what is TB in Hindi, TB par lekh, TB diwas par lekh, World TB Day,क्षय रोग का इतिहास काफी पुराना है। अर्थवेद में इसे बालसा भी कहा गया है। सुश्रुत संहिता में 620 ई.पू. इस रोग के उपचार के लिए मां के दूध को औषधि गुणों से भरपूर बताया गया है। क्षय रोग की पहचान लगभग 17,000 वर्ष पूर्व कुछ पशुओं के अवशेषों से हुई। 24 मार्च 1882 को डॉ रॉबर्ट कॉख ने माइकोबैक्टीरियम तपेदिक बैसिलस की खोज की। उनको इस उपलब्धि के लिये उनको 1905 मे फिजियोलॉजी या चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार दिया गया था।
क्षय रोग क्या है
क्षय रोग का इतिहास काफी पुराना है। अर्थवेद में इसे बालसा भी कहा गया है। सुश्रुत संहिता में 620 ई.पू. इस रोग के उपचार के लिए मां के दूध को औषधि गुणों से भरपूर बताया गया है। क्षय रोग की पहचान लगभग 17,000 वर्ष पूर्व कुछ पशुओं के अवशेषों से हुई। 24 मार्च 1882 को डॉ रॉबर्ट कॉख ने माइकोबैक्टीरियम तपेदिक बैसिलस की खोज की। उनको इस उपलब्धि के लिये उनको 1905 मे फिजियोलॉजी या चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार दिया गया था।
क्षय रोग, तपेदिक, टीबी यक्ष्मा आदि भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है। जो कि मानव जाति के लिए यह बीमारी विश्व की दूसरी गंभीर बीमारियों मेें एक है। टीबी एक ऐसा संक्रामक रोग है, जो कि अनुवांशिक ना होकर हवा व मरीज के खांसने, बोलने और श्वास लेने, छींकने के माध्यम से स्वास्थ्य व्यक्ति को अपनी जकड़ में ले लेता है। जैसा कि सर्वविदित है कि यदि टीबी रोग के प्रति जन जन में जागरूकता बढ़ाई जाये, तो कुछ हद तक, इस काबू पाया जा सकता है, जो कि वर्तमान में नामुमकिन सा साबित हो रहा है।
विश्व पटल पर क्षय रोग के दिन प्रतिदिन बढ़ते आंकड़ो ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की चिंता काफी बढ़ा दी है। उक्त आंकड़ो को ध्यान में रखते हुये विश्व स्वास्थ्य संगठन ने क्षय रोग पर 2030 तक पूर्ण: कंट्रोल करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। लेकिन भारत ने क्षय रोग को अधिक गंभीरता से लेते हुये, इसे 2025 तक पूर्ण: समाप्त करने का लक्ष्य रखा है।
क्षय रोग के प्रति लोगों को अधिक जागरूक बनाने के लिए भारत सरकार ने अभी हाल में पास हुये बजट के माध्यम से क्षय रोगी को उपचार के दौरान प्रति माह 500 रुपये देना का सराहनीय निर्णय लिया है। ताकी (रोग का उपचार लंबी अवधि तक होने के कारण) रोगी में उत्साह बढ़े व रोगी नियमित रूप से दवाइयों का सेवन करे। कभी कभी किसी रोगी को सामान्य अवस्था तक पहुंचने के लिए 2 वर्ष का समय भी लग जाता है।
क्यूँ होता है टी.बी और क्या हैं इसके लक्षण
क्षय रोग माईक्रोबैक्टेरियम ट्यूबक्लोसिस नामक बैक्टिरिया के कारण होता है। जिसकी वजह से रोगी की प्रतिरोधक क्षमता दिन प्रतिदिन जीर्ण क्षीण होने लगती है। यदि किसी भी व्यक्ति को खांसी दो हफ्तों से ज्यादा हो तो संदेह का विषय बन जाता है। क्षय रोगी में कुछ लक्षण दिखाई देने लगते है जैसे कि खासी में खून आना व्यक्ति को श्वास लेने में परेशानी होना, बुखार की शिकायत होना (कभी कम कभी ज्यादा) शरीर में असीमित थकान का होना व्यक्ति को भूख प्रचुर मात्रा में न लगना मरीज की पीठ में दर्द के साथ-साथ अकडन भी पैदा होना लकवे की शिकायत होना ग्रंथियों में स्थिर सूजन आना एक स्थिर सा सर दर्द हमेशा बना रहना मरीज को दौरो की शिकायत होना आदि लक्षण जाहिर तेजी से होने लगते है।
