Bhartrihari neeti shatak shloka highlighting the bliss of great poetry and literature.
ज्ञातिश्चेदनलेन किं यदि सुहृद्दिव्यौषधिः किं फलम् ।
किं सर्पैर्यदि दुर्जनः, किमु धनैर्वुद्यानवद्या यदि
व्रीडा चेत्किमु भूषणैः सुकविता यद्यस्ति राज्येन किम् ॥
kShAntishchet
kavachena kiM kimaribhiH krodho.asti cheddehinAM
j~nAtishchedanalena kiM yadi suhRRid
divyauShadhaiH kiM phalam |
kiM
sarpairyadi durjanAH kimu dhanairvidyA na vandyA yadi
vrIDA chetkimu bhUShaNaiH sukavitA yadyasti
rAjyena kim || 21||
Hindi Translation Of Neeti Shatak Shloka About Bliss Of Great Poetry
यदि व्यक्ति धैर्यवान या सहनशील है तो उसे अन्य किसी कवच की क्या आवश्यकता; यदि व्यक्ति को क्रोध है तो उसे किसी अन्य शत्रु से डरने की क्या आवश्यकता; यदि वह रिश्तेदारों से घिरा हैं तो उसे अन्य किसी अग्नि की क्या आवश्यकता; यदि उसके सच्चे मित्र हैं तो उसे किसी भी बीमारी के लिए औषधियों की क्या जरुरत? यदि उसके आप-पास बुरे लोग निवास करते हैं तो उसे सांपों से डरने की क्या आवश्यकता? यदि वह विद्वान है तो उसे धन-दौलत की क्या आवश्यकता? यदि उसमे जरा भी लज्जा है तो उसे अन्य किसी आभूषणों की क्या आवश्यकता तथा अगर उसके पास कुछ अच्छी कवितायेँ या साहित्य हैं तो उसे किसी राजसी ठाठ-बाठ या राजनीति की क्या आवश्यकता हो सकती है।
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यदि व्यक्ति धैर्यवान या सहनशील है तो उसे अन्य किसी कवच की क्या आवश्यकता; यदि व्यक्ति को क्रोध है तो उसे किसी अन्य शत्रु से डरने की क्या आवश्यकता; यदि वह रिश्तेदारों से घिरा हैं तो उसे अन्य किसी अग्नि की क्या आवश्यकता; यदि उसके सच्चे मित्र हैं तो उसे किसी भी बीमारी के लिए औषधियों की क्या जरुरत? यदि उसके आप-पास बुरे लोग निवास करते हैं तो उसे सांपों से डरने की क्या आवश्यकता? यदि वह विद्वान है तो उसे धन-दौलत की क्या आवश्यकता? यदि उसमे जरा भी लज्जा है तो उसे अन्य किसी आभूषणों की क्या आवश्यकता तथा अगर उसके पास कुछ अच्छी कवितायेँ या साहित्य हैं तो उसे किसी राजसी ठाठ-बाठ या राजनीति की क्या आवश्यकता हो सकती है।
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English Translation Of Bhartrihari Shloka About Bliss Of Great Poetry
If man has patience what need has he of an Armour, if he has anger what other enemy need he fear. If he has relatives what need of any fire, if he has a true friend what use has he of medicines of potent virtue; if there be bad people around him why should he fear serpents; if he has flawless learning what worth are riches to him, if he has sense of shame what other ornament does he require; if he has good poems what pleasure can he have from a kingdom.
नीति शतक के पहले प्रकाशित किये गए श्लोक:
- सम्पूर्ण भर्तृहरि नीति शतक हिंदी और अंग्रेजी में | Complete Bhartrihari Neeti Shatak In Hindi & English
- ज्ञान के बिना मनुष्य केवल एक पशु के समान है - भर्तृहरि | Bhartrihari Neeti Shatak - 20 |
- केवल सुसंस्कृत और सुसज्जित वाणी ही मनुष्य की शोभा बढाती है। - Bhartrihari Neeti Shatak-19
- आपसे आपकी क्षमता या कला कोई नहीं छीन सकता - Bhartrihari Neeti Shatak Shloka-18
- धन दौलत से ज्ञानियों को वश में करना असंभव है !- Bhartrihari Neeti Shatak Shloka-17
- ज्ञान अद्भुत धन है - भर्तृहरि-Bhartrihari Neeti Shataka-Shlok-16
- सम्पूर्ण भर्तृहरि नीति शतक हिंदी और अंग्रेजी में | Complete Bhartrihari Neeti Shatak In Hindi & English
- ज्ञान के बिना मनुष्य केवल एक पशु के समान है - भर्तृहरि | Bhartrihari Neeti Shatak - 20 |
- केवल सुसंस्कृत और सुसज्जित वाणी ही मनुष्य की शोभा बढाती है। - Bhartrihari Neeti Shatak-19
- आपसे आपकी क्षमता या कला कोई नहीं छीन सकता - Bhartrihari Neeti Shatak Shloka-18
- धन दौलत से ज्ञानियों को वश में करना असंभव है !- Bhartrihari Neeti Shatak Shloka-17
- ज्ञान अद्भुत धन है - भर्तृहरि-Bhartrihari Neeti Shataka-Shlok-16
100% truth no doubt and remeberable
जवाब देंहटाएंexcellent job :)
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