भ्रष्टाचार रूपी दीमक से खोखला होता भारत !!

Essay on corruption in Hindi, Bhrastachar Rupi Deemak lekh in hindi, श्री पाठक महोदय को लेखक आरंभ में स्पष्ट करना चाहता है कि यदि आप देश से तनिक भी प्रेम करते हैं या फिर राष्ट्र भक्ति की मानसिकता रखते हैं तो ही लेख को पढ़े, अन्यथा अपना समय व्यतीत न करें क्योंकि आप उस श्रेणी में आते हैं जो केवल एक ही दिन के राष्ट्र भक्त होते हैं, जैसे की राष्ट्रीय पर्व (15 अगस्त या फिर 26 जनवरी)।

श्री पाठक महोदय को लेखक आरंभ में  स्पष्ट करना चाहता है कि यदि आप देश से तनिक भी प्रेम करते हैं या फिर राष्ट्र भक्ति की मानसिकता रखते हैं तो ही लेख को पढ़े, अन्यथा अपना समय व्यतीत न करें क्योंकि आप उस श्रेणी में आते हैं जो केवल एक ही दिन के राष्ट्र भक्त होते हैं, जैसे की राष्ट्रीय पर्व (15 अगस्त या फिर 26 जनवरी)। 

दिन व्यतीत हो जाने के पश्चात, आप के अंर्त: हृदय में अंकुरित राष्ट्र भक्ती का पौधा शने: शने मुरझाने लगता है फिर से वहीं स्वार्थ सिद्धि का क्रम आगामी राष्ट्रीय पर्व तक चलता रहता है। फिर भी आप पर कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि स्वार्थी जो ठहरे, क्या वास्तव में भ्रष्ट मुक्त भारत का निर्माण हो रहा है या फिर निर्माण की दिशा में अग्रसर है? माननीय महोदय, सुसज्जित मंच से उच्च स्वर में उद्घोष करने मात्र से देश भ्रष्ट मुक्त कदापि नहीं हो सकता इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए हर संभव प्रयास, उक्त समस्या के निस्तारण तक करने होंगे। कहीं ऐसा तो नहीं, कि आप भी भ्रष्टाचार को सह देने की मानसिकता के पक्षधर हंै। यदि ऐसा नहीं तो आपसे लेखक का विनम्र आग्रह है कि लेख को गंभीरता से पढ़ते हुये जन-जन को जागरूक करने में अपना अहम सहयोग प्रदान करें ताकि देश की छवि को स्वच्छ व उज्ज्वल बनाया जा सके। क्योंंकि किसी महापुरुष ने लिखा है कि जो व्यक्ति अपनी रक्षा स्वयं नहीं कर सकता, उसकी रक्षा खुद श्रेष्ठ प्रभु भी नहीं करते। 

श्री पाठक महोदय, अक्सर आप ने इर्द-गिर्द देखा होगा कि संयुक्त परिवार में यदि किसी व्यक्ति विशेष ला-ईलाज रोग से ग्रस्त हो जाये तो उक्त परिवार का प्रत्येक सदस्य अपने निजी स्तर पर उक्त व्यक्ति को उस ला-ईलाज बीमारी से मुक्त कराने का समाधान अतिशीघ्र करने की चेष्टा करता है। क्योंकि वह उक्त परिवार का अभिन्न अंग है। यदि हम चर्चा करें अपने राष्ट्र की, सर्वप्रथम हम भारतीय है ना की हिंदू मुस्लिम ईसाई या फिर सिख, ये राष्ट्र ही हमारा अपना सच्चा सदन है। क्या हमारा कोई दायित्व नहीं बनता कि हम अपने सदन की, धर्म-जात पात राजनीति से पार, मात्र राष्ट्रहित में एक जुट होकर अपने देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने का बीड़ा उठाये? या फिर भ्रष्ट अधिकारी या कर्मचारी जो भ्रष्टाचार में संलिप्त है, के खिलाफ अति तीव्र वेग से शंख नाद करें। क्या भारतीय होने के नाते हमारा अपने सदन की रक्षा हेतु कोई दायित्व नहीं बनता? क्या हम चाहते है कि भ्रष्टाचार रूपी कैंसर (ला-ईलाज) की शल्य चिकित्सा की जाये?। उक्त रोग से देश की स्थिति इतनी विकट हो गई है कि बिना जन-जागरूकता या फिर देश के सर्वोच्च सिंहासन पर आसीन हुक्मरानों के दखल के अभाव में उक्त ला इलाज बीमारी की शल्य चिकित्सा कर पाना कदापि संभव नहीं हो सकता। किंतु विचित्र सी विडम्बना है कि प्राचीन काल में लोग ईश्वर को पाने के लिए राज पाट त्याग कर  मोक्ष के साधन तलाशते थे, वर्तमान में त्याग तपस्या की धारा तो विपरीत दिशा में प्रवाहित हो रही है, प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं, जो कि एक घोर कल युग का आगाज है। 

