Best Vidur Neeti Quotes In Hindi ~ महात्मा विदुर के सर्वश्रेष्ठ अनमोल विचार और नीतियाँ,famous quotes of vidur in hindi, vidur quotes in hindi, Best vidur Quotes In Hindi, vidur Quotes, Quotes By mahatma vidur, best quotes of vidur in hindi, vidur neeti quotes in hindi, famous quotes in hindi language, vidur quotes in hindi for success,
महात्मा विदुर की सम्पूर्ण नीतियों को प्रकाशित करने का सिलसिला हमने पहले ही शुरू किया था जिसके तहत हमने विदुर नीति के चार अध्यायों को अब तक प्रकाशित किया है जिन्हें आप निम्नलिखित लिंकों पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं:
इस पोस्ट में हम महात्मा विदुर के अनमोल विचारों को प्रस्तुत कर रहे हैं, हर इन कथनों में हम जीवन को बेहतर बनाने की सीख, सीख सकते हैं।
Mahatma Vidur Quotes In Hindi
“अपना और जगत का कल्याण अथवा उन्नति चाहने वाले
मनुष्य को तंद्रा, निद्रा, भय, क्रोध, आलस्य और प्रमाद। यह छह दोष हमेशा के लिए त्याग देने चाहिए।“~ विदुर
“क्षमा को दोष नहीं मानना चाहिए, निश्चय ही क्षमा परम बल है। क्षमा निर्बल मनुष्यों का गुण है
और बलवानों का क्षमा भूषण है।“~ विदुर
“काम, क्रोध और लोभ यह तीन प्रकार
के नरक यानी दुखों की ओर जाने के मार्ग है। यह तीनों आत्मा का नाश करने वाले हैं, इसलिए इनसे हमेशा दूर रहना चाहिए।“~ विदुर
“ईर्ष्या, दूसरों से घृणा करने वाला, असंतुष्ट, क्रोध करने वाला, शंकालु और पराश्रित (दूसरों पर आश्रित रहने वाले) इन छह प्रकार
के व्यक्ति सदा दुखी रहते हैं।“~ विदुर
“जो पुरुष अच्छे कर्मों और पुरुषों में विश्वास नहीं रखता, गुरुजनों में भी स्वभाव से ही शंकित रहता है। किसी का विश्वास
नहीं करता, मित्रों का परित्याग करता है... वह पुरुष निश्चय
ही अधर्मी होता है।“~ विदुर
“जिस धन को अर्जित करने
में मन तथा शरीर को क्लेश हो, धर्म का उल्लंघन करना
पड़े, शत्रु के सामने अपना सिर झुकाने की बाध्यता उपस्थित हो, उसे प्राप्त करने का विचार ही त्याग देना श्रेयस्कर है।“~ विदुर
“जो विश्वास का पात्र नहीं है, उसका तो कभी विश्वास किया ही नहीं जाना चाहिए। पर जो विश्वास
के योग्य है, उस पर भी अधिक विश्वास नहीं किया जाना चाहिए।
विश्वास से जो भय उत्पन्न होता है, वह मूल उद्देश्य का भी
नाश कर डालता है।“~ विदुर
“संसार के छह सुख प्रमुख है- धन प्राप्ति, हमेशा स्वस्थ रहना, वश में रहने वाले पुत्र, प्रिय भार्या, प्रिय बोलने वाली भार्या
और मनोरथ पूर्ण कराने वाली विद्या अर्थात् इन छह से संसार में सुख उपलब्ध होता है।“~ विदुर
“बुद्धिमान व्यक्ति के प्रति अपराध कर कोई दूर भी चला जाए तो
चैन से न बैठे, क्योंकि बुद्धिमान व्यक्ति की बाहें लंबी होती
