diarrhea, symptoms, causes-troubles डायरिया लक्षण, कारण -निवारण अतिसार लक्षण, कारण -निवारण दस्त लक्षण, कारण -निवारण लक्षण, कारण -निवारण पेचिश- लक्षण, कारण -निवारण
रोग परिचय-
कुछ बीमारियां ऐसी होती है जो कि अपना प्रकोप मौसम के अनुसार बढ़ा लेती है। कुछ अन्य कारणों के चलते भी, ऐसी बीमारियां जन जीवन को प्रभावित करती है। यदि समय रहते, थोड़ी सतर्कता दिखलाई जाये, तो, भावी बीमारियों की संभावनाओं को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। हम आज, ऐसी ही बीमारी पर चर्चा करने जा रहे हैं, जो कि ग्रीष्म ऋतु के चलते, एक आम आदमी से घनिष्ठ संबंध रखती है। जिसे हम डायरिया, अतिसार, पेचिश, दस्त के नाम से भी पहचान सकते हैं। यह एक ऐसी बीमारी है, जो कि संक्रमण या दूषित भोजन के माध्यम से तीव्र गति से, स्वस्थ व्यक्तियों को अपने आगोश में ले सकती है। समस्त जनमानस के लिए, जागरूकता एक मात्र ऐसा उपाय है, जिसके माध्यम से संभावित बीमारियों को कुछ हद तक समाप्त किया जा सकता है। अतिसार के बारे, आम व्यक्ति का जागरूक होना आवश्यक है कि उक्त बीमारी की पहचान, लक्षण, कारण और निवारण क्या है, ताकि वह अन्य व्यक्ति को भी जागरूक कर, उसके स्वस्थ जीवन हेतु, सहयोग प्रदान कर सके।
अतिसार-
बैक्टीरिया के संक्रमण के चलते, अतिसार का रोग, एक स्वस्थ व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकता है। कैम्पिलोबैक्टर (जीवाणु), सैल्मोनेले, और शिगेला जीव बैक्टीरियल अतिसार होने के मुख्य कारण है। परजीवी दूषित पानी के माध्यम से रोगी के पाचन तंत्र को संक्रमित कर देते हैं। संक्रमण फैलाने वाले परजीवियों में जिआर्डिया लैंब्लिया, एंटअमीबा हिस्टोलिटिका, और क्रिप्टोस्पोरिडियम मुख्य है। अतिसार बीमारी का शिकार बच्चे व बड़े भी हो सकते है। गंभीर अतिसार की स्थिति में, लगातार रोगी के शरीर से, पानी व खनिज लवण की कमी होती रहती है। जिस कारण रोगी का शरीर कमजोर त्वचा शुष्क हो जाती है। समय रहते, रोगी अथवा परिजनों द्वारा अतिसार के बारे, यदि उचित देखभाल नहीं की जाती तो, देखने में सरल सा लगने वाला रोग, रोगी की मृत्यु का कारण भी बन सकता है।
प्राय: ऐसा देखा जाता है कि यह रोग बच्चों और बुजुर्गों को, अधिक प्रभावित करता है क्योंकि उनके शरीर में, रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। अतिसार रोग के कारण मरने वाले बच्चों की संख्या (पांच वर्ष से कम, आयु के बच्चे -760,000 अनुमानित) विश्व में दूसरे
स्थान पर है।
अतिसार के लक्षण-
- अतिसार के रोग में, रोगी को उल्टी की शिकायत हो सकती है।
- पेट के निचले हिस्से में दर्द होना व सूजन का होना, शौचालय में बार-बार जाने की, तीव्र इच्छा करना व रोगी के शारीर में कमजोरी व सुस्ती का अनुभव होना।
- अतिसार की गंभीर स्थिति में, रोगी को बुखार और सिर दर्द भी हो सकता है।