अरे महानुभाव जरा विचार कीजिए, आप को श्रेष्ठ प्रभु ने उच्च सिंहासन पर आसीन किस उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए किया ताकि आप समस्त बंधनों से मुक्त हो, देश की प्रजाहित के विषय में विचार-विमर्श कर, भ्रष्टाचार से त्राहि-त्राहि करती जनता की समस्या का समाधान अतिशीघ्र करें। पृथ्वी पर उत्पन्न प्रत्येक मनुष्य के जीवन का उद्देश्य, पृथक-पृथक होता, क्योंकि यह तो एक रंगमंच है। व्यक्ति धरा पर जन्म लेता है ओर अपना मंचन पूर्ण कर मृत्यु की देवी को  प्राप्त हो जाता है। चुनाव प्रचार के समय, दीर्घ वेग से आश्वासन किये जाते कि बस अबकी बार भ्रष्टाचार मुक्त भारत,  जनता को समर्पित करेंगे। किंतु नहीं, वहीं फिर से ढाक के तीन-पात। आखिर क्यों? श्री पाठक महोदय भ्रष्ट मुक्त भारत, विषय पर क्यों विचार नहीं करते, संबंधित प्रश्न के दो ही मुख्य कारण हो सकते है या तो संभव है कि आप, सुसज्जित मंच से जनता को मात्र आश्वासन देने की कला में निपुण हैं, यह भी संभव है कि आप भ्रष्टाचार के पक्षधर हैं। उक्त विषय राष्ट्र के समस्त व्यक्तियों से संबंध रखता है जो मुख्य: भ्रष्टाचार रूपी दानव के सताये हुये हंै। 

लेखक का उद्देश्य किसी व्यक्ति विशेष की भावनाओं को आहत करना नहीं, अपितु भ्रष्टाचार रूपी दानव की सच्चाई को समस्त श्री बंधुवर के सम्मुख प्रस्तुत करना है। ताकि हिंदुस्तान की रोगाणु प्रक्रिया के अंर्त: आत्मा में शुद्ध वायु फूंकने के साथ-साथ आवश्यक औषधि त्वरित गति से उपलब्ध कराई जा सके ओर भ्रष्ट मुक्त भारत का काल्पनिक सपना साकार हो सके। भिन्न-भिन्न रंगो से दीवारों पोतने या बड़े होल्डिंग लगाने मात्र या फिर महापुरुषों के वक्तव्य लिखने या सरकारी कार्यालय में महापुरुषों की छाया प्रति स्थापित कर देने से या फिर विशेष तरह के परिधान धारण करने से राष्ट्र का उद्धार संभव नहीं हो सकता। क्योंकि हम भोग विलासिता के आदी जो ठहरे। लेखक समस्त भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारी या फिर कर्मचारियों को अवगत कराना चाहता कि आप क्या जानो देश भक्ति क्या होती है। देश भक्ति तो उस सैनिक से पूछो या फिर शहीद के परिवार से जिन्होंने अपने लाल को देश की सर्वाेपरि सेवा के लिए न्यौछावर कर दिया। आप तो मात्र अनैतिक अर्जित धन की सुगंध से  संबंध रखते हैं। आप को संबोधन करना व्यर्थ  है।