है और समय आने पर वह अपना बदला लेता है।“~ विदुर
“अच्छे कर्मो को अपनाना और बुरे कर्मों से दूर रहना, साथ ही परमात्मा में विश्वास रखना और श्रद्धालु भी होना – ऐसे सद्गुण बुद्धिमान और पंडित होने का लक्षण है।“~ विदुर
“अपने वास्तविक स्वरूप का ज्ञान, उद्योग, दुःख सहने की शक्ति और धर्म में स्थिरता – ये गुण जिस मनुष्य को पुरुषार्थ करने से नहीं रोक पाते, वही बुद्धिमान या पंडित कहलाता है।“~ विदुर
“अल्पमात्रा में धन होते हुए भी कीमती वस्तु को पाने की कामना
और शक्तिहीन होते हुए भी क्रोध करना मनुष्य की देह के लिये कष्टदायक और कांटों के समान
है।“~ विदुर
“ऐसे पुरूषों को अनर्थ दूर से ही छोड़ देते हैं-जो अपने आश्रित
जनों को बांटकर खाता है, बहुत अधिक काम करके भी
थोड़ा सोता है तथा मांगने पर जो मित्र नहीं है, उसे भी धन देता है।“~ विदुर
सम्पूर्ण महाभारत भी पढ़ें:
“पर स्त्री का स्पर्श, पर धन का हरण, मित्रों का त्याग रूप यह तीनों दोष क्रमशः काम, लोभ, और क्रोध से उत्पन्न होते
हैं।“~ विदुर
“कटु वचन रूपी बाण से आहत मनुष्य रात-दिन घुलता रहता है।“~ विदुर
“किसी धनुर्धर वीर के द्वारा छोड़ा हुआ बाण संभव है, किसी एक को भी मारे या न मारे। मगर बुद्धिमान द्वारा प्रयुक्त
की हुई बुद्धि राजा के साथ-साथ सम्पूर्ण राष्ट्र का विनाश कर सकती है।“~ विदुर
“किसी प्रयोजन से किये गए कर्मों में पहले प्रयोजन को समझ लेना
चाहिए। खूब सोच-विचार कर काम करना चाहिए, जल्दबाजी से किसी काम
का आरम्भ नहीं करना चाहिए।“~ विदुर
“केवल धर्म ही परम कल्याणकारक है, एकमात्र क्षमा ही शांति
का सर्वश्रेष्ठ उपाय है। एक विद्या ही परम संतोष देने वाली है और एकमात्र अहिंसा ही
सुख देने वाली है।“~ विदुर
“जिस कार्य को करने के बाद में पछताना पड़े, उसे किया ही क्यों जाए? जब हमें मालूम है कि क्षणभंगुर
है तो इतनी हाय-माया क्यों।“~ विदुर
“जिस व्यकित के कर्मों में न ही सर्दी और न ही गर्मी, न ही भय और न ही अनुराग, न ही संपत्ति और न ही
दरिद्रता विघ्न डाल पाते हैं वही पण्डित कहलाता है।“~ विदुर
“जिस व्यक्ति के कर्त्तव्य, सलाह और पहले से लिए गए
निर्णय को केवल काम संपन्न होने पर ही दुसरे लोग जान पाते हैं, वही पंडित कहलाता है।“~ विदुर
“जो दुसरो के धन, सौन्दर्य, बल, कुल, सुख, सौभाग्य व सम्मान से ईष्या
करते हैं, वे सदैव दुखी रहते हैं।“~ विदुर
“बिल में रहने वाले जीवों को जैसे सांप खा जाता है, उसी प्रकार शत्रु से डटकर मुकाबला न करने वाले शासक और परदेश
न जाने वाले ब्राह्मण – इन दोनों को पृथ्वी खा
जाती है।“~ विदुर
।“बुद्धिमान पुरुष शक्ति के अनुसार काम करने के इच्छा रखते हैं
और उसे पूरा भी करते हैं तथा किसी वस्तु को तुक्ष्य समझ कर उसकी अवहेलना नहीं करते
