तंबाकू निषेध दिवस World No Tobacco Day अंतरराष्ट्रीय तंबाकू निषेध दिवसधूम्रपान निषेध दिवस पर विशेष धूम्रपान से हानि, उपाय
मनुष्य की मनोदशा में कब बदलाव हो जाये, यह कुछ कहा नहीं जा सकता, जो कि व्यक्ति के चरित्र, जीवन, स्वास्थ्य, समाज में अमुक व्यक्ति की छवि को इंगित करता है। यह उस व्यक्ति की मनोदशा पर निर्भर है, कि वह अपनी छवि को समाज में कैसे प्रस्तुत करना चाहता है। प्रत्येक व्यक्ति के अंत: करण में हमेशा एक अजीब सी, उठक-पटक चलती रहती है, एक सकारात्मक सोच व दूसरी नकारात्मक विचारों का प्रतिनिधित्व करती है। यदि वह सकारात्मक विचारों को बढ़ावा देता है, तो समाज में उसकी छवि को चार चांद लग जाते हैं। दूसरी ओर यदि वह व्यक्ति नकारात्मक विचारों को महत्व देता है, तो समाज में उसकी छवि, इतनी धूमिल भी हो सकती है, कि उसकी भावी पीढिय़ों को उसके द्वारा, अकृत्य का दंश झेलना पड़ सकता है। समस्त विश्व, तीन गुणों (सतो, रजो, तमो) की संरचना के माध्यम से बना है। जिस व्यक्ति में जो गुण मुख्य होता है, वह उसी गुण का प्रतिनिधित्व करता है। इसमें तमो गुण ऐसा गुण है, जो कि हमेशा क्रोध आलस्य का परिचायक रहा है। तमो गुण के कारण ही व्यक्ति किसी भी स्थिति का निर्णय एका एक ले लेता है, और बाद में उसे पश्चाताप ही हाथ लगता है। तमो गुण की अधिकता होने के कारण ही, अमुक व्यक्ति को धूम्रपान या फिर कहें कि तंबाकू सेवन के लिए मजबूर होना पड़ता है। धूम्रपान की यह लत उसे या तो अपने बुजुर्गों के क्रिया कलापों अथवा मित्रों के दबाव के कारण भी लग सकती है। जिस कारण, वह अपने शरीर को अत्यधिक हानि पहुंचा सकता है। तंबाकू सेवन से मानव शरीर पर पडऩे वाले, विपरीत प्रभावों के मद्देनजर ,विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1987 में चिंता जाहिर करते हुये, तंबाकू सेवन के विरोध में एक अहम फैसला लिया। क्यों ना संपूर्ण मानव जाति को तंबाकू व तंबाकू जनित हानियों के बारे, जागरूक किया जाये? ताकि मानव शरीर पर पडऩे वाले तंबाकू के प्रभाव को कुछ हद तक कम किया जा सके और स्वस्थ्य समाज के निर्माण में एक अनोखी पहल की जाये। प्रथम तंबाकू निषेध दिवस विश्व स्वास्थ्य संगठन ने, अपनी वर्षगांठ ( 7 अप्रैल 1988) मनाया। बाद में उक्त संगठन ने, तंबाकू निषेध दिवस प्रतिवर्ष 31 मई को मनाने की घोषणा की।
एक नजर तंबाकू पर
समस्त विश्व को तंबाकू ने अपने चपेट में इस कदर ले लिया है, कि यदि किसी एक व्यक्ति से नशा छोडऩे के बारे में बात करे, अथवा उसको धूम्रपान से होने वाली हानियों के बारे में उसे स्वयं के स्वास्थ्य के प्रति सचेत किया जाये, तो अमुक व्यक्ति ऐसे विचार देने वाले व्यक्ति को महा मूर्ख की संज्ञा देकर उसका उपहास उड़ा देता है। तम्बाकू जनित बीमारियों के कारण प्रतिवर्ष करीब 5 मिलियन लोगों की मौतें होती है। जिनमें अनुमानित 1.5 मिलियन महिलाएं भी शामिल है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार संपूर्ण विश्व में 80 फीसदी पुरुष तम्बाकू का सेवन करते हैं। हालांकि कुछ देशों में महिलाओं की संख्या, तम्बाकू सेवन की लत में तीव्र गति से इजाफा हो रहा है। जो कि एक गंभीर विषय है। धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों की संख्या भारत में विश्व की करीब 10 फीसदी हैं, अर्थात भारत में करीब 25 करोड़ लोग गुटखा, बीड़ी, सिगरेट, हुक्का