हालांकि देश का चतुर्थ स्तंभ मीडिया को कहा जाता है। मीडिया में भी कम भ्रष्टाचार नहीं हैं। भिन्न भिन्न प्रकार के टीवी चैनल किसी व्यक्ति विशेष की टीआरपी या फिर अखबारों में कोई समाचार अथवा विज्ञापन अपने पक्ष में प्रकाशित करना हो तो उसका भी सौदा किया जाता है टीवी चैनलों में तो प्रति सेकंड के हिसाब से टीवी चैनल,धन को दोनो हाथों से बटोरते हैं, चाहे वह समाचार अथवा विज्ञापन समाज हित में अथवा अनहित में, मात्र उन्हें उक्त तरीके से अर्जित धन की महक में अपनी पत्रकारिता, धर्म को भूलने की लाईलाज बीमारी से लग गई है। जनता की प्रत्येक चुनाव में कुछ आशायेें होती, कुछ भावनाएं होती, कुछ अपने सपने होते, लेकिन व्यक्ति विशेष के सपने उस समय धराशाही हो जाते हैं  जब नेताओं के आश्वासन मात्र से, अपने विश्वास को टूटता महसूस करते हैं या फिर भ्रष्ट कर्मचारियों की तानाशाही से तंग आकर या तो वो आत्महत्या कर लेते या फिर अनैतिक तरीके से अपना कार्य सुलभ करने की सोचते हैं। लेकिन भ्रष्ट अधिकारी अथवा कर्मचारी सरकारी कुर्सी पर बैठ, स्वयं को सदी के भूप से कम नहीं समझते क्योंकि तुच्छ मानसिकता के स्वामी,भूल जाता हैं कि जिस काल्पनिक सिंहासन पर वो विराजमान वो जनता की ही देन है। उक्त व्यक्ति यह भी समझ नहीं पाता कि रिश्वत का धन, धीमा विष है जो उनकी भावी संतानों के लिए भविष्य में कठोर दुखदायी साबित हो सकता है व भ्रष्ट कर्मचारी का परिवार कभी भी प्रफुल्लित नहीं हो सकता। 

भ्रष्ट युक्त भारत का ये केश अकेले एक अंक का नहीं बल्कि देश के असंख्य नागरिकों का भी है। विषय को आगे बढ़ाने से पहले लेखक श्री पाठक महोदय को देश के मुख्य विभागों का मानसिक मुआयना करना अनिवार्य समझता है। क्योंकि मुख्य विभागों का मानसिक मुआयना करना आपके लिए नितांत आवश्यक है अन्यथा आपका उच्च सिंहासन पर आसीन होना निरर्थक साबित हो सकता है। सर्वप्रथम चर्चा करते हैं शिक्षा क्षेत्र की, इस क्षेत्र में भी बड़ा ही गोल-माल है। क्योंकि एक साधारण अध्यापक जिसकी समस्त आयु भावी पीढ़ी को शिक्षित करने या फिर भ्रष्टाचार विरुद्ध लड़ाई लडऩे का पाठ पढ़ाने वाले, को स्वयं ही पेंशन या फिर फंड के आहरण के लिए भ्रष्टाचार रूपी महामारी का शिकार होना पड़ता है। विभाग में बैठे भ्रष्ट कर्मचारी गण द्वारा शिक्षक से मोटी मलाई वसूल ली जाती है। क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति  स्वार्थ सिद्धि वाली मानसिकता से फलीभूत हो चुका है। प्राईमरी विद्यालय परिसर की जर्जर स्थिति,प्रा. शिक्षा का ढील मूल रवैया, एक शोचनीय विषय बना हुआ है। चर्चा करते है विद्युत विभाग की, देश को रात्रि के समय वासर की अनुभूति कराने वाला, ऊर्जा के संचरण का पूर्ण: दायित्व विद्युत विभाग के पास है, किंतु संबंधित विभाग में भ्रष्टाचार रूपी अमावस की कालिक रात्रि का बोल बाला कुछ ज्यादा ही है। विभाग में भी भ्रष्ट कार्य बड़े ही साहस पूर्ण तरीके से चलाया जाता यदि आप आपने इर्द-गिर्द नये कनेक्शन की गहनता से जांच करेयें (शहरी-ग्रामीण) तो लगाये गये नवीन विद्युत कनेक्शन निर्धारित मूल्य से अधिक मूल्य पर वसूल कर स्थापित किये गये हैं आखिर क्यों? कोई भी व्यक्ति इन महानुभवों के खिलाफ बोलने की जरूरत नहीं समझता, फिर से वहीं तर्क स्वार्थ सिद्धि परिपूर्ण मानसिकता, या फिर उक्त भ्रष्ट अधिकारियों से कोई भी अधिकारी संज्ञान लेने की जहमत नहीं उठा पाता, उक्त मुख्य कारण से, ये भ्रष्ट अधिकारी अथवा भ्रष्ट कर्मचारी अपने अवैध कारोबार को बढ़ावा देने या फिर कहें की भोली-भाली जनता का रक्त एक खटमल की मानिंद चूसने में मस्त रहते हैं। यह भी हो सकता है कि विभाग में कर्मचारियों को निजी मानदेय पर रखा गया या फिर संविदा या फिर  कर्मचारियों को मिलने वाला मानदेय अल्प मात्र है। मंत्रालय द्वारा उज्ज्वल योजना का आगाज तो बड़े ही धूम धाम से कर दिया जाता है। लेकिन आप ने तनिक विचार-विमर्श किया क्या आप के उक्त विभाग में संभव कर्मचारी उपलब्ध है या नहीं। वैसे तो उच्च सिंहासन से अपूर्ण सपने दिखाये जाते है। लेकिन समस्त सरकारी योजनाओं का बेड़ा गर्क भ्रष्ट अधिकारियों की वजह से कर दिया जाता है। अब चर्चा करते है सरकार द्वारा चलाई गई शौचालय निर्माण योजना की, एक प्रतिष्ठित चैनल (एबीपी न्यूज) द्वारा गत माह, कि गई तहकीकात में पता चला कि उ.प्र. के शामली, बिजनौर जिला के कई गांवों में भ्रष्ट अधिकारियों ने कथित ग्रामीण क्षेत्र को शौच मुक्त घोषित कर दिया और अफसरों ने अपनी  पीट भी खुद ही थपथपा ली, लेकिन वो मात्र दस्तावेजों में आखिर क्यों?  आप क्या जाने जनाब भूख व गरीबी से बेहाल परिवार की चीख कैसे एक टीस की भांति अंर्त: हृदय में कांटे की मानिंद घाव करती है। आपने कभी एकांत में बैठ कर अपने अंर्त: हृदय में प्रश्र किया कि भ्रष्ट अधिकारी जनता से कितना धन दोनों हाथों से बटोर रहे हैं? क्या कभी आपने धर्म जात पात या फिर राजनीति की सोच से परे जनता के विषय में सोचा?