हैं।“~ विदुर
“पिता, माता अग्नि, आत्मा और गुरु – मनुष्य को इन पांच अग्नियों
की बड़े यत्न से सेवा करनी चाहिए।“~ विदुर
“मन, वचन और कर्म से मनुष्य
जिस विषय का बार – बार ध्यान करता है, वही उसे अपनी और आकर्षित कर लेता है, अत: सदैव अच्छे कर्म ही करने चाहिए।“~ विदुर
“मनुष्य को कभी भी सत्य, दान, कर्मण्यता, अनसूया (गुणों में दोष
दिखाने की प्रवृत्ति का अभाव ), क्षमा तथा धैर्य – इन छः गुणों का त्याग नहीं करना चाहिए।“~ विदुर
“मनुष्य जैसे लोगों के बीच उठता-बैठता है, जैसो की सेवा करता है तथा जैसा बनने की कमाना करता है, वैसा ही बन जाता है।“~ विदुर
“मीठे शब्दों से कही गई बात अनेक तरह से कल्याण करती है, लेकिन कटु शब्दों में कही गई बात अनर्थ का कारण बन जाती है।“~ विदुर
“व्यक्ति चाहे अच्छे कुल में जन्मा हो अथवा निक्रष्ट
कुल में – जो मर्यादा का पालन करता है, धर्मानुसार कार्य करता
है, जिसका स्वभाव कोमल है, जो लज्जाशील है, वह सैकड़ो कुलीनों से श्रेष्ठ है” ~
विदुर
“मुर्ख की यह प्रव्रत्ति है कि वह सदैव उन लोगों
का अपमान करता है जो विद्या, शील, आयु. बुद्धि, धन और कुल में श्रेष्ट
हैं तथा माननीय हैं” ~ विदुर
“जो स्वार्थ तथा अधिक पा लेने की हवस से मुक्त
हैं, मैं उन्हें समझदार मानता हूँ क्योंकि संसार में स्वार्थ और हवस
ही सारे झंझटों के कारण होते हैं” ~ विदुर
“मीठे शब्दों से कही गई बात अनेक तरह से कल्याण
करती है, लेकिन कटु शब्दों में कही गई बात अनर्थ का कारण बन जाती है” ~ विदुर
“यदि किसी व्यक्ति का सब कुछ छीन लिया गया हो
तो उसकी रातों की नींद उड़ जाती है। ऐसा इंसान न तो चैन से जी पाता है और ना ही सो
पाता है। इस परिस्थिति में व्यक्ति हर पल छीनी
हुई वस्तुओं को पुन: पाने की योजनाएं बनाता रहता है और जब तक वह अपनी वस्तुएं पुन: पा नहीं
लेता है, तब तक उसे नींद नहीं आती है” ~ विदुर
“जब किसी स्त्री या पुरुष की शत्रुता उससे अधिक बलवान व्यक्ति से हो जाती है तो भी उसकी नींद उड़
जाती है। निर्बल और साधनहीन व्यक्ति हर पल बलवान शत्रु से बचने के उपाय सोचता रहता
है क्यूंकि उसे हमेशा यह भय सताता है कि कहीं बलवान शत्रु की वजह से कोई अनहोनी न हो
जाए” ~ विदुर
"1 (यानि बुद्धि) से 2 (यानि कर्त्तव्य और अकर्तव्य) का निश्चय करके 4 (यानि साम, दाम, दंड और भेद) से 3 (यानी मित्र, शत्रु और उदासीन) को वश में कीजिये। 5 इन्द्रियों को जीतकर 6 (यानि संधि, विग्रह, यान, आसन, द्वैधीभाव, समश्रयरूप) गुणों को जान कर तथा 7
(यानि स्त्री, जुआ, शिकार, मद्य, कठोर वचन, दंड की कठोरता और अन्याय से धन का उपार्जन) को छोड़ कर सुखी हो
जाईये।“
~ विदुर
“दो प्रकार के लोग दूसरों पर विश्वास करके चलते हैं, इनकी अपनी कोई इच्छाशक्ति नहीं होती है। दूसरी स्त्री द्वारा
