वैद्य एवं तांत्रिकों ने अपनी सारी विद्या का प्रयोग किया परंतु उसकी अवस्था को सुधार नहीं पाए। अंतत: उन्होंने यह कहा कि राजा की मृत्यु निकट है और अब वह कुछ ही दिनों के अतिथि हैं।
राजा ने अपनी संपत्ति को रानियों में विभाजित करने का निर्णय किया, क्योंकि उसका कोई उत्तराधिकारी नहीं था। परंतु सामान्य रूप से विभाजन करने की जगह कौनसी रानी उसे कितना प्रेम करती है इस आधार पर संपत्ति को बांटने का निर्णय किया। उसने एक चतुर योजना बनाई और सभी रानियों को एक-एक कर के बुलाया। उसने चौथी रानी से आरम्भ किया जो सब से छोटी थी और जिससे वह सबसे अधिक प्रेम करता था।
“मेरे जीवन के केवल तीन दिन शेष हैं”, उसने कहा। “मैं तुम्हें एक रहस्य बताता हूँ। बहुत पहले मुझे एक साधू ने एक शक्तिशाली यंत्र दिया था जिससे मुझे स्वर्ग की प्राप्ति होगी यदि मैं साथ में एक और व्यक्ति को ले जाऊं। परंतु इससे पहले की स्वर्ग में प्रवेश करें हमे दारुण यंत्रणा सहन करनी होगी और नर्क में सात वर्ष व्यतीत करने होंगे। क्योंकि हम एक दूसरों से सर्वाधिक प्रेम करते हैं इसलिए मैंने यह निश्चय किया है कि मैं तुम्हें अपने साथ आने का यह अवसर प्रदान करूँगा।”
रानी को राजा की आसन्न मृत्यु पर पूर्ण विश्वास था, और उसने भावना रहित स्वर में कहा “इसमें संदेह नहीं कि मैं आप से प्रेम करती हूं परंतु प्रत्येक व्यक्ति को अपनी मृत्यु का स्वयं ही सामना करना होता है। मैं यहीं रानी के रूप में रहना पसंद। मुझे तो प्रेम एवं सत्कार की आदत है।”
राजा ने अपनी तीसरी पत्नी को पास बुलाया और समस्त घटना वृतांत सुनाया। परंतु तीसरी रानी ने भी राजा के साथ जाने से मना कर दिया।
राजा इस बार भी निराश हुआ। उसे धीरे-धीरे पत्नियों की वास्तविकता समझ आने लग गई थी। उसने तीसरी पत्नी को विदा किया और अपनी दूसरी पत्नी को बुलवाया।
दूसरी रानी ने पूर्ण कथा सुनी और कहा, “मैं आप को यह सिद्ध करूँगी कि मैंने आप से सबसे अधिक प्रेम किया है। पर मै आपके साथ नहीं चल सकती”
राजा उसे भी विदा कर देता है और अपनी पहली पत्नी को बुलाता है जो सबसे वयस्क थी और जिस को उसने सबसे कम ध्यान एवं स्नेह दिया था। जैसे ही वह सारी कथा सुनती है वह तत्परता से उत्तर देती है,“आप जहाँ भी जायेंगे मैं आप के साथ चलूंगी। मैं आप का विश्वास कभी खंडित नहीं करूँगी।”
राजा अब शांति अनुभव करता है कि कोई तो है जो उसे बिना किसी अपेक्षा के प्रेम करता है।
यह कहानी हमें क्या सिखाती है
यह कथा वास्तव में किसी राजा और उनकी रानियों की नहीं है, यह कथा है आप की, हमारी और प्रत्येक मनुष्य की। हर व्यक्ति की चार निम्नलिखित पत्नियां होती हैं –
चौथी और सबसे युवा पत्नी हैं संपत्ति। यदि किसी को उत्तराधिकार में भी संपत्ति प्राप्त होती है तो भी यह अल्पकालीन अधिकार ही होता है, जो की मात्र एक जीवन काल तक ही सीमित होता है। जब किसी की मृत्यु होती है तो यह उसके साथ बिलकुल नहीं जाती।
तीसरी पत्नी है सम्बन्धी, अर्थात परिवार। इसका कोई प्रयोजन नहीं कि किसी व्यक्ति ने अपने जीवन काल में परिवार के लिए कितना कुछ भी किया हो अथवा आप के सम्बन्धी आप से कितना भी प्रेम क्यों ना करते हों, वे शमशान भूमि के आगे आप के साथ नहीं जा सकते।
द्वितीय पत्नी है शरीर। अपने जीवन काल में मनुष्य अपने शरीर का कितना भी क्यों ना ध्यान रखे परंतु यह तो निरंतर क्षय शील है। यह किसी के साथ चिता के आगे नहीं जाता।
प्रथम पत्नी है कर्म। आप के कर्म आप के साथ अनेक जन्मों तक चलते है। हम क्या करते हैं इसी से निश्चित होता है हम क्या प्राप्त करेंगे। आप को इसी पर सर्वाधिक ध्यान देना चाहिए।
हममे से अधिकतर लोग इस कहानी के राजा की तरह ही जीवन जीते हैं। ऊपर लिखे क्रमानुसार ही अपनी पत्नियों से प्रेम करते हैं। हालांकि यह आवश्यक है कि हम अपनी संपत्ति, सम्बन्धी और शरीर का भी ध्यान रखें, हम अपने कर्मों और उसके फलों के लिए सदा ही उत्तरदायी होते हैं। जब अच्छे कर्म आप की पहचान होते हैं और आपके जीवन का आधार होते हैं तो आप स्वयं ही शांति का अनुभव करते हैं। एक स्वस्थ शरीर भी महत्वपूर्ण है क्योंकि जब आप शारीरिक रूप से सबल हों तभी आप अपना ध्यान रख सकते हैं और अपना उत्तरदायित्व निभा सकते हैं।
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As usual amazing article .... really fantastic .... Thanks for sharing this!! :) :)
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया कहानी सच्चा प्यार कभी भी साथ नहीं छोड़ता.
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया और सीख देती है यह कहानी
जवाब देंहटाएंहमारा जीवन कर्म प्रधान हे और यही हम सब भूल जाते हे . हर कोई वयक्ति अपने जीवन मे दुखी व तनाव मे रहता हे कारण वो क्या कर रहा हे उसे ही समज नही हे केवल गीता हमारे घर की शोभा बड़ाती हे इससे ज़्यादा कुछ नही
जवाब देंहटाएंUltimate truth....
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