लेखक अपने अग्रिम पड़ाव में श्री पाठक महोदय को आरटीओ विभाग का मानसिक मुआयना कराता है आरटीओ विभाग में भ्रष्टाचार ने अजीब सा आधुनिक रूप ले लिया है भ्रष्ट अधिकारियों का एक तंत्र क्रियाशील है जिनको दलाल भी कह सकते हैं। विचार कीजिए मात्र 160 रुपये में डीएल(प्रशिक्षु)बनवाने का खर्च आता है, किंतु व्यक्ति विशेष से उक्त कार्य के लिए मोटी रकम वसूली जाती है। रकम वसूलने का खेल भी उक्त कार्यालय के कार्य की प्रवृति पर निर्भर करता है। अब श्री पाठक महोदय  रोडवेज बस की बात करते हैं। बस का एक भ्रष्ट कंडेक्टर  द्वारा यात्री से यात्रा के पैसे तो पूरे ले लिए जाते टिकट या तो कम दूरी का दिया जाता या दिया ही नहीं जाता।  आखिर क्यों? शहरों के भिन्न चौराहों पर आपने देखा होगा कि अनैतिक धन को अर्जित करने का तरीका कुछ निराला ही होता है जो कि भ्रष्ट कर्मचारियों देख रेख में होता है। अब बात करते हंै बैंकिंग क्षेत्र की हालांकि सरकार ने देश की आर्थिक व्यवस्था को सुधाराने में काफी सफल प्रयास किये। लेखक बैंक से संबंधित प्रधान मंत्री मुद्रा योजना के ऋण (शिशु ऋण तरुण ऋण, किशोर ऋण) की बात करता है। जब कोई भी नव-युवक उत्साह से परिपूर्ण अपने नवीनतम रोजगार को नई दिशा देना चाहता है, अपने आर्थिक पक्ष को मजबूत करने के लिए संबंधित बैंक शाखा से संपर्क करता है तो बैंक शाखा के प्रबंधक महोदय उक्त नव युवक के  अपूर्ण सपनों को शीशे की मानिंद तोड़ कर चकनाचूर कर देता हैं उक्त युवक से प्रबंधक महोदय द्वारा यह कह कर टाल दिया जाता है कि बैलेंस शीट, रिटर्न फाइल या फिर छ: माह का खाते की विवरणी हमारे समक्ष प्रस्तुत कीजिए। फिर मुद्रा लोन की कार्रवाई की जायेगी। अरे महानुभव ये तो बताइये युवक अपना नवीन रोजगार आरंभ करना चाहता वह कहां से संबंधित दस्तावेज आपके समक्ष प्रस्तुत करेगा। दूसरी तरफ समस्त बैंकों की तानाशाही, बैंकों के बचत खाते में धन की न्यूनतम सीमा स्वयं ही बढ़ाकर 3000 या फिर आस पास कर दी गई जो कि सरासर एक तुगलकी फरमान से कम नहीं। जो कि जबरन ग्राहक पर थोपा जाता है। क्या यह उचित है? क्या बैंक ने ग्राहक की अनुमति ली? या शपथ पर कोई हस्ताक्षर का नमूना लिया नहीं? फिर बैंकों ने  ग्राहकों पर अपनी मनमर्जी थोपते हुये न्यूनतम धन की सीमा बढ़ा दी आखिर क्यों? एक दरिद्र  कहां से आपके बैंक की तुगलकी शर्त को पूर्ण न करने पर अर्थदंड की भरपाई करेगा। अब श्री बंधुवर एंश्योरेंस क्षेत्र की प्रतिष्ठित कंपनी को ले लीजिए, कंपनी द्वारा समाज वादी पेंशन योजना चलाई जाती है। उक्त योजना के तहत संबंधित भ्रष्ट अधिकारी द्वारा मोटी रकम वसूली जाती है। कुछ वर्ष के पश्चात उक्त फाइलों को बड़े ही तौर-तरीके से बंद कर दिया जाता है। आखिर क्यों? 