चाहे गए पुरुष की कामना करने वाली स्त्रियाँ, दूसरों द्वारा पूजे गए
व्यक्ति की पूजा करने वाले लोग।“
~ विदुर
“अच्छे कर्मो को अपनाना और बुरे कर्मों से दूर
रहना, साथ ही परमात्मा में विश्वास रखना और श्रद्धालु भी होना – ऐसे सद्गुण बुद्धिमान और पंडित होने का लक्षण है।“
~ विदुर
“अत्यंत अहंकार, अधिक बोलना, त्याग न करना, क्रोध करना, केवल अपने स्वार्थ की पूर्ति की चिंता में रहना तथा मित्रों
से द्रोह करना। ये छह दुर्गुण मनुष्य की आयु का क्षरण करते हैं। दुर्गुण वाले मनुष्य
को मृत्यु नहीं बल्कि अपने कर्मो के परिणाम ही मारते हैं।“
~ विदुर
“अपने वास्तविक स्वरूप का ज्ञान, उद्योग, दुःख सहने की शक्ति और
धर्म में स्थिरता – ये गुण जिस मनुष्य को
पुरुषार्थ करने से नहीं रोक पाते, वही बुद्धिमान या पंडित
कहलाता है।“
~ विदुर
सम्पूर्ण भगवत गीता भी पढ़ें:
“कभी कभी गुस्से या प्रसन्नता के कारण हमारा रक्त
प्रवाह तीव्र हो जाता है और हम अपने मूल स्वभाव के विपरीत कोई कार्य करने के लिये तैयार
हो जाते हैं और हमें बाद में दुःख भी होता है। अतः इसलिये विशेष अवसरों पर आत्ममुग्ध
होने की बजाय आत्म चिंतन करते हुए कार्य करना चाहिए।“
~ विदुर
“किसी धनुर्धर वीर के द्वारा छोड़ा हुआ बाण संभव
है, किसी एक को भी मारे या न मारे। मगर बुद्धिमान द्वारा प्रयुक्त
की हुई बुद्धि राजा के साथ-साथ सम्पूर्ण राष्ट्र का विनाश कर सकती है।“
~ विदुर
“केवल धर्म ही परम कल्याणकारक है, एकमात्र क्षमा ही शांति का सर्वश्रेष्ठ उपाय है। एक विद्या ही
परम संतोष देने वाली है और एकमात्र अहिंसा ही सुख देने वाली है।“
~ विदुर
“क्रोध, हर्ष, गर्व, लज्जा, उद्दंडता, तथा स्वयं को पूज्य समझना
– ये भाव जिस व्यक्ति को पुरुषार्थ के मार्ग से नहीं भटकाते वही
बुद्धिमान या पंडित कहलाता है।“
~ विदुर
“क्षमा को दोष नहीं मानना चाहिए, निश्चय ही क्षमा परम बल है। क्षमा निर्बल मनुष्यों का गुण है
और बलवानों का क्षमा-भूषण है।“
~ विदुर
“जब ये चार बातें होती हैं तो व्यक्ति की नींद उड़ जाती है, 1- काम भावना जाग जाने पर 2- खुद से अधिक बलवान व्यक्ति
से दुश्मनी हो जाने पर 3- यदि किसी से सब कुछ छीन
लिया जाए 4- किसी को चोरी की आदत पड़ जाए।“
~ विदुर
“जिस व्यक्ति का निर्णय और बुद्धि धर्मं का अनुशरण
करती है और जो भोग विलास ओ त्याग कर पुरुषार्थ को चुनता है वही पण्डित कहलाता है।“
~ विदुर
“जिस व्यक्ति की विद्या या ज्ञान उसके बुद्धि
का अनुशरण करती है और बुद्धि उसके ज्ञान का तथा जो भद्र पुरुषों की मर्यादा का उल्लंघन
नहीं करता वही पण्डित की पदवी पा सकता है।“
~ विदुर
“जिस व्यक्ति के कर्त्तव्य, सलाह और पहले से लिए गए निर्णय को केवल काम संपन्न होने पर ही