- पेट में ऐंठन के साथ-साथ बेचैनी का होना, शौच के वक्त मल के साथ खून या पस अथवा दोनों का आना।
- इस रोग में, रोगी के शरीर में निर्जलीकरण के कारण, मूर्छा भी आ सकती है, यह स्थिति ऐसी होती है, जिसमें रोगी की मृत्यु भी हो सकती है।
- इस प्रकार के रोगी को, भूख कम लगती है।
- यह बीमारी, खाद्य पदार्थों या पानी में पाए जाने वाले प्रोटोजोआ, वायरस या बैक्टीरिया के प्रभाव से हो सकती है।
- जब आप, अत्यधिक तला और भारी भोजन लेेते हैं, या फिर दूषित भोजन खा लेते है, तो अपच होने के कारण भी अतिसार की बीमारी जन्म ले सकती है।
- अतिसार रोग, अत्यधिक शराब के सेवन से भी, हो सकता है।
- कभी कभी अतिसार की बीमारी का होना, नये प्रकार के भोजन खा लेने से,भी हो सकता है, क्योंकि हमारा शरीर नये भोजन को पचाने का आदी नहीं होता।
- निश्चित बीमारी के लिए, नियमित ली जाने वाली, दवाइयों के दुष्प्रभाव के कारण भी, अतिसार की बीमारी हो सकती है।
- मनुष्य का मस्तिष्क , शरीर को संतुलित करने का कार्य करता है, यदि वह तनाव में है, तो आंतों के कार्यों में गड़बड़ी के कारण, शरीर में कब्ज के साथ दस्त की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
- यदि मनुष्य , अत्यधिक क्रोध, दु:ख, डर का अनुभव करे, तो पितदोष बढऩे से रोगी को, अतिसार से पीढि़त होना स्वाभाविक सी बात है।
- पेट की सर्जरी, पित्ताशय की थैली हटाने के बाद, प्राय: कुछ लोगों को दस्त कि शिकायत बन जाती है।
- यह मुख्य: रोगी की, अंतडय़िों में अधिक द्रव के जमा होने, अंतडय़िों के द्वारा तरल पदार्थ को कम मात्रा में अवशोषित करने या अंतडय़िों में मल के तीव्र प्रवाह से भी संभव है।
यदि अतिसार की शिकायत दूर नहीं हो रही तो ऐसी परिस्थिति में चिकित्सक आप को अतिसार निवारण हेतु, निम्र परीक्षण की सलाह दे सकते हैं।
- रक्त परिक्षण-
- स्टूल टेस्ट- (बीमारी का कारण बैक्टिरिया, परजीवी तो नहीं)
- कोलोनोस्कोपी - उक्त दो जांचों में यदि कोई भी परिणाम नहीं निकल रहा तो, चिकित्सक आप को कोलोनोस्कोपी परीक्षण हेतु लिख सकते हैं, जिसमें रोगी के पेट की, अंदरूनी भाग की जांच, एक विशेष प्रकार के लैंस द्वारा की जाती है।
रोग में, सावधानियां -
किसी भी क्षेत्र में, भावी जोखिमों को कम करने के लिए आप को, सतर्कता की आवश्यकता होती है। ऐसा ही, उक्त बीमारी से बचाव हेतु भी है, आप को चाहिए कि, शरीर में इलैक्ट्रोलाईट का संतुलन बना रहे। इसके लिए आप को, स्वच्छ पानी में, आवश्यकता अनुसार नमक मिलाकर पीना होगा। आपने अपने ईद गिर्द स्वच्छता का ध्यान रखने के साथ साथ खाना खाते समय अथवा शौच के उपरांत हाथों को साबुन से अवश्य धोये। यदि आप अतिसार से पीडि़त हो गये हैं, तो अपने शरीर में पानी की कमी बिल्कुल ना होने दे। अन्यथा डॉक्टर आपके शरीर में पानी की पूर्ति, ड्रिप लगाकर, कर सकते हैं । उक्त स्थिति ना हो इसलिए आपको चाहिए कि आप भरपूर नींद ले, ताकि मेटाबोलिज्म (भोजन को, ऊर्जा में परिवर्तित करने की क्रिया, शरीर में हो रही रासायनिक क्रिया के लिए जितनी न्यूनतम ऊर्जा की आवश्यकता होती है, वह मात्रा ही मेटाबोलिज्म है।) शरीर में संतुलित रहे।