यह ऐसा रोग है, जो मनुष्य के ऐसे भागों को अधिक प्रभावित करता है जिसमें आक्सीजन व रक्त की प्रचुर मात्रा उपलब्ध हो। जैसे मनुष्य केे फेफड़े फेफड़े की टीबी दो तरह से हो सकती है। पल्मोरी टीबी व एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी पल्मोरी टीबी फेफड़ों को प्रभावित करता है जो कि बच्चों या बूढ़ो में हो सकता है।
एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी रोगी के शरीर को हड्डियों, किडनी में, शरीर में गांठों के रूप में, मस्तिष्क में, पाचन तंत्र में, मूत्राशय, प्रजनन प्रणाली नसों का तंत्रिका तंत्र में हो सकता है।
टी.बी कितने प्रकार का होता है
टीबी को निष्क्रिय व सक्रिय टीबी के रूप में, दो नामों से विभक्त किया जा सकता है। यदि हम चर्चा करे निष्क्रिय टीबी की तो यह टीबी रोगी को होती तो है, लेकिन उसके अंदर प्रचुर मात्रा में उसकी प्रतिरोधक क्षमता से व्यक्ति को टीबी के लक्षणों का अहसास नहीं होता। लेकिन जब होता है, तब तक काफी देर हो चुकी होती है। द्वित्तीय विकल्प की चर्चा करे तो सक्रिय टीबी, इसकी पहचान करने में इतनी दिक्कत नहीं होती है। जिसके लक्षण कुछ ही दिनों के बाद रोगी में दिखाई देने लगते है। यदि आपके परिवार में कोई भी सहयोगी टीबी से ग्रसित है, तो आपको भी टीबी के टेस्ट समय समय पर करा लेने चाहिए, जो कि सरकारी अस्पतालों में मुफ्त रूप से की जाती है। डॉक्टर आपसे क्षय रोग की जांच हेतु मुख्य: त्वचा टेेस्ट, छाती के एक्सरे, बलगम टेस्ट, रक्त के माध्यम से करा सकते है।
इस रोग से की बचें
यह एक ऐसा रोग है जिस पर जागरूकता के माध्यम से कुछ हद तक काबू पाया जा सकता है:
- जैसे कि रोगी के साथ बंद कमरे में न रहे यदि आप ऐसी जगह पर कार्य करते जहां टीबी रोगियों की उपस्थिति है, तो आपको मास्क का प्रयोग करना अनिवार्य है।
- रोगी को चाहिए की वो भीड़-भाड़ वाले क्षेत्र से बचे ऑफिस व स्कूल जाने से परहेज करने के साथ-साथ सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग ना करें।
- रोगी को चाहिए वह अलग से टीसू पेपर का प्रयोग करें, तदोपरांत उसे प्लास्टिक की थैली में बंद कर कूड़े दान में डाल दे, ताकि संक्रमण अन्य व्यक्तियों में ना फैले।
- रोगी सोते वक्त कमरे में ताजा हवा बनाये रखने के लिए, दरवाजे व खिड़कियों को खुला रखे
- रोगी को चाहिए कि व तंबाकू व शराब के सेवन से बचे, क्योंकि इनका सेवन रोगी के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
- रोगी प्रदूषण क्षेत्र से दूरी बनाये रखे। व अपने इर्द गिर्द साफ सफाई का विशेष ध्यान रखे।
खाने-पीने(आहार) पर क्या ध्यान दें:
क्षय रोग के लिए आहर के रूप में किसी भी तरह का कोई परहेज नहीं होता बल्कि इस रोग में प्रोटीन युक्त आहार लेने की, डॉक्टर सलाह देते हैं।
आप दवाइयों के साथ-साथ कुछ घरेलू उपाय भी कर सकते हैं, जिससे आपकी प्रतिरोधक क्षमता सुदृढ़ होगी और आप उक्त बीमारी पर अतिशीघ्र काबू पा सकेंगे:
- जैसे कि लहसुन :- इसमें सल्फ्यूरिक एसिड पाया जाता है, आधा चम्मच, 4 कप पानी में उबाल ले जब एक चौथाई रह जाये तो दिन में तीन बार ले
- केला इम्यूनिटी मजबूत करता है। एक पका कला लें। मसलकर इसमें एक कप नारियल पानी, आधा कप दही और एक चम्मच शहद मिलाएं। इसे दिन में दो बार लें।
- आंवले: आंवले का रस में एक चम्मच शहद मिला ले, शहद शुद्ध होना चाहिए
- अखरोट को ताजे मक्खन के साथ खाने से कुछ हद तक फायदा होगा।
लेखक का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर क्षय रोग के प्रति जागरूकता बढ़ाना है ताकि स्वास्थ्य व्यक्ति भी उक्त रोग के बारे में जानकारी हासिल कर क्षय रोग विरुद्ध अभियान में अपना अहम योग दान निभा सके।
अंकेश धीमान
समग्र अभिकर्ता
एलआईसी, स्टार हैल्थ, दि न्यू इंडिया इंश्यारेंस , बड़ौत रोड़ बुढ़ाना
COMMENTS