दुसरे लोग जान पाते हैं, वही पंडित कहलाता है।“
~ विदुर
“जो अच्छे कर्म करता है और बुरे कर्मों से दूर
रहता है, साथ ही जो ईश्वर में भरोसा रखता है और श्रद्धालु है, उसके ये सद्गुण पंडित होने के लक्षण हैं।“
~ विदुर
“जो अपना आदर-सम्मान होने पर ख़ुशी से फूल नहीं
उठता, और अनादर होने पर क्रोधित नहीं होता तथा गंगाजी के कुण्ड के
समान जिसका मन अशांत नहीं होता, वह ज्ञानी कहलाता है।“
~ विदुर
“जो कभी उद्यंडका-सा वेष नहीं बनाता, दूसरों के सामने अपने पराक्रम की डींग नही हांकता, क्रोध से व्याकुल होने पर भी कटुवचन नहीं बोलता, उस मनुष्य को लोग सदा ही प्यारा बना लेते हैं।“
~ विदुर
“जो किसी दुर्बल का अपमान नहीं करता,
सदा सावधान
रहकर शत्रु से बुद्धि पूर्वक व्यवहार करता है, बलवानों के साथ युद्ध
पसंद नहीं करता तथा समय आने पर पराक्रम दिखाता है, वही धीर है।“
~ विदुर
“जो दुसरो के धन, सौन्दर्य, बल, कुल, सुख, सौभाग्य व सम्मान से ईष्या
करते हैं, वे सदैव दुखी रहते हैं।“
~ विदुर
“जो धातु बिना गर्म किये मुड जाती है, उसे आग में नहीं तपाते। जो काठ स्वयं झुका होता है, उसे कोई झुकाने का प्रयत्न नहीं करता, अतः बुद्धिमान पुरुष को अधिक बलवान के सामने झुक जाना चाहिये।“
~ विदुर
“जो धुरंधर महापुरुष आपत्ति पड़ने पर कभी दुखी
नहीं होता, बल्कि सावधानी के साथ उद्योग का आश्रय लेता है
तथा समय पर दुःख सहता है, उसके शत्रु तो पराजित
ही हैं।“
~ विदुर
“जो निर्भीक होकर बात करता है, कई विषयों पर अच्छे से बात कर सकता है, तर्क-वितर्क में कुशल है, प्रतिभाशाली है और शास्त्रों
में लिखे गए बातों को शीघ्रता से समझ सकता है वही पण्डित कहलाता है।“
~ विदुर
“जो पुरुष अच्छे कर्मों और पुरुषों में विश्वास नहीं रखता, गुरुजनों में भी स्वभाव से ही शंकित रहता है। किसी का विश्वास
नहीं करता, मित्रों का परित्याग करता है, वह पुरुष निश्चय ही अधर्मी होता है।“
~ विदुर
“जो बहुत धन, विद्या तथा ऐश्वर्यको
पाकर भी इठलाता नहीं चलता, वह पंडित कहलाता है।“
~ विदुर
“जो व्यक्ति किसी विषय को शीघ्र समझ लेते हैं, उस विषय के बारे में धैर्य पूर्वक सुनते हैं, और अपने कार्यों को कामना से नहीं बल्कि बुद्धिमानी से संपन्न
करते हैं, तथा किसी के बारे में बिना पूछे व्यर्थ की बात नहीं करते हैं
वही पण्डित कहलाते हैं।“
~ विदुर
“जो व्यक्ति पहले निश्चय करके रूप रेखा बनाकर
काम को शुरू करता है तथा काम के बीच में कभी नहीं रुकता और समय को नहीं गँवाता और अपने
मन को वश में किये रखता है वही पण्डित कहलाता है।“
~ विदुर
“जो व्यक्ति प्रकृति के सभी पदार्थों का वास्तविक
ज्ञान रखता है, सब कार्यों के करने का उचित ढंग जानने वाला है