अतिसार होन पर, आहार ले-
- अधिक मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन अवश्य करें।
- अतिसार के रोगी को, विशेष कर बच्चों को ओआरएस का घोल दे, जिसमें, चीनी और नमक का मिश्रण होता है।
- चीनी रहित, ताजे फलो का जूस पिये।
- भोजन के दौरान अधिक पानी ना पिये ।
- ताजी सब्जियों का सेवन करें।
- फाइबर युक्त भोजन करने से पाचन क्रिया सुदृढ़ बनाती है, इसलिए ऐसी अवस्था में-दलिया, मूंग की दाल की खिचड़ी, चावलों का पानी पी सकते हैं।
- पोटेशियम व सोडियम युक्त भोजन ग्रहण करे, आलू, केले, सूप, टमाटर आदि ले सकते हैं।
- चीनी के बने व तले हुये खाद्य पदार्थों का सेवन ना करें।
- रोगी को दूध, घी व क्रीम युक्त भोज्य पदार्थ ना दे।
- अतिसार के दौरान, रोगी को चाहिए कि वो, अंगूर, शहद खजूर, सूखे मेवे, अंजीर पेप्सी, कोक आदि के सेवन से बचे।
- अतिसार के रोग में, बेल का गूदा पानी में मथ कर नित्य पीने से राहत मिलेगी ।
- अतिसार निवारण हेतु, पीपल के कुछ पत्तों को पानी में उबाल कर, दिन तीन बार पीने से लाभ अवश्य ही मिलेगा।
- सूखी चाय पत्ती को, एक चम्मच दिन में तीन बार लेने से दस्त बिल्कुल बंद हो जायेेंगे।
- यदि उक्त रोग के कारण, रोगी को मल के साथ खून आने की शिकायत है, तो आधा चम्मच दूब का रस या दूब का काढ़ा बना कर दिन तीन बार लेने से काफी हद तक आराम मिल जायेगा।
- दो चम्मच रीठे का पानी पीने से दस्त रुक जायेंगे।
- यदि गर्मी के मौसम में दस्त हो जाये तो नीम की कुछ नरम पत्तियों का काढ़ा बनाकर उसमें आवश्यकता अनुसार मिश्री मिलाकर आधा कप दिन में तीन बार लेने से आराम मिलेगा।
- धनिया का चूर्ण 1 चम्मच, दिन में तीन बार लेने से,दस्तों में काफी हद तक आराम मिलेगा।
- एक चम्मच अदरक का रस+ एक चम्मच आरंडी का तेल गर्म पानी में मिला कर, ठंडा कर, तीन में दो या तीन बार लेने से अतिसार बंद हो जायेगा।
- नारियल पानी- डायरिया की समस्या में बहुत फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद पोषक तत्व शरीर की कमजोरी को भी दूर करते हैं।
पीलिया रोग (जॉन्डिस)-कारण, निवारण व उपचार https://www.hindisahityadarpan.in/2019/04/Jaundice-piliya-rog.html
अंत में, लेखक को उम्मीद ही नहीं वरण पूर्ण विश्वास है कि, प्रिय पाठकों को उक्त रोग, पर लिखा गया यह लेख शायद अच्छा लगा हो, जो कि भविष्य में आम जनमानस के लिए, लाभदायक सिद्ध होगा। यदि वास्तव में लेख अच्छा है तो, अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दीजिए, जो हमारे उत्साहवर्धन में सहायक सिद्ध होगी।
लेखक- अंकेश धीमान
समग्र अभिकर्ता
धीमान इंश्योरेंस बड़ौत रोड़ (बुढ़ाना) मु.नगर उत्तर प्रदेश
COMMENTS