कैसे दूर करें आलस्य और बेहतर बनाएँ जिंदगी, alasya kaise bhagayen,kaise chhoden alasya, how to avoide procrastination in hindi, Procrastination hindi
हम सब को ये पता होता है कि हमको जीवन में क्या करना है और हमारे लक्ष्य के बारे में हमको अच्छे से पता होता है किस तरह उस पर काम करना है लेकिन ये आलस्य बीच में आ जाता है जिसके कारण हम कभी कुछ कर ही नहीं पाते हैं।
अब इसका ये मतलब नहीं है कि हम पूरा दिन कुछ नहीं करते है,कुछ न कुछ तो करते ही रहते है लेकिन जो हमारा लक्ष्य है उससे रिलेटेड हम नहीं करते है अपना और ही कुछ करते रहते है जैसे t.v, मोबाइल, सोशल मीडिया हो गया इन पर अपना समय बर्बाद करते रहते है।
अब दूसरी तरफ जब हम अपने लक्ष्य से रिलेटेड कुछ भी करते रहते है तो कुछ समय बाद वो काम को करते-करते हम बोरिंग महसूस करते है, वह काम हमको बोरिंग लगने लगता है।
क्या आपने कभी भी सोचा है कि कोई भी काम बोरिंग क्यों लगता है ?
एक बात जो आपने महसूस की होगी कि जब भी हम कोई काम अपनी पसंद का करते है या जिसमे हमारी रूचि होती है क्या हम तब भी बोरिंग महसूस करते है या फिर जो हमारा इंटरेस्ट है उसके विपरीत हम कोई काम करते है है तब भी बोरिंग महसूस करते है।
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जब कोई काम हमारे इंटरेस्ट का है तो हम आलसी होते ही नहीं है वो एनर्जी एक अलग ही लेवल पे होती है कभी ऐसा भी होता है कोई काम हमको इंटरेस्टिंग लगता है और वही काम किसी और कोई बोरिंग लगता है।
अब इस पर हम दो तरह से काम करते है एक तो डीपली और एक एक्सटर्नल, 99% लोग ऊपर-ऊपर से काम करते है अब वो काम कुछ समय तक तो हमको सही लगता है फिर वापस से वैसे ही करते है जो कि करते आये है।
आलस्य का सबसे बड़ा कारण क्या होता है ?
बिना लक्ष्य के जीवन जीना ही आलस्य का सबसे बड़ा कारण है। जिसके जीवन में कोई लक्ष्य नही है, वह मनुष्य किसी काम का नहीं है, वह अपने जीवन को बर्बाद कर रहा है।
यही बात अगर किसी बिज़नेस चलने वाले के लिए बोलें तो बिलकुल विपरीत होगा, क्योंकि वह हमेशा प्रयासरत रहता है अपने व्यापार को आगे और बड़ा करने के लिए। वो कभी आलस नही करता है।
स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है, “बिना लक्ष्य के मनुष्य उस जानवर की तरह है, जो केवल अपना जीवन व्यर्थ कर रहा है”
अगर आपको अपने जीवन में कुछ करना है, कुछ आपके लक्ष्य हैं, कुछ आप पाना चाहते है, कुछ जूनून है तब आपको कभी भी आलस्य नही लगेगा।
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आलस्य को एक जो सबसे बड़ा कारण होता है वो है कि हमारे पास कोई लक्ष्य ही नहीं होता है जो कि हमको कुछ करने के लिए प्रेरित करे।
आलस्य को दूर कैसे किया जाता है ?