तथा मनुष्यों में सर्वश्रेष्ठ उपायों का जानकार है वही मनुष्य पण्डित कहलाता है।“
~ विदुर
“जो स्वार्थ तथा अधिक पा लेने की हवस से मुक्त
हैं, मैं उन्हें समझदार मानता हूँ क्योंकि संसार में स्वार्थ और हवस
ही सारे झंझटों के कारण होते हैं।“
~ विदुर
“जो किसी दुर्बल का अपमान नहीं करता, सदा सावधान रहकर शत्रु से बुद्धि पूर्वक व्यवहार करता है, बलवानों के साथ युद्ध पसंद नहीं करता तथा समय आने पर पराक्रम
दिखाता है वही धीर है।“
~ विदुर
“निम्न दस प्रकार के लोग धर्म को नहीं जानते-नशे
में मतवाला, असावधान, पागल, थका हुआ, क्रोधी, भूखा, जल्दबाज, लोभी, भयभीत और कामी। विद्वान
व्यक्ति इन लोगों से आसक्ति न बढ़ाये।“
~ विदुर
“नीरोग रहना, ऋणी न होना, परदेश में न रहना, अच्छे लोगों के साथ मेल
रखना, अपनी वृत्ति से जीविका चलाना और निडर होकर रहना-ये छः मनुष्य
लोक के सुख हैं।“
~ विदुर
“पर-स्त्री का स्पर्श, पर-धन का हरण, मित्रों का त्याग रूप
यह तीनों दोष क्रमशः काम, लोभ, और क्रोध से उत्पन्न होते हैं।“
~ विदुर
“बुद्धि, कुलीनता, इन्द्रिय-निग्रह, शास्त्रज्ञान, पराक्रम, अधिक न बोलना, शक्ति के अनुसार दान और कृतज्ञता –
ये आठ
गुण पुरुष की ख्याति बढ़ा देते हैं।“
~ विदुर
“बुद्धिमान तथा ज्ञानी लोग दुर्लभ वस्तुओं की
कामना नहीं रखते, न ही खोयी हुए वस्तु के विषय में शोक करना चाहते
हैं तथा विपत्ति की घडी में भी घबराते नहीं हैं।“
~ विदुर
“बुद्धिमान पुरुष शक्ति के अनुसार काम करने के
इच्छा रखते हैं और उसे पूरा भी करते हैं तथा किसी वस्तु को तुक्ष्य समझ कर उसकी अवहेलना
नहीं करते हैं।“
~ विदुर
“बुद्धिमान व्यक्ति के प्रति अपराध कर कोई दूर
भी चला जाए तो चैन से न बैठे, क्योंकि बुद्धिमान व्यक्ति
की बाहें लंबी होती है और समय आने पर वह अपना बदला लेता है।“
~ विदुर
“पिता, माता अग्नि, आत्मा और गुरु – मनुष्य को इन पांच अग्नियों
की बड़े यत्न से सेवा करनी चाहिए।“
~ विदुर
“मन में नित्य रहने वाले छः शत्रु – काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद तथा मात्सर्य को जो वश में कर लेता है, वह जितेन्द्रिय पुरुष पापों से ही लिप्त नहीं होता, फिर उनसे उत्पन्न होने वाले अनर्थों की तो बात ही क्या है।“
~ विदुर
“मन, वचन और कर्म से मनुष्य
जिस विषय का बार – बार ध्यान करता है, वही उसे अपनी और आकर्षित कर लेता है, अत: सदैव अच्छे कर्म ही करने चाहिए।“
~ विदुर
“मनुष्य अकेला पाप करता है और बहुत से लोग उसका
आनंद उठाते हैं। आनंद उठाने वाले तो बच जाते हैं; पर पाप करने वाला दोष
का भागी होता है।“
~ विदुर
“मनुष्य को कभी भी सत्य, दान, कर्मण्यता, अनसूया (गुणों में दोष दिखाने की प्रवृत्ति का अभाव ), क्षमा तथा धैर्य – इन छः गुणों का त्याग
