सफलता के लिए विद्यार्थियों को ध्यान रखनी चाहिए आठ बातें!! 8 tips suggested by Acharya Chanakya for Student to achieve success and knowledge.
जिंदगी में हम सब हमेशा सीखते रहते हैं और हम सब विद्यार्थी हैं, आचार्य चाणक्य की सम्पूर्ण चाणक्य नीति हमने पहले ही प्रकाशित की थी जिसमे विद्यार्थियों के लिए कुछ बेहद उपयोगी और अद्भुत नीतियों के बारे में बताया गया है। इन नीतियों का पालन करके कोई भी विद्यार्थी उत्तम तथा सही रूप से शिक्षा प्राप्त करने में सफल हो सकता है और अपनी जिंदगी में हर मुकाम हासिल करने की काबिलियत हासिल कर सकता है। इन्ही नीतियों में से एक के बारे में हम विस्तार से आपको बताएँगे ताकि आप इन्हें अच्छे से समझ सकें और इन्हें अपना कर अपनी जिंदगी में अहम् बदलाव ला सकें :
कामक्रोधौ तथा लोभं स्वायु श्रृड्गारकौतुरके।
अतिनिद्रातिसेवे च विद्यार्थी ह्मष्ट वर्जयेत्।।
अर्थात- विद्यार्धी के लिए आवश्यक है कि वह इन आठ दोषों का त्याग करे:
१.काम,
२.क्रोध
३.लोभ
४.स्वादिष्ठ पदार्थों या भोजन
५.श्रृंगार
६.हंसी-मजाक
७.निद्रा (नींद)
८.और अपनी शरीर सेवा में अधिक समय न दे।
1. काम भावनाओं से बचें :
जिस व्यक्ति के मन में काम वासना उत्पन्न हो जाती है, वह हर समय अशांत रहने लगता है। ऐसा व्यक्ति अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए सही-गलत कोई भी रास्ता अपना सकता है। कोई विद्यार्थी अगर काम वासना के चक्कर में पड़ जाए, तो वह पढ़ाई छोड़कर दूसरे कामों की ओर आकर्षित होने लगता है। उसका सारा ध्यान केवल अपनी काम वासना की पूर्ति की ओर लगने लगता है और वह पढ़ाई-लिखाई से बहुत दूर हो जाता है। इसलिए विद्यर्थियों को ऐसी भावनाओं के बचना चाहिए।
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2.प्रयास करें की क्रोध न करें :
क्रोध में आदमी अँधा हो जाता है, उसे सही गलत की पहचान नहीं रह जाती है, और जो व्यक्ति क्रोधी स्वभाव है और छोटी से छोटी बात पर भी गुस्सा होकर कुछ ऐसा कर बैठता है जिसके लिए आगे जाकर पछताना पड़े वैसे लोग क्रोध आने पर किसी का भी बुरा कर बैठते है।
ऐसे स्वभाव वाले व्यक्ति का मन कभी भी शांत नहीं रहता। विद्या प्राप्त करने के लिए मन का शांत और एकचित्त होना बहुत जरूरी होता है। अशांत मन से शिक्षा प्राप्त करने पर मनुष्य केवल उस ज्ञान को सुनता है, उसे समझ कर उसका पालन कभी नहीं कर पाता। इसलिए शिक्षा प्राप्त करने के लिए मनुष्य को अपने क्रोध पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी होता है।
3. देख परायी चुपड़ी न ललचाओ जी ( लोभ न करें ):
लालच बुरी बला है, हम सबने से सुना और पढ़ा है, लालची इंसान अपने फायदे के लिए किसी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं और किसी के साथ भी धोखा कर सकते हैं। ऐसे व्यक्ति सही-गलत के बारे में बिलकुल नहीं सोचते। जिस व्यक्ति के मन में दूसरों की वस्तु पाने या हक़ छीनने की भावना होती है और हमेशा उसे पाने की योजना बनाने में ही लगा रहता है। ऐसा व्यक्ति कभी भी अपनी विद्या के बारे में सतर्क नहीं रह सकता और अपना सारा समय अपने लालच को पूरा करने में गंवा देता है। विद्यार्थी को कभी भी अपने मन में लोभ या लालच की भावना नहीं आने देना चाहिए।
4. स्वादिष्ठ पदार्थ तथा भोजन के चक्कर में हमेशा न रहें:
जिस इंसान की जीभ उसके वश में नहीं होती, वह हमेशा ही स्वादिष्ठ व्यंजनों की खोज में लगा रहता है। ऐसा व्यक्ति अन्य बातों को छोड़ कर केवल खाने को ही सबसे ज्यादा अहमियत देता है। कई बार स्वादिष्ठ व्यंजनों के चक्कर के मनुष्य अपने स्वास्थ तक के साथ समझौता कर बैठता है। विद्यार्थी को अपनी जीभ पर कंट्रोल रखनी चाहिए, ताकी वह अपने स्वास्थय और अपनी विद्या दोनों का ध्यान रख सके।