अब इसका स्थायी समाधान क्या है वो हमको खोज करना है वो होगा ये करने से की हमारी ब्रेन किस तरह से काम करती है उसको सही तरह से समझना होगा तब ही इसका स्थायी समाधान मिल सकता है वर्ना हम ऊपर-ऊपर ही काम करते रहेंगे जिससे कुछ भी नहीं होगा।
हम सुबह से श्याम तक दर्द को तो avoid करते है और तुरंत कोई रिवॉर्ड मिल जाए बस उस की तरफ भागते है क्योकि जो भी हमारा लक्ष्य है उसको हमको अचीव करना है तो दर्द तो होगा ना, जैसे ही हमको वो pain होगा तो कुछ समय तक तो हम करेगे फिर उसको छोड़ देंगे।
क्योकि जो भी काम हम करने वाले है उसका परिणाम आयेगा आने वाले 2 या 3 साल बाद लेकिन हाथ में phone है और उसमे कुछ भी ऐसा जो हमारे लक्ष्य से रिलेटेड है ही नहीं लेकिन उसको करने में हमको मजा आता है तो ब्रेन कहा पर जल्दी जाएगी जिसमे अभी मजा आ रहा है तो इस बात को अभी समझना इस समय पे बहुत जरुरी है अब आप ये कहोगे की हमको कुछ ऐसा बताओ जिसमे हमको कुछ करना न पड़े बस बैठे-बैठे ही सब कुछ हो जाये।
ये जो बाते है इनको समझने के लिए हमारे अंदर सेल्फ-रेस्पेक्ट होनी चाहिए की मुझे बैठे-बैठे नहीं खाना है अब वो चाहे आपके माँ-बाप हो या और कोई उनसे एक पैसे भी फ्री में नहीं चाहिए लेकिन असल में ऐसी सोच बहुत कम लोगो में होती है।
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जैसे हमारा दिमाग दो तरह से काम करता है एक तो avoid pain और दूसरा जल्दी से कुछ मिल जाये, अब इसको एक उदाहरण से समझते है, मान लो अगर आपके घर में कोई बहुत तेज बीमार है आपको उसको हॉस्पिटल लेकर जाना है दूसरी तरफ आप कुछ ऐसा कर रहे हो जो आपका करना सही नहीं है बस उसको करके मजा आ रहा है तो दोनों काम में से आप कोनसा काम करोगे, जरूर आप अपने घर वाले को लेकर जाएंगे वहाँ पर कोई डिस्ट्रक्शन होगा ही नहीं ऐसे ही पढ़ाई में होता है अगर आपको ये समझ आ जाये की अगर मै नहीं पढ़ा तो तो मेरे घर की हालत बद से बदतर हो जाएंगे तो आप उस विचार से ही डर कर पढ़ लोगे अब उसके बाद तो आलस्य आप के ऊपर हैवी हो ही नहीं सकता है।
और दूसरी तरफ से अगर जैसे कोई बोरिंग काम को इंटरेस्टिंग बनाना आ जाये तो हमारा काम हो जायेगा तो हमको दिमाग लगाना होता है कि बोरिंग काम को इंटरेस्टिंग कैसे बनाया जाये फिर ये आलस्य जड़ से ख़त्म हो जाता है।
निष्कर्ष :-
आज हमने जाना कि आलस क्या है ,कुछ कार्य न करना ही आलस है ,या कुछ न करने की आदत ही आलस्य को जन्म देता है ।आलस्य शरीर में व्याप्त एक लक्षण है,जो किसी को कोई भी कार्य करनें से मना करता है।
अब आलस्य क्यो उत्पन्न होता है ,जब मनुष्य ज्यादा ही आराम तलब हो जाता है ,तो फिर उसके अंदर आलस्य उत्पन्न हो जाता है,उसका मन किसी भी कार्य में नहीं लगता है ,अलसी व्यक्ति हमेशा यही उम्मीद करता रहता है, कि उसका कार्य कोई दूसरा कर दे, मुझे न करना पड़े।
जब आपके अंदर एक सवाल आ जाता है कि मुझे अपनी लाइफ में सफल होना है तो ये आलस उस इंसान के सिर से हमेशा के लिए उतर जाता है क्योकि वहाँ आपने अपना लक्ष्य निर्धारित कर दिया होता है।
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