नहीं करना चाहिए।“
~ विदुर
“मित्रों से समागम, अधिक धन की प्राप्ति, पुत्र का आलिंगन, मैथुन में प्रवृत्ति, समय पर प्रिय वचन बोलना, अपने वर्ग के लोगों में
उन्नति, अभीष्ट वस्तु की प्राप्ति और समाज में सम्मान – ये आठ हर्ष के सार दिखाई देते हैं और ये ही लौकिक सुख के साधन
भी होते हैं।“
~ विदुर
“मीठे शब्दों से कही गई बात अनेक तरह से कल्याण
करती है, लेकिन कटु शब्दों में कही गई बात अनर्थ का कारण बन जाती है।“
~ विदुर
“मूढ़ चित्त वाला नीच व्यक्ति बिना बुलाये ही अंदर चला आता है, बिना पूछे ही बोलने लगता है तथा जो विश्वाश करने योग्य नहीं
हैं उन पर भी विश्वाश कर लेता है।“
~ विदुर
“ये दो प्रकार के पुरुष सूर्यमंडल को भी भेद कर
सर्वोच्च गति को प्राप्त करते हैं :- योगयुक्त सन्यासी, वीरगति को प्राप्त योद्धा।“
~ विदुर
“ये दो प्रकार के पुरुष स्वर्ग से भी ऊपर स्थान पाते हैं :- शक्तिशाली
होने पर भी क्षमा करने वाला, गरीब होकर भी दान करने
वाला।“
~ विदुर
“ये लोग धर्म नहीं जानते : नशे में धूत, असावधान, पागल, थका हुआ, क्रोधी, भूखा, जल्दबाज, लालची, डरा हुआ व्यक्ति और कामी।“
~ विदुर
“व्यक्ति चाहे अच्छे कुल में जन्मा हो अथवा निक्रष्ट
कुल में – जो मर्यादा का पालन करता है, धर्मानुसार कार्य करता
है, जिसका स्वभाव कोमल है, जो लज्जाशील है, वह सैकड़ो कुलीनों से श्रेष्ठ है।“
~ विदुर
“सत्य से धर्म की रक्षा होती है, योग से विद्या सुरक्षित होती है, सफाई से सुन्दर रूप की
रक्षा होती है और सदाचार से कुल की रक्षा होती है, तोलने से अनाज की रक्षा
होती है, हाथ फेरने से घोड़े सुरक्षित रहते हैं, बारम्बार देखभाल करने से गौओं की तथा मैले वस्त्रों से स्त्रियों
की रक्षा होती है।।“
~ विदुर
“सही तरह से कमाए गए धन के दो ही दुरुपयोग हो
सकते हैं :- अपात्र को दिया जाना, सत्पात्र को न दिया जाना।“
~ विदुर
“ज्ञानी पुरुष हमेशा श्रेष्ठ कर्मों में रूचि
रखते हैं, और उन्न्नती के लिए कार्य करते व् प्रयासरत रहते हैं तथा भलाई
करनेवालों में अवगुण नहीं निकालते हैं।“
~ विदुर
Web Title: Best Vidur Neeti Quotes In Hindi, Mahatama Vidur Quotes in hindi, Best Vidur Quotes In Hindi, Best Vidur Neeti in Hindi, Famout Vidur Quotes in hindi
प्रेरक अनमोल विचारों तथा कथनों का विशाल संग्रह पढ़ें :
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति .... Nice article with awesome explanation ..... Thanks for sharing this!! :) :)
जवाब देंहटाएंमहात्मा विदुर जी की विचारो (नीतियों) का अद्भुत संग्रह प्रस्तुत किया हैं. धन्यवाद आपका ह्रदय से
जवाब देंहटाएंविदुर एसा Advice देना वाला सबके Life मे होना चाहिए ।
जवाब देंहटाएं