आदि का सेवन करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व के 125 देशों में तम्बाकू का उत्पादन हो रहा है। दुनिया भर में हर साल 5.5 खरब सिगरेट का उत्पादन होता है, और एक अरब से ज्यादा लोग इसका सेवन करते हैं। भारत में 10 अरब सिगरेट का उत्पादन होता है। भारत में 72 करोड़ 50 लाख किलो तम्बाकू की पैदावार होती है। भारत तम्बाकू निर्र्यात के मामले में विश्व के छठे स्थान पर है। विकासशील देशों में प्रतिवर्ष 8 हज़ार बच्चों की मौत अभिभावकों द्वारा किए जाने वाले धूम्रपान के कारण ही होती है। विश्व के अन्य देशों की तुलना में भारत में तम्बाकू जनित बीमारियों से मरने वाले लोगों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। तम्बाकू पर आयोजित विश्व सम्मेलन और अन्य अनुमानों के अनुसार भारत में तम्बाकू सेवन करने वालों की संख्या, अनुमानित अब साढ़े 29 करोड़ हो सकती है। जो कि बेहद गंभीर विषय है।
तंबाकू सेवन, हानि, प्रभाव-
प्राय: हम देखते हैं, कि यदि कोई व्यक्ति धूम्रपान का सेवन लगातार कर रहा है, या उसकी लत से पीडि़त है, उसे भिन्न प्रकार की बीमारियां या फिर कहें कि उसके शरीर में ऐसे लक्षण देखे जा सकते हैं। जो कि उसके स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर डालते हैं। आइये श्री पाठक महोदय, तंबाकू जनित, मानव शरीर पर पडऩे वाले प्रभावों को विस्तार से जाने।
सौन्दर्य-
धूम्रपान जनित विषैले तत्वों के कारण मनुष्य की त्वचा को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सिजन ना मिलना। अमुक व्यक्ति की रूखी त्वचा अथवा त्वचा का बेजान होना मुख्य कारण बन सकती है। प्राय: कुछ व्यक्तियों की त्वचा पर तो छोटे छोटे निशान भी बन जाते है।
पाचन तंत्र-
पाचन तंत्र, ऐसे तंत्र है जो कि मानव शरीर को आवश्यकतानुसार ऊर्जा प्रदान कर शरीर के प्रत्येक भाग की क्रिया को क्रियाशील रखता है। धूम्रपान, आदत से ग्रसित लोगों में अक्सर देखा जाता है कि अधिक धूम्रपान से, उनके पेट और आंत में लगातार जलन व सूजन होने लगती है। परिणाम स्वरूप उनका पाचन तंत्र, हमेशा अल्सर की चपेट आने लगता है। ऐसी स्थिति में मनुष्य की मांसपेशियों कमजोर पडऩे लगती है। इस समस्या के चलते उक्त व्यक्ति को आंतों का कैंसर बनने की संभावनाएं ओर अधिक बढ़ जाती है।
रक्त, संचारण-
यह क्रिया ऐसी है, यदि मानव शरीर में रक्त का सर्कुलर नियमित ना हो तो शरीर की त्वचा नीली व सून होने की कगार पर पहुंच जाती है। यदि रक्त का प्रवाह अशुद्ध रूप (धूम्रपान, विषाक्त युक्त रक्त) में प्रवाहित होगा तो, ऐसी स्थिति में रक्त कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाना निश्चित है। रक्त मोटा होने कारण रक्त में थक्के जमने की संभावनाएं बढ़ जाती है। मनुष्य की धमनियां धीरे धीरे संकीर्ण होने लगती है। जिस कारण शरीर के महत्वपूर्ण भागों जैसे हृदय, मस्तिष्क को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सिजन प्राप्त नहीं हो पाती। मनुष्य शरीर में हृदय घात, उच्च रक्तचाप, ब्लड कैंसर जैसी बीमारियों को खुला निमंत्रण मिल जाता है।
मुख की स्थिति-