5. श्रृंगार (सजना-सवरना) और अपनी शरीर सेवा में अधिक समय न दे:
जिस विद्यार्थी का मन सजने - सवरने में लग जाता है वह अपना ज्यादातर समय इन्ही बातों में गवां देता है। ऐसे व्यक्ति खुद को हर वक्त सबसे सुन्दर और अलग दिखने के लिए ही मेहनत करते रहते हैं, और इसी वजह से हमेश उनके दिमाग में सौंदर्य, अच्छे पहनावे और रहन -सहन से जुडी बातें ही घुमती रहती हैं। सजने-सवरने के बारे में सोचने वाला व्यक्ति कभी भी एक जगह ध्यान केंद्रित करके विद्या नहीं प्राप्त कर पाता। विद्यार्थी को ऐसे परिस्थितियों से बचना चाहिए।
6. हंसी-मजाक में समय व्यर्थ न करें :
किसी अच्छे विद्यार्थी का एक सबसे महत्वपूर्ण गुण होता है गंभीरता। विद्यार्थी को शिक्षा प्राप्त करने और जीवन में सफलता पाने के लिए इस गुण को अपनाना बहुत जरूरी होता है। जो विद्यार्थी अपना सारा समय हंसी-मजाक में व्यर्थ कर देता है, वह कभी सफलता नहीं प्राप्त कर पाता। विद्या प्राप्त करने के लिए मन का स्थित होना बहुत जरूरी होता है और हंसी-मजाक में लगा रहना वाला विद्यार्थी अपने मन को कभी स्थिर नहीं रख पाता।
7.निद्रा : आवश्यकता से अधिक सोने से बचें :
अमूमन स्वस्थ मनुष्य के लिए ६-८ घंटे सोना आवश्यक होता है, विद्यार्थोयों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए की वे आवश्यकता से अधिक निद्रा से बचें। अत्यधिक निद्रा से शरीर में हमेशा थकान बनी रहती है और अगर शरीर थका हो तो ध्यान केन्द्रित करना मुश्किल हो जाता है, और अध्ययन के लिए दिमाग का केन्द्रित होना अत्यंत आवश्यक होता है।
आचार्य चाणक्य द्वारा बताई गयी इन नीतियों को अपना कर हर विद्यार्थी अपने सपने साकार कर सकता है। यह लेख आपको कैसा लगा हमें जरूर बताएं।
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thank u sir...... bahut achha laga h ...
जवाब देंहटाएंhamari aanke kholne ke liye....
बहुत खूब !!!
जवाब देंहटाएंThanks for sharing such a useful information of life to us. we try to use these tips. Please share more information.
जवाब देंहटाएंthanks for such thoughts
जवाब देंहटाएंI AM MUCH EXCITED TO READ THIS BLOG AND I WISH I APPLY THIS TIPS IN MY DAILY ROUTIN THANKS FOR IT
जवाब देंहटाएंthis line is very important in all student life
जवाब देंहटाएंvidyarthiyon ki safalta ke liye ye baten aaj bhi utni hi kargar hain jitni hazaron varsh poorv thi
जवाब देंहटाएंreally its very nice......
जवाब देंहटाएंagar vidhyarthi in baaton par amal krne lg jaye fir to unke kya kehne.........unki soojh boojh sbse adhik hogi aur zindagi me kabhi bhi nakamyaab nahi honge.
जवाब देंहटाएंVery Nice written, very useful
जवाब देंहटाएंहम सबको गुरु चाणक्य जी के नियमो का पालन अवश्य करना चाहिए
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी लेख हैं जो हमें आज भी प्रेरित करता हैं
जवाब देंहटाएंimportant points Apply to change life
जवाब देंहटाएंvery good
जवाब देंहटाएंkafi achhi hai
जवाब देंहटाएंbahoot hi achha post thank you for the shearing
जवाब देंहटाएंVery nice
जवाब देंहटाएंAgar y vakey chanakya Jii k dvara btayi gyi bate h to m in sb chijo par believe krti hu or Aaj se or abhi s in sbhi rules ko follow krti hu.....
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