अत: अंत में लेखक अपने अंत: हृदय में उठने वाले, भ्रष्टाचार विरोधी ज्वालामुखी को शांत करते हुये, अपने दीर्घ विचारों को विराम देता है। क्योंकि इस विषय पर ओर चर्चा कर पाना संभव नहीं। कुछ लोगों की मानसिकता है कि जब भी धरा पर अधर्म बढ़ता है या फिर धर्म की हानि होती है तो कोई न कोई महापुरुष जन्म लेता है किंतु वर्तमान युग में तो पग-पग पर भ्रष्टाचार का बोल बाला है, इस भ्रष्टाचार रूपी महाभारत में समस्त जागरूक श्री पाठक महोदय को ही स्वयं कृष्ण व स्वयं ही अर्जुन बनना पड़ेगा तब ही देश का भविष्य स्वर्णमय हो सकता है। लेखक उच्च सिंहासन विराज मान मंत्री महोदय से या फिर संबंधित विभाग के उच्च शिखर पर विराजमान अधिकारी गणों से अनुग्रह करना चाहता है कि निजी कंपनी की तर्ज पर भ्रष्ट कर्मचारी के विरुद्ध त्वरित दंडात्मक कार्रवाई की जाये ताकि अन्य कोई भी कर्मचारी उक्त दुस्साहस करने की चेष्टा न कर सकेे और समस्त विभागों में उच्च या निम्र स्तर पर बड़े बड़े बोर्ड स्थापित कर, नवीनतम भ्रष्टाचार विरोधी दस्ते के संपर्क सूत्र व समस्त कार्यालयों में सीसी टीवी कैमरे अतिशीघ्र स्थापित कर देने चाहिए क्योंकि समस्त उच्च शिखर पर आसीन मंत्री महोदय या फिर अधिकारी गण अपने-अपने विभाग की छवि को उज्ज्वल रखने की चेष्टा रखते हैं और उन्हें ज्ञात नहीं हो पाता कि किस स्थान से शुरू करें या खत्म। 

लेखक की की रचना की कुछ पंक्तियां जो उक्त लेख पर सटीक साबित होती है। जो कि निम्र वत है।

पथिक के पद चले, पद बड़े कठिन है।।
भ्रष्ट है गण यहां, ईमान दारी निम्र है।
धनाढ्य को माफ सभी, दरिद्र को दंड है।।
समाज ही क्या, सांस लेना भी कठिन है।
घूस का है प्रचलन, निष्पक्ष कर्म निम्र है।।
महंगाई है बड़ी, दरिद्र भविष्य कठिन है।

लेखक परिचय: 
अंकेश धीमान
समग्र अभिकर्ता (जीवन बीमा एवं साधारण बीमा)
धीमान इंश्योरेंस बड़ौत रोड़ बुढ़ाना जिला मु. नगर 
उत्तर प्रदेश 
अंकेश धीमान की अन्य रचनाएँ भी पढ़ें :