प्रत्येक क्षेत्र में व्यक्ति की फेस वैल्यू बहुत अधिक अहमियत रखती है। यदि वह ही ठीक नहीं रहेगी, तो हमारी छवि समाज में कैसी होगी इसका अंदाजा आप स्वयं ही लगा सकते हैं। तंबाकू सेवन, मनुष्य के मुख की समस्या को इतना जटिल बना देता है, कि सांसों से बदबू का आना, मसूडों की बीमारी का होना, लार ग्रंथी में सूजन का होना, दांतो में दर्द का होना, जिस कारण दांत भी निकलवाने पड़ सकते है। यदि समय रहते ध्यान नहीं दिया जाता तो व्यक्ति को मुख का कैंसर भी हो सकता है।
धूम्रपान ओर गर्भावस्था-
मां एक ऐसा पवित्र शब्द है, जिसकी संज्ञा भगवान के बराबर दी गई है। समाज में बुराइयों का बोल बाला होने कारण महिलाओं को अक्सर धूम्रपान की आदत लग जाती है, जो कि उनकी गर्भावस्था के लिए घातक भी सिद्ध हो सकती है। वे अपनी धूम्रपान की लत के चलते भावी बच्चे की नन्हीं सी जान को भी खतरे में डाल देती है। धूम्रपान के कारण ही बच्चा या तो समय से पूर्व जन्म ले लेता है या फिर मरा हुआ पैदा होता है। यदि दोनों में से कोई स्थिति नहीं होती, तो बच्चे के रोगग्रस्त होने की संभावनाएं भी कई गुणा बढ़ सकती है। अक्सर ऐसे बच्चों में मधुमेह, अस्थमा, उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियां स्व: ही लग सकती है। ध्यान रहे, यदि मां गर्भ के दौरान तंबाकू अथवा तंबाकू से उत्पन्न धुएं के संपर्क में ज्यादा आती है, तो गर्भ में पलने वाले भू्रण पर भी, प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
प्रजनन क्षमता -
मानव शरीर में प्रजनन क्रिया, एक ऐसी क्रिया है जिसके अभाव में सृष्टि का निर्माण अधूरा है। धूम्रपान के लगातार बढ़ रहे, उपयोग से व्यक्ति की प्रजनन प्रणाली बुरी तरह प्रभावित हो चुकी है। जो कि पुरुषों में इन्फर्टिलिटी का मुख्य कारण बना हुआ है। जिस कारण ही मनुष्य के शरीर में शुक्राणु का उत्पादन कम हो पाता है और मनुष्य में नपुंसकता का खतरा भी कई गुणा बढ़ जाता है। तंबाकू में मौजूद निकोटीन पुरुषों के एथेरोस्क्लेरोसिस में योगदान देता है, जिस कारण प्रजनन अंगों को पर्याप्त मात्रा में, रक्त उपलब्ध नहीं हो पाता और उन्हें निष्क्रिय करने में, अपनी अहम भूमिका अदा करता है। यदि बात करें महिलाओं की तो धूम्रपान की चपेट में आई महिलाओं का माहवारी चक्र भी पूर्ण: प्रभावित हो जाता है या तो माहवारी नहीं होने की शिकायत होती है, या फिर उनकी प्रजनन क्षमता शून्य मात्र रह जाती है। अत्यधिक धूम्रपान से महिलाओं को स्तन कैंसर और सर्वावाईकल की भी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है।
हृदयघात-
हृदय मनुष्य का वह महत्वपूर्ण अंग जो, कि अपनी पम्प क्रिया के द्वारा शरीर के समस्त अंगों को रक्त मुहैया करा कर, अपना अहम योगदान अदा करता है। धूम्रपान के चलते ना जाने कितने लोगों की जान जाती होगी है। जिनकी मृत्यु धूम्रपान अथवा धूम्रपान जनित रोगों के द्वारा होती है। धूम्रपान, हृदय संबंधी बीमारियों दिल का दौरा, हृदय-धमनी रोग का मुख्य कारण बन चुका है। धूम्रपान के कारण हृदय में जमा निकोटीन रक्त वाहिनी को नुकसान पहुंचाने के साथ साथ धमनियों के हिस्सों को भी ऊबड़ खाबड़ बना देता है।
जिस कारण रक्तचाप सामान्य स्थिति में नहीं रहता और तंबाकू सेवन करने वाले मनुष्य में हार्ट अटैक का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है।
धूम्रपान छोडऩे के उपाय-
- तंबाकू या फिर धूम्रपान को छोडऩे के लिए, आप को अपने अंदर की इच्छा शक्ति को जाग्रत कर, उसे दृढ़ संकल्प में बदलना होगा। ताकि आप धूम्रपान की लत से छुटकारा पा सके।
