essay on train accidents, recent train accidents essay hindi, Indore patna train accidents essay hindi
आधुनिक युग में यातायात के क्षेत्र में भारत ने काफी तरक्की की, शायद पाक ने इतनी तरक्की की हो या नहीं पर आये दिन, प्रतिदिन जिस औैसत से सडक़ों पर रेल यातायात व अन्य साधनों की दुर्घटनाओं में तेजी आ रही है जिसका मुख्य कारण हमारे देश की बढ़ती जनसंख्या और उनकी रोजमर्रा की आवश्यकताको परिपूर्ण करना है। जिसका मुख्य कारण मानवीय लापरवाही या हमारे देश की अफसर शाही या हमारी सरकार की असंवेदन शीलता ही हो सकती है। यात्रा करने वाला व्यक्ति हर्षोउल्लास के साथ अपने घर से अपनी नौकरी पेशे या अन्य स्थानों के लिए प्रस्थान करते हैं शायद वो ये नहीं जानते की हमारी यातायात व्यवस्था कमजोर व जरजर हालातों को प्राप्त हो चुकी है उक्त व्यक्ति को ये मालूम नहीं वह संध्या तक अपने बच्चों के संग खेल पायेगा या नहीं या अपने गंतव्य स्थान पर सही-सलामत पहुंच पायेगा या नहीं, कुछ कहा नहीं जा सकता। रेल को हिंदी भाषा में लोह पथ गामिनी के नाम से जाना जाता है जो मात्र दो लोहे की पटरियों के माध्यम से यात्रियों अथवा माल की ढुलाई में माल या यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने का कार्य करती है वैसे तो भारतीय रेल को भारत की जीवन रेखा के नाम से भी जाना जाता है। रेलवे हमारे देश का सबसे बड़ा उपक्रम है जिसमें असंख्य कर्मचारी कार्यरत है।
यदि आज के हालातों को देखते हुए इसे लोह मृत्यु गामिनी कहें तो अतिश्यौैक्ति नहीं होगी। किसी को पता नहीं कि वह अगला स्टेशन देख पाये या नहीं। यदि हम अभी गत माह में कानपुर देहात के आस पास रेलवे की बढ़ी दुर्घटना, इंदौर-पटना एक्सप्रेस में 140 लोगों की जाने गई ही थी कि गत माह में उसी क्षेत्र में रुरा स्टेशन के समीप अजमेर सियालदह एक्सप्रेस की 15 बोगी पटरी से उतरने के साथ साथ 21 जनवरी 2017 को जगदल पुर से भुवनेश्वर जा रही हीराखंड एक्सप्रेस रेल गाड़ी जो गत दिवस दुर्घटनाग्रस्त हुई जिसमें 39 लोगों की जिंदगी कालग्रसित हो गई व अन्य 50 लोग घायल हुये। जिसका मुख्य कारण रेलवे के ड्राईवर को सही निर्देशन न देना या फिर पटरी का दुरुस्त न होना या फिर ड्राईवर की लापरवाही भी ही सकती है या फिर आतंकवादी गतिविधियों का पाया जाना, इस ओर इशारा करता है कि हमारा खूफिया तंत्र आज कितना कमजोर पड़ चुका है, और न जाने कितनी रेल दुर्घटनाएं इस भारत देश में वर्ष भर में होती होगी न जाने असंख्य लोगों के घर उजड़ते होंगे पर हमारी सरकार, शासन व प्रशासन को कोई फर्क नहीं पड़ता वहीं पुराने वक्तव्य वही पुराना राग, पीडि़तों की पूर्ण सहायता की जायेगी, हम व्यक्तिगत रूप से हालातों पर नजर बनाये हुए है। यात्रियों को उनके गंतव्य स्थान पर पहुंचाने के लिए वैैकल्पिक व्यवस्था की गई है। फिर से हैल्प लाईन न. जारी कर दिया जाता है। या फिर से पीडि़त को दो चार लाख रुपये दे कर उसकी बोलती हमेशा के लिए बंद करा दी जाती है। बस फिर से दो चार नेता पक्ष हो या विपक्ष आपस में ब्यान बाजी द्वारा अपने आप को किसी अखबार या टीवी चैनल के मध्यम से महापुरूष सिद्ध करने की दौड़ में पीछे रहना नहीं चाहते। उनका उद्देश्य केवल दुर्घटना के आधार पर अपनी राजनैतिक रोटियां सेकने के अलावा कुछ ओर नहीं होता कुछ दिनों के बाद मामला ठंडा हो जाने के बाद कोई नहीं जानता कि पीडि़त परिवार पर क्या बीती होगी?, शासन या प्रशासन या मौजूदा सरकारों को सत्ता के नशे में होश भी नहीं होता होगा कि पीडि़त को घोषणा के वक्त किया वादा पूरा किया होगा या नहीं बस फिर से भारतीय रेल उन्हीं जरजर पटरियों पर मौत का आगाज करते हुए छुक-छुक कर रोजाना की तरह फिर से दौडऩे लगती है। क्यों नहीं रेल की जरजर व्यवस्था को सुधारा जाता-? क्यों नहीं ट्रेनों में जरनल बोगियां बढ़ाई जाती -? जो लम्बे मार्ग की रेलगाडिय़ां होती है मात्र उन रेलगाडिय़ों में एक या दो जरनल बोगियां आगे एक दो बीच में या एक दो बोगी इंजन के साथ लगा दी जाती है। इन महापुरुषों से यदि कोई सवाल करे की क्या जरनल टिकट खरीदने वाला व्यक्ति अपनी यात्रा का भाड़ा पूरा नहीं देता-? क्यों नहीं जरनल डिब्बे लम्बे मार्ग की गाडिय़ों में बढ़ाये जाते -? वैसे ये महापुरुष बात करते है विदेशों की तर्ज पर रेलवे का ढांचा परिवर्तन करने की। प्रभु जी आप की रेलवे पहले ही खस्ता हाल मेें है पटरियों में आये दिन सर्वेक्षण के बाद भी कोई न कोई खामियां दुर्घटना के बाद उजागर हो ही जाती है। क्यों नहीं आप अपनी पटरियों को दुरुस्त करना चाहते हैं-? ऐसेे में विकसित भारत नहीं बनेगा, देश की जनता की सुरक्षा के लिए आप ने भी बलिदान देना होगा।
आखिर कब तक ऐसा होगा आप की क्या यहीं सेवा है कि आप केवल ब्यान बाजी ही देते रहें आखिर जनता के प्रति आपका कोई दायित्व बनता होगा। पता नहीं श्रेष्ठ प्रभु वह दिन कब होगा जब रेलवे की यात्रा दुरुस्त की जायेगी-?। पता नहीं वो दिन कौन होगा जब धरातल के प्रभु अपनी निंद्रा से जाग रेलवे यात्रियों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम का निर्णय लेंगे-? किसी प्रबुद्ध व्यक्ति ने ठीक ही कहा है
दुर्घटना की रेन हुई, आज इंडियन ट्रेन
देख-देख कर हादसे, डेमिज होता ब्रेन
डेमिज होता ब्रेन, रुकेंगे आखिर कब तक
पहुंच बनाता बंदा देखो जबकि रब तक
कोई जगह न बाकी दिल्ली लखनऊ पटना
रोज जन्म है लेती , ये नई-नई दुर्घटना
रेलवे दुर्घटना के साथ-साथ यात्रियों को एक भय सीट का भी बना होता है पता नहीं कि उसे आराम दायक जगह मिल पायेगी या नहीं या फिर रेलवे का लंबा सफर ऐसे ही एक पैर पर खड़े हो कर तय करना होगा। सामान्य डिब्बे में महिलाओं की अगर बात न करंे तो बेहतर ही होगा क्योंकि सामान्य डिब्बे में महिलाओं की समस्या ब्यान नहीं की जा सकती, दूसरी तरफ बात करें हम किराये वृद्धि की तो इस विषय पर चर्चा करना भी स्वाभाविक सा हो जाता है क्योंकि की जब-जब ईंधन के मूल्य वृद्धि की जाती है तब-तब रेलवे व अन्य यातायात के भाड़े में भी तीव्र गति से बढ़ोतरी कर दी जाती है चाहे वह यात्रा मेें बसों या रेलवे का किराया हो या फिर माल ढुलाई का टट्टू ठेला इसके विपरीत दिशा में जब ईंधन के मूल्यों में गिरावट होती है तो यात्रा का किराया या फिर माल ढुलाई का भाड़ा स्थिर रहता है आखिर क्यों-? ये कहां का इंसाफ है। आखिर वह मुनाफे की रकम या तो सरकार अपनी तिजोरियों में एकत्रित करती है या फिर पूंजीपति लोगों को लाभ पहुंचाने की चेष्टा करती है।
वैसे तो बड़ी-बड़ी जन सभाओं मेें राजनेताओं द्वारा बोलो जाता है कि मौजूदा सरकार दरिद्र हितैषी है। परंतु उपरोक्त बात से तो ये सिद्ध होता है कि सरकार केवल दरिद्रों का फायदा केवल राजनैतिक कारणो के अलावा कुछ ओर हो नहीं सकता यदि ऐसा होता तो जब-जब र्इंधन के मूल्यों में कटौती होती तो भाड़े में भी कटौती की जाती परंतु हमारे ख्याल से ऐसा होता नहीं है। यदि ऐसा होता तो आये दिन बढऩे वाली महंगाई पर अंकुश कभी का लग गया होता।
लेखक परिचय
अंकेश धीमान,
पुत्र: श्री जयभगवानबुढ़ाना,
मुजफ्फरगनर उत्तर प्रदेश
Email Id-licankdhiman@yahoo.com
Facebook A/c-Ankesh Dhiman
बहुत बढिया लेख । आजकल गाडी तो दूर की बात सडको पर पैदल चलने वाले भी सुरक्षित नही है । शासन या प्रशासन के साथ साथ हम सब की नैतिक जिम्मेदारी है कि यातायात नियमों का पालन करे और सावधानी बरते । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंachhi post .... shasan ko thoda or jimmedari ke sath yatriyon ki suraksha ke baare men sochna hoga...or unhe surakshit or aaramdayak safar ki suvidha dene ke liye mahatvpoorn kadam uthane chahiye...
जवाब देंहटाएं