COMMENTS

BLOGGER
नाम

​,3,अंकेश धीमान,3,अकबर-बीरबल,15,अजीत कुमार सिंह,1,अजीत झा,1,अटल बिहारी वाजपेयी,5,अनमोल वचन,44,अनमोल विचार,2,अबुल फजल,1,अब्राहम लिँकन,1,अभियांत्रिकी,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक चतुर्वेदी,1,अभिषेक चौधरी,1,अभिषेक पंडियार,1,अमर सिंह,2,अमित शर्मा,13,अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’,2,अरस्तु,1,अर्नेस्ट हैमिग्व,1,अर्पित गुप्ता,1,अलबर्ट आईन्सटाईन,1,अलिफ लैला,64,अल्बर्ट आइंस्टाईन,1,अशफाकुल्ला खान,1,अश्वपति,1,आचार्य चाणक्य,22,आचार्य विनोबा भावे,1,इंजीनियरिंग,1,इंदिरा गांधी,1,उद्धरण,42,उद्योगपति,2,उपन्यास,2,ओशो,10,ओशो कथा-सागर,11,कबीर के दोहे,2,कवीश कुमार,1,कहावतें तथा लोकोक्तियाँ,11,कुमार मुकुल,1,कृष्ण मलिक,1,केशव किशोर जैन,1,क्रोध,1,ख़लील जिब्रान,1,खेल,1,गणतंत्र दिवस,1,गणित,1,गोपाल प्रसाद व्यास,1,गोस्वामी तुलसीदास,1,गौतम कुमार,1,गौतम कुमार मंडल,2,गौतम बुद्ध,1,चाणक्य नीति,25,चाणक्य सूत्र,24,चार्ल्स ब्लॉन्डिन,1,चीफ सियाटल,1,चैतन्य महाप्रभु,1,जातक कथाएँ,42,जार्ज वाशिंगटन,1,जावेद अख्तर,1,जीन फ्राँकाईस ग्रेवलेट,1,जैक मा,1,टी.वी.श्रीनिवास,1,टेक्नोलोजी,1,डाॅ बी.के.शर्मा,1,डॉ मुकेश बागडी़ 'सहज',1,डॉ मुकेश बागड़ी "सहज",1,डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन,1,डॉ. बी.आर. अम्बेडकर,1,तकनिकी,2,तानसेन,1,तीन बातें,1,त्रिशनित अरोङा,1,दशहरा,1,दसवंत,1,दार्शनिक गुर्जिएफ़,1,दिनेश गुप्ता 'दिन',1,दीनबन्धु एंड्रयूज,1,दीपा करमाकर,1,दुष्यंत कुमार,3,देशभक्ति,1,द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी,8,नारी,1,निदा फ़ाज़ली,5,नेताजी सुभाष चन्द्र बोस,1,पं. विष्णु शर्मा,66,पंचतंत्र,66,पंडित मदन मोहन मालवीय,1,परमवीर चक्र,4,पीयूष गोयल,1,पुस्तक समीक्षा,1,पुस्तक-समीक्षा,1,पौराणिक कथाएं,1,प्रिंस कपूर,1,प्रेमचंद,12,प्रेरक प्रसंग,52,प्रेरणादायक कहानी,18,बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय,1,बराक ओबामा,1,बाल गंगाधर तिलक,1,बिल गेट्स,1,बिस्मिल्ला खान,1,बीन्द्रनाथ टैगोर,1,बीरबल,1,बेंजामिन फ्रैंकलिन,1,बेताल पच्चीसी,7,बैताल पचीसी,21,ब्रूस ली,1,भगत सिंह,2,भर्तृहरि,34,भर्तृहरि नीति-शतक,44,भारत,3,भीम,1,महर्षि वेदव्यास,1,महर्षि व्यास,1,महाभारत,52,महाभारत की कथाएं,47,महाभारत की कथाएँ,60,महावीर,1,माखनलाल चतुर्वेदी,2,मानसरोवर,6,माया एंजिलो,1,मार्टिन लूथर किंग जूनियर,1,मित्र सम्प्राप्ति,3,मुंशी प्रेमचंद,1,मुंशी प्रेमचंद्र,32,मुनव्वर राना,9,मुनीर नियाज़ी,1,मुल्ला नसरुद्दीन,1,मुहम्मद आसिफ अली,2,मुहावरे,1,मैथिलीशरण गुप्त,6,मोहम्मद अलामा इक़बाल,4,युधिष्ठिर,1,योग,1,रतन टाटा,1,रफ़ी अहमद “रफ़ी”,2,रबीन्द्रनाथ टैगोर,22,रश्मिरथी,7,राज भंडारी,1,राजकुमार झांझरी,1,राजा भोज,8,राजेंद्र प्रसाद,2,राम प्यारे सिंह,1,राम प्रसाद बिस्मिल,4,रामधारी सिंह दिनकर,17,राशि पन्त,3,रिया प्रहेलिका,1,लाओत्से,1,लाल बहादुर शास्त्री,1,लिओनार्दो दा विंची,1,लियो टोल्स्टोय,13,विंस्टन चर्चिल,1,विक्रमादित्य,29,विजय कुमार सप्पत्ति,4,विजय नाहर,1,विजय हरित,1,विनोद कुमार दवे,1,वैज्ञानिक,1,वॉरेन बफे,1,व्यंग,14,व्रजबासी दास,1,शिवमंगल सिंह सुमन,2,शेख़ सादी,1,शेरो-शायरी,1,श्री श्री रवि शंकर,1,श्रीमद्‍भगवद्‍गीता,19,सचिन अ. पाण्डेय,1,सचिन कमलवंशी,2,सद्गुरु जग्गी वासुदेव,1,सरदार