- यदि आपने दृढ़ संकल्प ले ही लिया, तो बार-बार (10 दिनों तक) आप का दिल, धूम्रपान अथवा तंबाकू सेवन के लिए करेगा यदि आप ऐसी स्थिति में टूट गये तो आप को पुन: यह लत लग सकती है। ऐसी अवस्था में आपको सतर्र्कता बरतनी होगी।
- सावधान रहे, ऐसे मित्रों की संगति से बचने का प्रयास हमेशा करे, जो कि धूम्रपान करने के आदि हो, जो आपको धूम्रपान करने के लिए बाध्य कर सकते हैं।
- 10 दिनों के दौरान, अपने पास कुछ भुने चने अथवा किशमिश के दाने रखे जब भी आपको धूम्रपान अथवा तंबाकू सेवन का दिल करे, तो आप चने किशमिश अथवा सौंप का प्रयोग कर सकते है। अपने दिनचर्या में योग को शामिल करे व अपने आप को इतना व्यस्त रखे, कि उक्त आदत आप को पुन: ना लग जाये।
- अपने शरीर का संतुलन बनाये रखे, स्वयं को तनाव पूर्ण बिल्कुल भी महसूस ना करें।
- नशा छोडऩे में सबसे बड़ा कारगर उपाय ईश्वर के नाम का जाप नियमित करें, जिससे आपके आत्मविश्वास में निरंतर बढ़ोतरी होगी। जिसे हम मैथड ऑफ मेडिटेशन के नाम से भी जान सकते हैं।
- शहद , मूली, मुलेठी, लाल मिर्च आदि का सेवन करने से तंबाकू के उपयोग को रोका जा सकता हैं
- अपने आहार में सुधार करें, भोजन में एंटीऑक्सीडेंट्स युक्त फलों और सब्जियों का प्रयोग बढ़ा दें।
- विटामिन सी, प्रचुर मात्र में ग्रहण करे। आंवला, आम और हल्दी के सेवन से मुंह संबंधी बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकेगा।
अंत में लेखक आपको धूम्रपान ना करने या ऐसे पदार्थों से दूर रहने की सलाह देना चाहता है। ताकि आप एक स्वस्थ्जीवन या फिर प्रतिष्ठित जीवन यापन कर सके। धूम्रपान अथवा मादक पदार्थों का सेवन मात्र से ही, मानव मस्तिष्क नकारात्मक ऊर्जा को प्रचुर मात्रा में ग्रहण करने लगता है। ऐसी ऊर्जा आप को उपहार के रूप में गिरा हुआ स्वास्थ देने के साथ साथ समाज विरोधी कार्यों के लिए भी प्रेरित कर सकती हैं। यदि वाक्य हमें एक स्वच्छ समाज का निर्माण करना है, तो हमें पूूर्ण: धूम्रपान अथवा मादक पदार्थों को, त्यागना ही होगा। हमारी भावी पीढिय़ां, नकारात्मक विचारों या संस्कारों को बड़ी तीव्र गति से ग्रहण करती है। उदाहरण के तौर पर यदि कोई पिता कोई गलत कार्य करे (धूम्रपान अथवा मादक पदार्थों का सेवन), या उसे बढ़ावा दे तो अभिभावक को यह बात तब महसूस नहीं होती। किंतु जब अमुक व्यक्ति की संतान उस कार्य को अंजाम तक पहुंचा दे। तो उसके हृदय में जो पीड़ा होती है, वह बड़ी असहनीय है। समाज में अथवा परिवारों में संस्कारों का संचारण अधिकतर अभिभावकों, बड़े बुजुर्गों से ही, भावी पीढिय़ां में स्थानांतरित होता है। यदि हम नकारात्मक संस्कारों को उनके हृदय में रोपेंगे, तो आप स्वयं सूझ वान पुरूष है, आप अंदाजा लगा सकते है कि हमारे भावी समाज की दिशा-दशा कैसी होगी? और भारत का भविष्य कैसे निर्मल व स्वच्छ बन सकेगा? स्वयं के साथ-साथ, संपर्क में आये मित्रों को भी धूम्रपान त्यागने के लिए प्रेरित करें, ताकि आपकी छोटी सी पहल से, नये भारत का निर्माण हो सके। कृपया धूम्रपान को त्यागे और निर्मल सरल समाज की स्थापना में, अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सिद्ध कर दीजिए कि आप कितने बलवान व सुदृढ़, इच्छा शक्ति के धनी है?
लेखक -अंकेश धीमान
(धीमान इंश्योरेंस)
बड़ौत रोड़ बुढ़ाना जिला मु.नगर
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