लाइफ में सबकुछ आसान है जब आप busy हो। लेकिन सब कुछ मुश्किल है, जब आप lazy हो।
जब भी हम खाली होते है और हमारे पास करने के लिए कोई भी काम नहीं होता है तो बोरियत महसूस करने लगते हैं और अक्सर हमने कई लोगों को देखा है कि वो खाली समय में बोरियत महसूस करने लगते हैं और ऐसे में उनके मन में कई प्रकार के नकारत्मक विचार भी आने लगते हैं।
जब आप खाली बैठे होते है तो आप आलसी भी हो रहे होते है और धीरे-धीरे ये आलस्य हमको अंदर से खोखला कर रहा होता है इसलिए अपने मन को ज्यादा से ज्यादा खुश रखने और सकारात्मक ऊर्जा को बनाये रखने के लिए जरुरी हैं कि अपने आप को व्यस्त (busy) रखा जाये।
क्या आपने कभी सोचा है कि खुद को वयस्त रखना क्यों जरुरी होता है ?
जीवन में खुद को व्यस्त रखना एक कला है और बहुत से लोग इस कला में सक्षम है, पर कई लोगों को व्यस्त कैसे रहा जाए, पता ही नहीं रहता है और वह अपने समय को सही तरीके से उपयोग करने के अलावा, इधर-उधर की कुछ चीजों में अपने समय को गवाते रहते हैं। इसलिए खुद को व्यस्त कैसे रखा जाए (Keep Yourself Busy), से भी अच्छा प्रश्न यह है कि खुद को सही कार्यों में व्यस्त कैसे रखें ?
जब भी हम खाली होते है हम आलसी होते है आलस्य इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन होता है।
आलस्य क्या होता है ?
बिना लक्ष्य के जीवन जीना ही आलस्य का सबसे बड़ा कारण है। जिसके जीवन में कोई लक्ष्य नही है, वह मनुष्य किसी काम का नहीं होता है, वह अपने जीवन को बर्बाद कर रहा है।
यही बात अगर किसी बिज़नेस चलने वाले के लिए बोलें तो बिल्कुल विपरीत होगा, क्योंकि वह हमेशा प्रयासरत रहता है अपने व्यापार को आगे और बड़ा करने के लिए। वो कभी आलस नही करता है।
स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है, “बिना लक्ष्य के मनुष्य उस जानवर की तरह है, जो केवल अपना जीवन व्यर्थ कर रहा है”
अगर आपको अपने जीवन में कुछ करना है, कुछ आपके लक्ष्य हैं, कुछ आप पाना चाहते है, कुछ जूनून है तब आपको कभी भी आलस्य नही लगेगा।
आलस्य का मतलब हमारे मन व शरीर पर सुस्ती का हावी हो जाना है | सुस्ती जिस हद तक हावी होती चली जाती है आलस्य उससे भी अधिक तेजी से अपना पैर जमाता चला जाता है जो हर प्रकार के रोग का जनक होता है |
सफलता पाना हैं तो आलस्य को मिटाना हैं
इस कमजोरी को हर सुबह उठकर हराना हैं.
आलस्य के बारे में जानने के बाद हम सभी के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर यह आलस्य होता क्यों है ? आलस्य के कारण क्या हैं ?