वल्लभ भाई पटेल,3,सिंहासन बत्तीसी,33,सुनिता विलम्यस,1,सुप्रीत गुप्ता,1,सुभद्रा कुमारी चौहान,2,सुमित्रानंदन पंत,2,सुमित्रानंदन पन्त,2,सूरदास,1,सूर्य कान्त त्रिपाठी निराला,1,हरिवंशराय बच्चन,9,हिंदी व्याकरण,1,A.P.J. Abdul Kalam,1,Abraham Lincoln,3,Acharya Vinoba Bhave,1,Administration,1,Advertisements,1,Akbar-Beerbal,24,Albert Einstein,2,Alibaba,1,Alif Laila,64,Amit Sharma,11,Anger,1,Ankesh Dhiman,42,Anmol Vachan,5,Anmol Vichar,4,Arts,1,Ashfakullah Khan,1,Atal Bihari Vajpayee,4,AtharvVeda,1,AutoBiography,4,Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh,1,Baital Pachchisi,27,Bal Gangadhar Tilak,2,Barack Obama,1,Benjamin Franklin,1,Best Wishes,17,BestArticles,14,Bhagat Singh,4,Bhagwat Geeta,13,Bharat Ratna,3,Bhartrihari Neeti Shatak,48,Bheeshma Pitamah,1,Bill Gates,2,Biography,20,Bismillah Khan,1,Book Review,2,Bruce Lee,1,Business,1,Business Tycoons,2,Chanakya Neeti,70,Chanakya Neeti Kavyanuwad,10,Chanakya Quotes,55,Chanakya Sutra,3,Chhatrapati Shivaji,1,Children Stories,6,Company,1,Concentration,2,Confucius,3,Constitution Of India,1,Courage,1,Crime,1,Curiosity,1,Daily Quotes,13,Deenabandhu C.F. Andrews,1,Deepa Karmakar,1,Deepika Kumari,1,Democracy,1,Desiderata,1,Desire,2,Dinesh Karamchandani,2,Downloads,19,Dr. B. R. Ambedkar,1,Dr. Sarvepalli Radhakrishnan,1,Dr. Suraj Pratap,1,Dr.Harivansh Rai Bachchan,10,Drama,1,Dushyant Kumar,3,Dwarika Prasad Maheshwari,8,E-Book,1,Education,1,Education Quotes,4,Elephants and Hares Panchatantra Story In Hindi ~ गजराज और चतुर खरगोश की कथा,1,Enthusiasm,2,Entrepreneur,1,Essay,3,Experience,1,Father,1,Fathers Day,1,Fearlessness,1,Fidel Castro,1,Gautam Buddha,10,Gautam Buddha Stories,1,Gautam Kumar Mandal,1,Gazals,16,Gift,2,Government,1,Great Facts,2,Great Lives,50,Great Poems,107,Great Quotations,183,Great Speeches,11,Great Stories,613,Guest Posts,114,Happiness,3,Hard Work,1,Health,3,Helen Keller,1,Hindi Essay,3,Hindi Novels,3,Hindi Poems,143,Hindi Quotes,136,Hindi Shayari,18,Holi,1,Honesty,1,Honour & Dishonour,1,Hope,2,Idioms And Phrases,11,Ignorance,1,Ikbal,3,Independence Day,2,India,3,Indian Army,1,Indira Gandhi,1,Iqbal,3,Ishwar Chandra Vidyasagar,3,Jack Ma,1,Jaiprakash,1,Jan Koum,2,Jatak Tales,42,Javed Akhtar,1,Julius Caesar,1,Kabeer Ke Dohe,13,Kashmir,1,Katha,6,Kavish Kumar,1,Keshav Kishor Jain,1,Khalil Zibran,1,Kindness,2,Lal Bahadur Shastri,1,Language,1,Lao-Tzu,1,Law & Order,1,Leo Tolstoy,13,Leonardo da Vinci,1,Literature,1,Luxury,2,Maa,1,Maansarovar,9,Madhushala,1,Mahabharata,53,Mahabharata Stories,67,Maharana Pratap,1,Mahatma Gandhi,5,Maithilisharan Gupt,6,Makhanlal Chaturvedi,2,Manjusha Pandey,1,Mansariwar,1,Mansarovar,11,Mansarowar,8,Martin Luther King Jr,1,Maths,1,Maya Angelou,1,Mitra Samprapti,3,Mitrabhed,6,Money & Property,1,Mother,1,Mulla Nasaruddin,1,Munawwar Rana,9,Munshi Premchand,44,Mythological Stories,2,Napoleon Bonaparte,2,Navjot