Happy International Women's Day 2019, Mahila Diwas Par Lekh, Mahila Diwas Ki Shubhkamnayen, Happy Mahila Diwas Quotes,
महिला मानव का ही मादा रूप है, जिसने सृष्टि के निर्माण में अपना अहम योगदान कर, जगत को जीवन दान दिया। इसलिए तो नारी को जगत-जननी कहा जाता है। जगत में नारी ही एक ऐसी देवी है जिसे साक्षात स्नेह, मातृत्व, ममता, दया,करूणा की प्रतिमूर्ति कहा जा सकता है। यदि इस धरा पर स्त्री की रचना ना होती, तो आज लेखक और आप जगत की चकाचौंध से वाकिफ ना हो पाते। स्त्री ने कई रूपों में अपने चरित्र दुनिया के समक्ष पेश किया है। वह एक मां बनकर अपने बच्चों पर असीमित दुलार लुटाती है, वहीं फिर एक बहन के रूप में भाई की कलाई पर सुरक्षा कवच बांध कर उसकी दीर्घायु होने की कामना करती है।
स्त्री ही एक पत्नी के रूप में पुरुष की अर्धांगिनी बन समाज में उसकी प्रतिष्ठा स्थापित करने में अपना अहम योगदान देती है। प्रत्येक सफल व्यक्ति के पीछे एक स्त्री का ही अहम योगदान होता है। हालाँकि समाज में स्त्रियों ने काफी तरक्की कर सिद्ध कर दिया है कि एक औरत यदि लक्ष्य साध ले, तो वह पुरुषों से कम नहीं। और समय-समय पर सिद्ध कर दिया कि नारी शक्ति के रूप में पुरूष से अगले पड़ाव पर है। आज की स्त्रियां धीरे-धीरे अबला से सबल बनने के पथ पर निरंतर अग्रसर है। क्योंकि शिक्षा ने उन्हें देश व समाज के प्रत्येक क्षेत्र में अपनी कार्य क्षमता को सिद्ध करने का मूल मंत्र जो दे दिया है।
चाहे वह बैंकिंग क्षेत्र हो या रण क्षेत्र, फिर चाहे सांसद या फिर विदेश में जज पद की गरिमा। जब मानव के भाग्य में सौभाग्य है, तो दुर्भाग्य को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता। जहां अच्छाइयों का जिक्र होता वहीं दूसरी ओर आलोचना करना भी नितांत आवश्यक है क्योंकि जब किसी व्यक्ति विशेष या कहें कि बुराइयों की आलोचना की जाये तो उसमें सुधार की गुंजाइश बढ़ जाती है। देश में स्त्री का यह दुर्भाग्य कहे या फिर स्त्री के भाग्य की विडम्बना प्राय: देखा जाता है, कि काफी स्त्री जाति के प्रति सुधार होने के बावजूद भी एक स्त्री ही अन्य स्त्री के शोषण करने पर आमदा हो जाती है। वह स्त्री यहां तक भूल जाती है कि वह भी कभी घर की बहु थी। जो कि एक कटु सत्य है। समाज में स्त्री को जो स्थान, सम्मान मिलना चाहिए था, वह अभी भी पूर्ण: लुप्त अवस्था में है।
आज भी न जाने कितनी महिलाएं हैं जो कि पारिवारिक शोषण, दहेज उत्पीडऩ, तीन तलाक पति द्वारा प्रताडऩा आदि अन्य कारणों से दो चार प्रतिदिन हो रही है। क्योंकि यह ही एक अहम कारण है, जो नारी को अपनी प्रतिभा निखारने में बाधा उत्पन्न कर रहा है। जब तक पारिवारिक बाधाओं को पूर्ण: दूर नहीं किया जायेगा, तब तक हमारी संपूर्ण नारी जाति अबला से सबला नहीं बन सकती। हालांकि मौजूदा सरकार ने गत वर्षों में तीन तलाक जैसे विधायक पास कर संपूर्ण नारी जाती पर एक उपकार किया जो कि कहीं हद तक सराहनीय कदम सिद्ध हो रहा है।
स्त्री भू्रण हत्या के चलते मां/पिता ही बेटे की चाह में एक बेटी को जगत में आने से पहले ही कत्ल करा देना चाहते हैं। जो कि समाज में दिन प्रतिदिन लिंग अनुपात को प्रभावित करने वाला कुकृत्य है। आये दिन महिलओं के साथ होने वाली अनहोनी का मुख्य कारण घटता लिंग अनुपात भी हो सकता है। अपनी धूमिल छवी से घृणित महिला या तो आत्महत्या कर लेती या फिर सफल स्त्री बनने का सपना धूमिल हो जाता है। गर्भ में भू्रण हत्या करानी वाली औरत को यह ज्ञात नहीं रहता कि वह भी कभी एक बेटी रही होगी। या फिर वह पिता भूल जाता है। कि शायद यदि एक बेटी मां ना बनती तो उसका दुनिया देख पाना संभव ना होता। लेखक ऐसे माता पिता से गुजारिश करना चाहता कृपया अपनी मानसिकता को सकारत्मक उर्जा में परिवर्तित करें, आपको यह ज्ञात नहीं कि एक बेटी भी, बेटा से कम नहीं है, यदि उसे अच्छी परवरिश व अच्छे संस्कार दिये जाये, तो वह भी माता-पिता का नाम जगत में रोशन कर, भारत के गौरव को बढ़ा सकती है।
लड़कियों को शिक्षा देने पर वे स्वत: ही अपने प्रश्नों को हल कर लेगी।
स्त्री शक्ति रूपा है वह रूप से ही साक्षात लक्ष्मी, जगदम्बा है।
महात्मा गांधी
ऐसी अनेक महिलाएं जिन्होंने अपने क्षमता का लोहा समाज को मनवाने पर मजबूर कर दिया और अपने देश को सर्वोच्च शिखर पर पहुंचाने में अपनी अहम भूमिका अदा की। जिनमें से इंद्रा गांधी, प्रतिभा देवी सिंह पाटिल, मीराकुमार, किरण बेदी, एनी बेंसेट, सरोजनी नायडू, लता मंगेश्कर, कल्पना चावला, सीतारमण, सुषमा स्वराज, स्मृति ईरानी आदि मुख्य विदुषी महिलाएं है। जिन्होंने सिद्ध कर दिया कि बेटियां भी बेटो से कम नहीं, और आवश्कता पडऩे पर वो कुछ भी कर गुजरने की पूर्ण क्षमता रखती है।
उक्त महिलएं, सदैव स्त्री की भावी पीढिय़ों के लिए एक प्रेरणा स्रोत्र सिद्ध हो सकती हंै।
पवित्र ग्रंथों में सही लिखा है।
यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमन्ते त्रत्र देवता ....
अर्थात
जिस घर में नारी की पूजा होती है। वहां खुशियां बिन बुलाये आ जाती है। और जिस घर में नारी का सम्मान नहीं होता उस घर के सभी कार्य निष्फल हो जाते है।
हमें यदि देश रूपी परिवार की उन्नति चाहिए तो हमें नारी शक्ति को हमेशा सम्मान, महत्व अवश्य देना होगा। तभी विश्व की तमाम खुशियां हमारे परिवार में (भारत देश) समाहित होगी। और हम महिला सशक्तिकरण का सही प्रयोग कर, भारत को विश्व गुरू बनाने में सफल होगे।
~ अंकेश धीमान
नमन...
जवाब देंहटाएं