वैसे आलस्य के पैदा होने के अनेको कारण हो सकते हैं लेकिन कुछ ऐसे कारण है जो कि उसको और भी पक्का करते चले जाते है।
हमारे शरीर को पर्याप्त नींद का ना मिल पाना |
अधिक भोजन करना आलस्य को जन्म देता है
भाग्यवादी नजरिया, आलस्य का ही रूप है |
व्यक्ति के जीवन में किसी लक्ष्य का न होना |
किसी कार्य को करने में रुचि का न होना।
शारीरिक गतिविधिया न करना।
आलस्य एक भयानक रोग है जो कि कैंसर की तरह हमें अंदर ही अंदर खोखला करता रहता है |तभी तो कहा गया है कि "आलस्य का रोगी जीवन भर नहीं उठ पाता है |"
आलस्य को दूर करने के उपाय :-
1. अपने लिए एक लक्ष्य बनाये।
किसी भी काम की शुरुआत हमेशा से ही मुश्किल होती है लेकिन लक्ष्य को पूरा करने के लिए आपके पास एक मजबूत कारण होना चाहिए। आप अपना एक लक्ष्य बना कर स्वयं को आलस्य से निपटने के लिए तैयार कर सकते हो, क्योंकि दृढ़ता के साथ बनाया गया लक्ष्य आपको कभी भी भटकने नहीं देगा।
जब भी आपको आलस महसूस हो तो कुछ शब्द है जिनको आप खुद को बोल सकते है, जैसे – मैं पॉजिटिव हूँ, मैं सफल हूँ, मुझमें बहुत ऊर्जा है, मैं बहुत मेहनती हूँ, मैं रचनात्मक हूँ, मैं एक्टिव हूँ आदि. यह जादुई शब्द आपको अंदर से बहुत उत्साहित करेंगे।
स्वयं को प्रेरित करे – बहुत से जरूरी कार्यो के होते हुए भी अगर आपको आलस आ रहा है तो खुद को प्रेरित करे।आप यह सोचे जो भी समय आप आलस में बेकार कर रहे है उतना ही आप पैसा खो रहे है और भला अपना पैसा कौन खोना चाहता है।
आप जिस भी सफल व्यक्ति को अपना आदर्श मानते है उनके बारे में सोचे की कैसे सफल लोगों को आलस्य कभी जीत नहीं पाया। उनके बारे में पढ़े की कैसे दैनिक चुनौतियों के साथ लड़कर भी सफल हो पाए और कैसे अपने आलस को दूर कर पाए।
जानें कैसे वे लोग खुद को एक्टिव रख पाते है और निरंतर आगे बढ़ते रहते है। ऐसी सोच और जानकारी आपको आलस से कोसों दूर रखेगी। यह भी ख्याल रखे समय सबके लिए सीमित है इसे यूज़ करना है आलस में गवाना नहीं है।
हमेशा अपने काम से प्यार करे –जिस काम से प्यार हो जाता है वहाँ आलस की कोई जगह नहीं होती है इसलिए आप जो भी काम करते है उससे प्यार कीजिए।
प्रतिदिन अपने कार्य की लिस्ट तैयार करे और उसे अपना टारगेट बनाए। जैसा की आप जानते है सामने जब कोई टारगेट होता है तो आलस वहाँ टिक नहीं पाता।
अगर किसी भी काम को प्लानिंग के साथ किया जाए तो आलस नहीं आता बल्कि उस काम में मन लगता है। प्लानिंग में उतना ही काम जोड़े जितना आप आराम से कर सके।
अस्त-व्यस्त जीवन से निराशा और आलस ही आता है लेकिन प्लानिंग के साथ काम करने से आपको पता होता है कौन सा काम कब और कैसे करना है। ऐसा करने से आप अपने काम को प्यार करने लगेंगे।
पॉजिटिव रहे – परिस्थिति चाहे जैसी भी हो हमेशा पॉजिटिव रहे क्योंकि नेगेटिव रह कर भी आप परिस्थिति को बदल नहीं सकते जबकि आलस नेगेटिव थिंकिंग का ही परिणाम है इसलिए हमेशा सकारात्मक रहे और आलस को दूर भगाए। संगीत से दिमाग सक्रिय हो जाता है इसलिए जब भी आलस महसूस हो संगीत जरूर सुने।
हर समय कुछ नया करे – जब आप हमेशा एक जैसा काम करते है तो आलस आने लगता है, उस कार्य के प्रति आप बोरिंग महसूस करने लगते हो इसलिए कभी-कभी अपनी पसंद का कुछ क्रियेटिव काम करे जिसे कर के आप कुछ अच्छा फील करे।
हफ्ते या महीने में कही घूमने जाए, ऐसी आदत आपको अपने कार्य के प्रति समर्पित करेगी की काम तो करना है आलस में कुछ नहीं रखा। क्योंकि काम पूरा होगा तभी आप कुछ नया कर पाओगे या घूमने जा सकोगे।
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