Singh Sidhu,1,Nida Fazli,5,Non-Violence,2,Novels,1,Organization,1,OSHO,16,Osho Stories,16,Others,2,Panchatantra,66,Pandit Vishnu Sharma,66,Paramveer Chakra,4,Patriotic Poems,6,Paulo Coelho,1,Personality Development,5,Picture Quotes,16,Politics,1,Power,1,Prahlad,1,Praveen Tomar,1,Premchand,37,Priya Gupta,1,Priyam Jain,1,Procrastination,1,Pt.Madan Mohan Malveeya,1,Rabindranath Tagore,25,Rafi Ahmad Rafi,1,Raghuram Rajan,1,Raheem,3,Rahim Ke Done,3,Raja Bhoj,31,Ram Prasad Bismil,4,Ramcharit Manas,1,Ramdhari Singh Dinkar,17,RashmiRathi,7,Ratan Tata,1,Religion,1,Reviews,1,RigVeda,1,Rishabh Gupta,1,Robin Sharma,7,Sachin A. Pandey,1,Sachin Tendulkar,1,SamVeda,1,Sanskrit Shlok,91,Sant Kabeer,14,Saraswati Vandana,1,Sardar Vallabh Bhai Patel,1,Sardar Vallabhbhai Patel,3,Sayings and Proverbs,3,Scientist,1,Self Development,43,Self Forgiveness,2,Self-Confidence,11,Self-Help Hindi Articles,72,Shashikant Sharma,1,Shiv Khera,1,Shivmangal Singh Suman,2,Shrimad Bhagwat Geeta,19,Singhasan Battisi,33,Smartphone Etiquette,1,Social Articles,34,Social Networking,2,Socrates,6,Soordas,1,Spiritual Wisdom,1,Sports,1,Sri Ramcharitmanas,1,Sri Sri Ravi Shankar,1,Steve Jobs,1,Strength,2,Subhadra Kumari Chauhan,2,Subhash Chandra Bose,4,Subhashit,36,Subhashitani,37,Success Quotes,1,Success Tips,1,SumitraNandan Pant,4,Sunita Williams,1,Surya Kant Tripathy Nirala,1,Suvichar,3,Swachha Bharat Abhiyan,1,Swami Dayananda,1,Swami Dayananda Saraswati,1,Swami Ram Tirtha,1,Swami Ramdev,10,Swami Vivekananda,23,T. Harv Eker,1,Technology,1,Telephone Do's,1,Telephone Manners,1,The Alchemist,1,The Monk Who Sold His Ferrari,1,Time,2,Top 10,3,Torture,1,Trishneet Aroda,1,Truthfulness,1,Tulsidas,1,Twitter,1,Unknown,1,V.S. Atbay,1,Vastu,1,Vedas,1,Victory,1,Vidur Neeti,7,Vijay Kumar Sappatti,2,Vikram-Baital,27,Vikramaditya,29,Vinod Kumar Dave,1,Vishnugupta,3,Vrajbasi Das,1,War,1,Warren Buffett,1,WhatsApp,2,William Shakespeare,1,Wilma Rudolf,1,Winston Churchill,1,Wisdom,1,Wise,1,YajurVeda,1,Yashu Jaan,2,Yoga,1,
ltr
item
हिंदी साहित्य मार्गदर्शन: भ्रष्टाचार रूपी दीमक से खोखला होता भारत !!
भ्रष्टाचार रूपी दीमक से खोखला होता भारत !!
Essay on corruption in Hindi, Bhrastachar Rupi Deemak lekh in hindi, श्री पाठक महोदय को लेखक आरंभ में स्पष्ट करना चाहता है कि यदि आप देश से तनिक भी प्रेम करते हैं या फिर राष्ट्र भक्ति की मानसिकता रखते हैं तो ही लेख को पढ़े, अन्यथा अपना समय व्यतीत न करें क्योंकि आप उस श्रेणी में आते हैं जो केवल एक ही दिन के राष्ट्र भक्त होते हैं, जैसे की राष्ट्रीय पर्व (15 अगस्त या फिर 26 जनवरी)।
हिंदी साहित्य मार्गदर्शन
https://www.hindisahityadarpan.in/2017/12/hindi-lekh-bhrastachar-rupi-deemak.html
https://www.hindisahityadarpan.in/
https://www.hindisahityadarpan.in/
https://www.hindisahityadarpan.in/2017/12/hindi-lekh-bhrastachar-rupi-deemak.html
true
418547357700122489
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content